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बाढ़ : उत्तर भारत बेहाल , कसूरवार कौन नदियां या हम ?


    31 जुलाई 2018 ।।
    इन दिनों बारिश और बाढ़ से दिल्ली, यूपी, बिहार और असम के कई क्षेत्र बेहाल हैं. लोगों को नदियों का रौद्ररूप देखने को मिल रहा है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. हर किसी के मन में यह सवाल है कि आखिर बाढ़ रोकने का कोई उपाय क्यों नहीं खोजा जा रहा है. इसके लिए कसूरवार कौन है? हम खुद या फिर नदियां. हरियाणा ने हथिनीकुंड बैराज से जो 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा है जिससे दिल्ली और हरियाणा के कई क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है ।

    यमुना नदी ख़तरे के निशान से 90 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है । दिल्ली सरकार ने इसके लिए एक इमरजेंसी नंबर जारी किया है. किसी भी तरह की परेशानी के लिए 1077 पर कॉल किया जा सकता है. महाराष्ट्र के 26, पश्चिम बंगाल में 22, असम में 21, केरल में 14 और गुजरात में 10 जिले प्रभावित हैं. उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी बड़ा हिस्सा बाढ़ एवं बारिश से प्रभावित है. कई राज्यों में एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं ।
    दिल्ली में यमुना नदी के खतरे के निशान से यानी 205 मीटर से ऊपर बहने के बाद लोहे का पुल बंद करा दिया गया है. यमुना पुल बंद होने की वजह से 27 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द किया गया है जबकि 3 एक्सप्रेस ट्रेन बीच में ही रोक दी गई हैं. वहीं, 14 एक्सप्रेस और सात ट्रेनों के रूट बदले गए हैं ।




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    यमुना के आसपास रहने वालों की परेशानी बढ़ी

    बताया जा रहा है कि हथनीकुंड से लगातार पानी छोड़ने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ता जा रहा है. यमुना के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि जिस तरीके से इस बार दिल्ली में यमुना का स्तर बढ़ता जा रहा है ऐसा नजारा अब से पहले 1978 में देखने के लिए मिला था और दिल्ली में बाढ़ की स्थिति बनी थी. उस समय पर 80% दिल्ली पानी में डूब गई थी ।

    विवेक विहार के एसडीएम राजेश चौधरी ने बताया कि करीबन 12 हजार लोगों को निचले स्तर से हटाया गया है और उनके रहने के लिए सबके केंद्र बनाए गए हैं जिसमें उनके खाने की व्यवस्था के साथ-साथ मेडिकल की व्यवस्था की गई है ताकि लोगों को किसी भी तरीके की परेशानी का सामना न करना पड़े ।

    यमुना के किनारे से हटाए गए लोगों के रहने के लिए कैंप की व्यवस्था की गई है. इन कैंपों में सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा गया है. इनमें मोबाइल टॉयलेट, पानी, बिस्तर की व्यवस्था की गई है ।

    हरियाणा ने पांच लाख क्यूसेक से ज़्यादा पानी छोड़ा है । हालात पर चर्चा के लिए आपात बैठक बुलाई । यह पानी रविवार शाम से दिल्ली पहुंचना शुरू हो गया है । नदी के आसपास के क्षेत्रों से भी लोगों को निकालकर ले जा रहा है, वहां पर उनसे सहयोग करने को कहा जा रहा है ।

    उधर, उत्तर प्रदेश में 26 जुलाई से रुक-रुक कर हो रही बारिश कई जिलों में कहर बरपाने लगी है. सोमवार सुबह 11 बजे तक भारी बारिश, आंधी-तूफान और बिजली गिरने से विभिन्न जिलों में 80 लोगों की जान चली गई. वहीं 84 लोगों के घायल होने की सूचना है. इसके अलावा सरकारी रिपोर्ट के अनुसार कुल 44 पशुहानि हुई है, वहीं 451 कच्चे-पक्के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं ।

    इस कहर में सहारनपुर में सबसे ज्यादा 11 लोगों की मौत हो गई, वहीं मेरठ में 9 लोगों की मौत की खबर है. वहीं आगरा में 6 लोगों की मौत हो गई।

    पिछले तीन दिनों से पश्चिमी यूपी व पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने यमुना का जलस्तर बढ़ा दिया है. यमुना के बढ़ते जल स्तर से शामली के किसानों के सामने बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. किसानों को भारी नुकसान का डर सता रहा है. यमुना के निकटवर्ती क्षेत्रो में किसानों की हजारों बीघा फसल पानी भरने से नष्ट हो गई है. प्रशासन ने यमुना के निकटवर्ती क्षेत्रो में अलर्ट जारी कर दिया है ।

    हरियाणा में यमुना से छोड़े जा रहे पानी से प्रदेश के कई जिलों में यमुना तट से लगते गांवो में बाढ़ के हालत उत्पन्न हो गए है. यमुनानगर और इंद्री के बाद घरौंडा इलाके के दो दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. फरीदाबाद में प्रशासन अलर्ट पर है. यमुना से भयभीत ग्रामीण दिन रात जागकर गांवों में पहरेदारी कर रहे हैं ।

    असम में बाढ़ की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है. 60 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं ।
    बिहार में भी बारिश और बाढ़ से जन जीवन अस्त-व्यस्त है. पटना में लगातार बारिश से कई इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुस गया है, हालात ये हैं कि यहां के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू में भी पानी भर गया. बाढ़ का पानी कोसी नदी में पहुंचने से नदी के जलस्तर में तीव्र वृद्धि हो रही है, जिससे इलाके में रह रहे ग्रामीण हलकान हैं.

    साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स रीवर्स एंड पीपल' के कोर्डिनेटर हिमांशु ठक्कर के मुताबिक बाढ़ कंट्रोल नहीं हो सकती. बिहार और असम जैसे कुछ इलाके फ्लड प्रूफ नहीं हो सकते. यहां बाढ़ तो हमेशा आएगी. त्रासदी के लिए हम कसूरवार हैं नदियां नहीं.

    अनियोजित शहरीकरण से भी हम आफत मोल ले रहे हैं. हम खुद नदी के रास्‍ते में, उसके क्षेत्र में बसने जा रहे हैं. नदी के कैचमेट एरिया (जलग्रहण क्षेत्र) में जंगल खत्‍म हो रहे हैं. अतिक्रमण हो रहा है. वाटर बॉडीज खत्‍म हो रही हैं. पानी की रिचार्ज क्षमता खत्‍म हो रही है, इसलिए भी बाढ़ और उससे नुकसान बढ़ रहा है ।