श्रीराम कथा तीसरा दिन : भगवान श्रीराम का भाइयों के साथ हुआ प्राकट्य , भोलेनाथ ने माता पार्वती को बताया सगुण व निर्गुण भक्ति मर्म
पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के द्वारा श्रीरामायण जी की आरती के बाद शुरू हुई तीसरे दिन की कथा
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिँह, प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु,राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर,मंत्री दानिश आजाद अंसारी, डॉ संजय गौड़, सुनीता श्रीवास्तव सदस्य राज्य महिला आयोग, जिलाध्यक्ष बीजेपी संजय मिश्र,जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक ने की भगवान की आरती
मधुसूदन सिंह
बलिया।। टीडी कॉलेज के मैदान मे चल रही 9 दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन के यजमान पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के द्वारा रामायण जी की आरती करने के बाद पूज्य श्री प्रेम भूषण जी महराज ने कथा का शुभारम्भ किया। श्री प्रेम भूषण जी ने कथा का प्रारम्भ भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के कैलाश पर्वत पर हुए संवाद से शुरू की। भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को अपने बाम अंग मे आसन देकर प्रेम से बैठाया।
कथा जो सब लोकहित कारी, वही पूंछन चाहत शैल कुमारी
माता पार्वती ने लोकहित मे श्रीराम कथा के माध्यम से भोलेनाथ से प्रश्न किया कि हे स्वामी आप ज्ञान का खजाना है, आप मेरे प्रश्नों का उत्तर दीजिये। हे स्वामी आपके आराध्य श्रीराम अयोध्या पति श्री दशरथ जी के पुत्र है या कोई और है? राजपुत्र है, ब्रह्म कैसे? अगर ब्रह्म है, सर्वग्य होते हुए भी कैसे एक आम व्यक्ति की तरह अपनी पत्नी को खोज रहे है जबकि सर्वग्य होने के चलते इनको तो पता होना चाहिये कि सीता जी कहां है? अगर मेरे प्रश्न मे कोई त्रुटि हो तो क्षमा कीजियेगा। पिछले जन्म की तरह मेरे मन मे संशय नहीं है, मै जानने के लिये प्रश्न कर रही हूं।अगर श्रीराम निर्गुण है तो फिर सगुण रूप वाले श्रीराम भगवान कैसे है? साथ ही यह भी बताइये कि अंत मे श्रीराम भगवान अपने प्रजा संग साकेतपूरी कैसे अपने धाम लौटे?भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को उनके प्रश्नों का उत्तर देकर संतुष्ट किया। माता पार्वती ने अपने प्रश्नों के उत्तर पा कर कहा कि अब मेरा जीवन धन्य हो गया।
सत्संग करने की सलाह
यदा कदा जब भी मौका मिले सत्संग जरूर करना चाहिये।जिसका हरि से जुड़ा मन है, उसको हर घड़ी आनंद ही आनंद है।
भगवान के विभिन्न अवतारों का किया वर्णन
पूज्य श्री प्रेमभूषण जी ने भगवान श्रीराम के प्राकट्य से पूर्व के अवतारों की कथा संक्षेप मे बताया। कहा कि सनत कुमारों ने भगवान विष्णु के द्वारपालको जय व विजय को शाप दिया कि जाओ तीन जन्मों तक राक्षस बन जाओ। ये दोनों को पहले अवतार मे भगवान को नरसिंह रूप धारण कर मारना पड़ा। दूसरे जन्म मे रावण व कुम्भकर्ण बने जय विजय को श्रीराम अवतार मे बध किया। तीसरे जन्म मे ये कंस व शिशुपाल बने,इनको भगवान ने कृष्ण बनकर संहार किया। श्री प्रेम भूषण जी ने कहा कि जालंधर बध के बाद सती ब्रिंदा के द्वारा भगवान विष्णु को शालीग्राम बनने का शाप दिया, वही भगवान ने सती को तुलसी बनने का वरदान दिया और यह भी कहा कि जबतक तुलसी शालीग्राम के ऊपर नहीं चढ़ेगी, तब तक भोग स्वीकार नहीं करूँगा। इसके साथ ही देवर्षि नारद द्वारा भी भगवान को शाप देने की कथा को भी संक्षेप मे बताया।
रावण का बढ़ा अत्याचार, पृथ्वी समेत देवता पहुंचेभोलेनाथ के दरबार
सोने की लंका को राजधानी बनाने व भगवान शिव से दस शीश प्राप्त करने के बाद रावण ने इतना अत्याचार किया कि धरती अकुला गयी। धरती माता, मुनि, ब्रह्मा जी व अन्य देवता सभी एक साथ भोलेनाथ के पास पहुंचे। भोलेनाथ ने कहा कि आपके प्रश्नों का उत्तर बैकुंठ मे मिलेगा। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को प्रश्न करने के लिये स्तुति की। स्तुति के बाद आकाशबाड़ी हुई, हे देवताओ, मुनियों आप डरिये मत,आप सभी अपने अपने धाम जाइये। मै अतिशीघ्र धरती पर राक्षसों का बध करने के लिये अपने अंशो के संग मनुष्य के रूप मे अवतार लूंगा। अयोध्या नरेश के पुत्र के रूप मे मेरा अवतार होगा और राक्षसों के अत्याचार से पृथ्वी को मुक्त करके सभी जीव जंतुओ की रक्षा करूंगा।
राजा दशरथ को पुत्र न होने की चिंता, श्रृंगी ऋषि द्वारा यज्ञ कराना
अयोध्या नरेश श्री दशरथ जी अपने गुरु वशिष्ठ जी के पास जाकर पुत्र न होने की अपनी चिंता व्यक्त की। तब गुरुदेव ने कहा कि राजन आप परेशान न होइये आपको चार पुत्र होंगे । गुरुदेव ने श्रृंगी ऋषि को बुलाकर पुत्र कामेष्ठी यज्ञ कराया। यज्ञ कुंड से अग्निदेव पायस लेकर आये और दशरथ जी को सौप दिया। गुरुदेव ने कहा राजन इस पायस को चार भाग करके अपनी रानियों को दे दीजिये । रानियों ने जब से पायस खाया, अयोध्या मे हर तरफ खुशियाँ ही दिखने लगी। रामनवमी को भगवान का अवतरण जानकर सारे देवी देवता अयोध्या के आकाश मे उपस्थित हो गये।
शुभ नवमी तिथि को माता कौशल्या के समक्ष भगवान अपने चतुर्भुज रूप मे प्रकट होकर माता से बोले माता आप बताये कि लीला किस रूप से शुरू करू, तब माता ने कहा कि आप शिशु रूप धारण कर लीजिये, यह सबसे परम सुख देने वाला है। इतना कहते ही भगवान शिशु रूप धारण कर रोने लगे। दासिया दौड़ दौड़ कर चिल्लाने लगी, महराज को लाला हुआ है । इसके बाद बारी बारी से तीन और बालको के जन्म लेने की सूचना से महराज दशरथ का पूरा शरीर पुलकित हो गया । राजा हर तरफसोना चांदी हीरे जवाहारात लुटाने लगे। चारों तरफ बाजे बजने लगे। अयोध्या के वासी के दूसरे को बधाईयां देते हुए नहीं थक रहें है।
परिवहन मंत्री की माता ने श्रीराम को पालकी मे झूलाया
भगवान श्रीराम के जन्म के बाद बाल रूप श्रीराम को पालकी मे परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की माता श्री व अनुज धर्मेंद्र सिंह ने पालकी मे झूलाया। इसके बाद परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर, दयाशंकर मिश्र दयालु जी प्रभारी मंत्री,मंत्री दानिश आजाद अंसारी, डॉ संजय गौड़, सुनीता श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष संजय मिश्र,जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिँह, पुलिस अधीक्षक पूना सिंह, सुरजीत सिंह, अरुण सिंह बंटू आदि ने बालरूप का दर्शन कर नेवछावर चढ़ाया। इसके बाद सभी लोगों ने भगवान की आरती मेभाग लिया । आरती के बाद तीसरे दिन की कथा का विश्राम हुआ ।
अनवरत 9 अक्टूबर तक चल रहा है भंडारा
परिवहन मंत्री. दयाशंकर सिंह द्वारा आयोजित इस नव दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन से अंतिम दिन तक भंडारे का आयोजन किया गया है। मंच से श्रद्धालुओं से भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने का विशेष आग्रह किया गया।










