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स्टेट बैंक के बाद पीएनबी ने भी मिनीमम बैलेंस के नाम पर खाता धारियों से वसूले 151.66 करोड़ रुपये



    17 जुलाई 2018 ।।
सुविधाओ के नाम पर लम्बी लम्बी कतारे, एटीएम खाली पर इन बैंकों के खिलाफ कोई कार्यवाई नही ,इनकी मिलीभगत से बैंक का अरबो रुपये कर्ज में डूब गये या कर्जदार लेकर भाग गये , पर इनके खिलाफ कोई कार्यवाई नही । बैंक और खाताधारियों का सम्बंध उपभोक्ता का है , कोई भी नियम दोनों पर लागू होने चाहिये , अगर न्यूनतम रकम न रखने पर खाताधारी से जुर्माना वसूला जा सकता है तो बैंकों के बन्द और खाली एटीएम के चलते अगर किसी खाताधारी का नुकसान होता है तो खाताधारी को भी बैंक से हर्जाना वसूल करने का अधिकार होना चाहिये । भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने भी घोटालेबाजो द्वारा बैंक की गबन की गयी रकम को निरीह उपभोक्ताओं से वसूलने की घटना आरटीआई के द्वारा प्रकाश में आई है ।पंजाब नेशनल बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 1.23 करोड़ बचत खातों में तय न्यूनतम जमा राशि नहीं रखे जाने पर संबंधित ग्राहकों से 151.66 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला है. यह खुलासा एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) के जरिए हुआ है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पीएनबी से यह जानकारी मांगी थी । श्री गौड़ की आरटीआई अर्जी पर पीएनबी की ओर से भेजे गए जवाब में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 1,22,98,748 बचत निधि खातों में न्यूनतम शेष नहीं रखने के कारण 151.66 करोड़ रुपए का कुल जुर्माना वसूला गया है ।
 PNB ने 151.66  करोड़ रुपये वसूले
पीएनबी के उत्तर के मुताबिक इस मद में वित्तीय वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 31.99 करोड़ रुपए, दूसरी तिमाही में 29.43 करोड़ रुपए, तीसरी तिमाही में 37.27 करोड़ रुपए और चौथी तिमाही में 52.97 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला गया है । मशहूर अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने इस मामले में खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं ।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने के लिए अभियान चला रही है, तो दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि नहीं रखने के नाम पर ग्राहकों से मोटा जुर्माना वसूल रहे हैं. भंडारी ने मांग की है कि भारतीय रिजर्व बैंक को गरीब और मध्यम वर्ग के बचत खाता धारकों के हितों के मद्देनजर बैंकों की इस जुर्माना वसूली के नियमों और दरों की फौरन समीक्षा करनी चाहिए ।