एमएसपी तय करने के तरीके से क्यों नाराज हैं किसान!
एमएसपी की ए,बी,सी,डी
फसल लागत निकालने के तीन फार्मूले
ए-2: किसान की ओर से किया गया सभी तरह का भुगतान चाहे वो कैश में हो या किसी वस्तु की शक्ल में, बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई का खर्च जोड़ा जाता है.
ए2+एफएल: इसमें ए2 के अलावा परिवार के सदस्यों द्वारा खेती में की गई मेहतन का मेहनताना भी जोड़ा जाता है.
सी-2: लागत जानने का यह फार्मूला किसानों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसमें उस जमीन की कीमत (इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट) भी जोड़ी जाती है जिसमें फसल उगाई गई. इसमें जमीन का किराया व जमीन तथा खेतीबाड़ी के काम में लगी स्थाई पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है. इसमें कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है. यह लागत ए2+एफएल के ऊपर होती है.
टिकैत ने कहा सी-2 फार्मूले से फसल लागत तय करने की मांग को लेकर यूनियन यूपी के सभी जिलों में प्रदर्शन करेगा. आपको बता दें कि प्रवीण तोगड़िया भी सी-2 फार्मूले के आधार पर लागत कर डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की मांग कर रहे हैं.
समर्थन मूल्य क्यों?
किसान अपनी फसल को बाजार किसी भी भाव पर बेचने की लिए स्वतंत्र है. लेकिन अगर कोई खरीदार नहीं मिला तो सरकार एक न्यूनतम मूल्य पर उसे खरीदती है. इससे नीचे उस फसल का दाम कभी नहीं गिर सकता. यानी किसानों को उनकी उपज का ठीक मूल्य दिलाने के लिए एमएसपी की घोषणा करती है. सरकार कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइज (CACP) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करती है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य की जरूरत क्या है?
सी-2 पर उलझन?
यदि सरकार सी-2 के आधार पर फसल की लागत तय करना शुरू कर दे तो एक बड़ी उलझन सामने आएगी. दिल्ली और गोरखपुर में जमीन की कीमत एक समान कैसे हो सकती है? हर जगह जमीन का रेट अलग-अलग है ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर किसी फसल की लागत कैसे तय हो पाएगी.
फार्मूला कोई भी सटीक नहीं!
दूसरी समस्या ये है कि कहीं का किसान अपनी फसल में ज्यादा खाद और दवा डालता है और कहीं पर बहुत कम, ऑर्गेनिक खेती करने वाला किसान खाद नहीं खरीदता. एक ही फसल की लागत किसी प्रदेश में ज्यादा तो किसी में कम हो सकती है इसलिए कोई भी फार्मूला सटीक नहीं हो सकता.
सात दशक पुरानी मांग पूरी की: शाह
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि "मैं पार्टी की और से और देश के करोड़ों किसानों की ओर से प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं. आजादी के बाद से किसानों की एक मांग थी कि उनको उचित मूल्य मिलना चाहिए. किसी सरकार ने ये हिम्मत नहीं की थी. आज नरेंद्र मोदी सरकार ने सात दशक पुरानी मांग को समाप्त किया है. इस ऐतिहासिक फैसले से कुछ फसलों को 50 प्रतिशत से ज्यादा फायदा होने की संभावना है ।
(साभार न्यूज 18)