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फैशन कहें या जरूरत — शादी–समारोहों ने सड़कें कर दीं संकरी:मैरिज हालों के बाहर पार्किंग संकट से बलिया–बैरिया मार्ग बार–बार जाम

 





डॉ सुनील कुमार ओझा


बलिया।। बदलते दौर में शादियाँ और पारिवारिक कार्यक्रम अब घरों के आंगन से निकलकर होटलों व मैरिज हालों तक सिमट गए हैं। सजावट, भोजन और सुविधा की दृष्टि से यह बेहतर विकल्प दिखता है, परन्तु इसका प्रत्यक्ष असर जिले के मुख्य मार्गों पर देखने को मिलता है। विशेषकर बलिया–बैरिया रोड शाम होते ही वाहनों के लंबे काफिलों से जाम की चपेट में आ जाता है।


एक ओर ददरी मेले की भीड़ उमड़ रही है, वहीं दूसरी ओर हर दिन होने वाले विवाह–समारोह इस मार्ग को और अधिक दबाव में डाल रहे हैं। अधिकांश मैरिज हालों के पास सुसंगठित पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग वाहन सड़क किनारे खड़े कर देते हैं, जिससे दो लेन की सड़क एक लेन में सिमट जाती है और जाम घंटों तक बना रहता है।

राहगीर और छात्र सबसे ज्यादा परेशान

जाम के चलते ऑफिस कर्मचारी, स्कूली बच्चे और मरीज अस्पताल पहुँचने में देर तक फंसे रहते हैं।


एक छात्र ने बताया—"सुबह कोचिंग जाना मुश्किल हो जाता है, कई बार देर से पहुँचते हैं। प्राइवेट गाड़ियाँ मैरिज हाल के सामने लाइन में लगी रहती हैं।"

इसी बीच एक स्थानीय दुकानदार का कथन

> "शाम होते ही सड़क रुक जाती है। ना पुलिस दिखती है, ना पार्किंग। बाराती मौज में होते हैं और हम घंटों सड़क पर अटके रहते हैं।"

समाधान की उम्मीद—प्रशासन और हाल संचालकों से अपेक्षा


यातायात विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि जाम की समस्या कम करने के लिए प्रशासन को ट्रैफिक प्लानिंग, पार्किंग ज़ोन निर्धारण तथा विवाह हाल संचालकों को अनिवार्य पार्किंग सुविधा देने का निर्देश जारी करना चाहिए।

यदि स्थल के बाहर वाहन खड़े न हों और पार्किंग कड़ाई से नियंत्रित रहे, तो जाम की समस्या काफी हद तक समाप्त हो सकती है।

शादी–समारोह सुविधाजनक और आधुनिक हो रहे हैं, परन्तु बिना पार्किंग के मैरिज हाल विकास नहीं, अव्यवस्था बढ़ा रहे हैं।

जरूरत है—रौनक और यातायात, दोनों का संतुलित समाधान खोजने की।