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मुख्यमंत्री ने मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के समग्र नगरीय विकास की कार्ययोजना की समीक्षा की







इन नगरों का विकास केवल सड़कों और भवनों के निर्माण तक सीमित न हो, बल्कि उनका स्वरूप ऐसा बने जिसमें स्थानीय पहचान, इतिहास, संस्कृति और आधुनिक सुविधाओं का संतुलन दिखे : मुख्यमंत्री


योजनाएं चरणबद्ध ढंग से लागू करते हुए सभी कार्य समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरे किए जाएं, नागरिकों को इन कार्यों का प्रत्यक्ष लाभ दिखना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने मेरठ में प्रस्तावित बिजली बम्बा बाईपास को लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर की तर्ज पर पी0पी0पी0 मोड में विकसित करने की सम्भावना तलाशने हेतु निर्देश दिए


अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज की तर्ज पर अब मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के लिए भी समेकित विकास मॉडल अपनाया जा रहा 

लखनऊ : 19 नवम्बर, 2025।।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के समग्र नगरीय विकास की कार्ययोजना की समीक्षा की। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन नगरों का विकास केवल सड़कों और भवनों के निर्माण तक सीमित न हो, बल्कि उनका स्वरूप ऐसा बने जिसमें स्थानीय पहचान, इतिहास, संस्कृति और आधुनिक सुविधाओं का संतुलन दिखे।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योजनाएं चरणबद्ध ढंग से लागू करते हुए सभी कार्य समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरे किए जाएं। नागरिकों को इन कार्यों का प्रत्यक्ष लाभ दिखना चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने मेरठ में प्रस्तावित बिजली बम्बा बाईपास को लखनऊ ग्रीन कॉरिडोर की तर्ज पर पी0पी0पी0 मोड में विकसित करने की सम्भावना तलाशने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिए।

बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीनों मण्डलों के मण्डलायुक्तों ने मुख्यमंत्री जी को अपनी कार्ययोजना से क्रमशः अवगत कराया। मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और प्रयागराज की तर्ज पर अब मेरठ, कानपुर और मथुरा-वृंदावन के लिए भी समेकित विकास मॉडल अपनाया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों से विमर्श और विभागों के बीच समन्वय के आधार पर इन शहरों में कुल 478 परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार की गई है। इनमें मेरठ में 111, कानपुर में 109 और मथुरा-वृंदावन में 258 परियोजनाओं का विकास प्रस्तावित है। इन परियोजनाओं को अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक श्रेणी में विभाजित कर स्पष्ट समयसीमा तय की गई है।

पहले चरण की कार्ययोजना के रूप में वर्ष 2025-26 में मेरठ में 11, कानपुर में 13 और मथुरा-वृन्दावन में 14 प्राथमिक परियोजनाओं पर कार्य किया जाएगा। इन परियोजनाओं में यातायात सुधार, चौराहों का पुनर्विकास, मल्टीलेवल पार्किंग, हरित क्षेत्र, सड़क और पेवमेंट सुधार, बिजली लाइनों का भूमिगतकरण, जल प्रबन्धन, पर्यटन सुविधाओं का उन्नयन और शहरी सौंदर्यीकरण जैसी जरूरतों को प्राथमिकता दी गई है।

मेरठ में यातायात सुगमता के लिए बिजली बम्बा बाईपास, लिंक रोड, हापुड़ अड्डा से गांधी आश्रम तक चौड़ीकरण, ईस्टर्न कचहरी रोड, सूरजकुण्ड चौराहा, क़य्यम नगर पार्क, 19 प्रमुख चौराहों पर जंक्शन इम्प्रूवमेन्ट, संजय वन, शताब्दी नगर एस0टी0पी0 से मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र तक जल पुनर्चक्रण व्यवस्था, स्मार्ट रोड और यूनिवर्सिटी रोड क्षेत्रीय पुनर्विकास जैसी परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।

कानपुर के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विकास का आधार ‘रूटेड इन लेगेसी, राइजिंग टू टुमॉरो’ की अवधारणा होगी। मैनावती मार्ग चौड़ीकरण, मल्टीलेवल पार्किंग, मास्टर प्लान सड़कों का निर्माण, ग्रीन पार्क के आसपास शहरी डिजाइन सुधार, मकसूदाबाद सिटी फॉरेस्ट, बॉटेनिकल गार्डन, वी0आई0पी0 रोड, रिवरफ्रन्ट लिंक, ग्रीनफील्ड कॉरिडोर, मेट्रो विस्तार और ग्रेटर कानपुर के रूप में नए विस्तार क्षेत्र की दृष्टि इस योजना में सम्मिलित है।

बैठक में मथुरा-वृंदावन के लिए प्रस्तुत मास्टर प्लान के तहत शहर को ’विजन-2030’ के रूप में विकसित करने की रणनीति पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए स्ट्रीट फसाड डेवलपमेन्ट, मल्टीलेवल पार्किंग, बस पार्किंग, प्रवेश द्वारों का सौन्दर्यीकरण, नए मार्गों का निर्माण, बरसाना-गोवर्धन-राधाकुण्ड कॉरिडोर सुधार, परिक्रमा मार्ग पर सुविधाएं और नगर प्रवेश से धार्मिक स्थलों तक संकेतक एवं प्रकाश व्यवस्था की योजना सम्मिलित है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए नवाचार, बेहतर प्रबन्धन और वित्तीय संयोजन पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों को रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर निजी क्षेत्र का सहयोग लेने और जहां सम्भव हो वहां पी0पी0पी0 मोड अपनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विकास का उद्देश्य ऐसा शहरी ढांचा तैयार करना है, जो यातायात को सुगम बनाए, पैदल यात्रियों और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दे, हरे-भरे शहरों की दिशा में आगे बढ़े और स्थानीय पहचान को मजबूत करे। परियोजनाओं के लिए यदि अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी तो राज्य सरकार द्वारा उसे उपलब्ध कराया जाएगा।