ट्रक बस ऑपरेटर्स की हड़ताल का दूसरा दिन : 20 - 25 हज़ार करोड़ के नुकसान का अनुमान

21 जुलाई 2018 ।।
ट्रक और बस ऑपरेटर्स की हड़ताल काशनिवार को दूसरा दिन है । ट्रांसपोर्टर्स का संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) डीजल की कीमतों में वृद्धि, टोल टैक्स कम करने सहित अन्य मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं । सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रहने के बाद ट्रांसपोर्टर्स ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की ऐलान किया था. इस हड़ताल के कारण लोगों को काफी दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे ही एक महिला ने कहा, 'बच्चों को समय पर स्कूल भेजना भी मुश्किल हो गया. यहां बारिश के कारण सड़कों और रेलवे स्टेशनों में पानी जमा हो गया ।हमें टैक्सी भी नहीं मिल रही.'
वहीं, इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम (Assocham) ने सरकार से अपील की है कि इस हड़ताल को समाप्त करने के प्रयास करे, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है । ट्रक और बस ऑपरेटर्स संगठन (AIMTC) का दावा है कि शुक्रवार से शुरू हुई हड़ताल में लगभग 90 लाख ट्रक और 50 लाख बस मालिक शामिल हैं. ये सभी वाहन चलने बंद हो गए हैं ।
जनता पर होगा यह असर
ट्रक हड़ताल का सीधा असर आम आदमी पर होता हैं, क्योंकि ट्रक हड़ताल से दूध-सब्जी और बाकी सामानों की सप्लाई बंद हो जाएगी. ऐसे में डिमांड बनी रहेगी और सप्लाई घट जाएगी. लिहाजा आम आदमी को इन चीजों के लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे.
हो सकता है 20-25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान
हो सकता है 20-25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत का कहना है कि है कि एआईटीएमसी को यह हड़ताल वापस ले लेनी चाहिए या सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए. रावत के मुताबिक, इस हड़ताल के होलसेल प्राइस इंडेक्स और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स प्रभावित होगा और जरूरी चीजों के दाम बढ़ सकते हैं. एसोचैम का अनुमान है कि इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को 20 से 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है.
क्यों की हड़ताल- ट्रक ऑपरेटर और ट्रांसपोर्टर लगातार डीजल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं.
>> उनकी मांग है कि डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, ताकि उन्हें इसकी बढ़ती कीमतों से राहत मिल सके.
>> इसके अलावा उनका तर्क है कि डीजल के दाम रोज बदलने से उन्हें किराया तय करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
>> ऑपरेटर्स की मांग है कि टोल सिस्टम में भी बदलाव लाया जाए.
>> उनका दावा है कि टोल प्लाजा पर न सिर्फ उन्हें समय का नुकसान झेलना पड़ता है, बल्कि इससे उनका काफी मात्रा में ईंधन भी बरबाद होता है. इससे उन्हें सालाना लाखों की चपत लगती है.|
>> ट्रक ऑपरेटर्स की मांग है कि उन्हें थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी में छूट दी जानी चाहिए. साथ ही, एजेंट्स को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को खत्म किया जाना चाहिए ।
क्यों की हड़ताल- ट्रक ऑपरेटर और ट्रांसपोर्टर लगातार डीजल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं.
>> उनकी मांग है कि डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, ताकि उन्हें इसकी बढ़ती कीमतों से राहत मिल सके.
>> इसके अलावा उनका तर्क है कि डीजल के दाम रोज बदलने से उन्हें किराया तय करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
>> ऑपरेटर्स की मांग है कि टोल सिस्टम में भी बदलाव लाया जाए.
>> उनका दावा है कि टोल प्लाजा पर न सिर्फ उन्हें समय का नुकसान झेलना पड़ता है, बल्कि इससे उनका काफी मात्रा में ईंधन भी बरबाद होता है. इससे उन्हें सालाना लाखों की चपत लगती है.|
>> ट्रक ऑपरेटर्स की मांग है कि उन्हें थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी में छूट दी जानी चाहिए. साथ ही, एजेंट्स को मिलने वाले अतिरिक्त कमीशन को खत्म किया जाना चाहिए ।
ट्रक बस ऑपरेटर्स की हड़ताल का दूसरा दिन : 20 - 25 हज़ार करोड़ के नुकसान का अनुमान
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
July 21, 2018
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