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अमर शहीद गोंडवाना राजा शंकर शाह-कुँवर रघुनाथ शाह की हर जनपद मे लगायी जाय अदामकद प्रतिमा : अरविन्द गोंडवाना



 169 वे शहादत बलिदान दिवस पर जुलुस निकाल कर किया गया विराट प्रदर्शन किया


बलिया।। ब्रिटिश हुकुमत से बगावत करने के कारण अंग्रेजों द्वारा धोखे से पकड़कर जिन्दा तोप से बांधकर उड़ाये गये आदिवासी क्रांतिवीर 1857 की क्रांति के महानायक अमर शहीद गोंडवाना राजा शंकर शाह, कुॅवर रघुनाथ शाह के 169वें शहादत बलिदान दिवस 18 सितम्बर 2025 को क्रांति मैदान टाउन हाल बापू भवन से एक जुलुस चौक शहीद पार्क होते हुए बलिया कलेक्ट्रेट माॅडल तहसील पर पहुॅचा। ऑल गोंडवाना स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन(आगसा) के तत्वावधान में इस जुलुस के द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया तथा 1857 के अमर शहीद गोंड राजा शंकर शाह, कुॅवर रघुनाथ शाह व आदिवासी क्रांतिवीर नीलाम्बर खरवार- पीताम्बर खरवार की आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग को लेकर अमर रहे का उद्घोष किया गया। जिले में आदिवासी जनजाति छात्रावास की स्थापना कराने तथा जनजाति छात्रों को साइकिलें व छात्रवृत्ति प्रदान करने और गोंड, खरवार का जनजाति प्रमाण-पत्र सुगमतापूर्वक आसानी से जारी करने की मांग से सम्बन्धित जिलाधिकारी व मुख्यमंत्री को सम्बोधित पत्रक जिलाधिकारी के प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट ने धरना स्थल पर आकर स्वीकार किया।





 कार्यक्रम की अध्यक्षता गोंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोंगपा से बलिया लोकसभा क्षेत्र के प्रत्यासी रहे रामनिवास गोंड तथा संचालन आगसा के अध्यक्ष मनोज शाह ने किया। मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के बतौर पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति के संयोजक श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष नागेन्द्र बहादुर सिंह ‘झुन्नू’ ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गोंडवाना आदिवासी क्रांतिकारियों का बड़ा ही गौरवशाली शानदार इतिहास रहा है। आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने तमाम क्रांतिकारियों को गोली मारी, फांसी से लटकाया। लेकिन वही अपनी कविता से आमजन को जागरूक करने, उनके अन्दर राष्ट्रवाद की भावना भरकर आजादी का जज्बा पैदा करने वाले गोंडवाना के राजा शंकर शाह व उनके पुत्र रघुनाथ शाह को धोखे से पकड़कर 18 सितम्बर 1857 को जबलपुर मे जिन्दा तोप से बांधकर उड़ा दिया । राजा की पत्नी और पुत्रवधु इस पुरी घटना क्रम को जनता के बीच भेष बदलकर देख रही थी। सांय को राजा और कुॅवर के शव के अवशेषों को इकठ्ठा कर मिट्टी में दफनाने के पश्चात्  खुद रानी व रानी की पुत्रवधु महिला ब्रिगेड बनाकर अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गयीं। स्वतंत्रता संग्राम गाथा में आदिवासी गोंड समुदाय की कुर्बानी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। 1857में ही नीलाम्बर खरवार-पीताम्बर खरवार को पलामु में अंगे्रजों ने पेड़ से लटकाकर फांसी दे दी। ऐसे अमर स्वतंत्रता संग्राम शहीदों को भी उचित सम्मान देने के लिए उनकी आदमकद प्रतिमा हर जिले में लगायी जानी चाहिए।



 ऑल गोंडवाना स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन(आगसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज शाह ने कहा कि गोंड, खरवार जाति प्रमाण पत्र के लिए 156 दिनों तक रात दिन धरना चला। जिलाधिकारी ने जाति प्रमाण पत्र जारी कराने का आश्वासन दिया और अंततः गोंड जाति प्रमाण पत्र जारी होना प्रारम्भ भी हो गया है। लेकिन अभी भी कुछ लेखपालगण द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी करने में हीला-हवाली की जा रही है। अनावश्यक रूप से परेशान व उत्पीड़न किया जा रहा है। मांग करते हुए कहा कि बलिया सहित समस्त तहसीलों में सुगमतापूर्वक गोंड, खरवार जाति प्रमाण-पत्र संविधान व शासनादेश के अनुपालन में जारी किया जाना चाहिए। 

इस अवसर पर प्रमुख रूप से रामनिवास गोंड, गुलाब गोंड, ललन गोंड, दादा अलगू गोंड, अरविन्द गोंडवाना, सुरेश शाह, मनोज शाह, कन्हैया गोंड, संजय गोंड, मंजीत गोंड, ओमप्रकाश गोंड, शिवजी गोंड़, सूचित गोंड, श्रीपति गोंड, बच्चा लाल गोंड, शंकर गोंड, सुदेश शाह, अनिता देवी, नैना देवी, किरन देवी, कु0 मुन्नी गोंड, राजेश गोंड, सौरभ गोंड, विशेश्वर गोंड, लालचंद शाह, अंटू गोंड ने भी अपने विचार व्यक्त किये।