तो क्या सीआरओ बन गये है बलिया के चेयरमैन? नगर पालिका के नित्य प्रतिदिन के कार्यों मे इनका वर्चस्व, क्या निर्वाचित चेयरमैन अक्षम?
मधुसूदन सिंह
बलिया।। एक तरफ नगर पालिका परिषद के चुनाव मे बीजेपी ने बलिया मे भी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने के लिये जनता से जो गुहार लगायी थी, उसी के समर्थन मे जनता ने भी बीजेपी के प्रत्याशी संत कुमार उर्फ़ मिठाई लाल को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दिया। संत कुमार के चेयरमैन बनते ही ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने का बीजेपी और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का सपना साकार हो गया। दिल्ली मे पीएम मोदी जी, प्रदेश मे सीएम योगी जी व बलिया नगर पालिका मे संत कुमार के नेतृत्व मे सरकार बन गयी। इसके साथ ही बलिया मे परिवहन मंत्री का डंका भी बज गया।
लोगों को उम्मीद जगी कि अब शहर का विकास कार्य द्रुतगति से होगा। परिवहन मंत्री के प्रयास से ऐसा हो भी रहा है। लेकिन एक बात अब शहर ही नहीं जनपद की जनता के मन मे कौतुहल मचा हुए है कि आखिर बलिया के चेयरमैन संतकुमार नवीन विकास कार्यों के घोषणा से गायब क्यों रहते है? नगर निकयों के प्रभारी और मुख्य राजस्व अधिकारी श्री त्रिभुवन ही क्यों नगर पालिका मे हो रहे या होने वाले विकास कार्यों की घोषणा करते है? क्या मुख्य राजस्व अधिकारी अघोषित रूप से चेयरमैन का दायित्व संभाल चुके है या निर्वाचित चेयरमैन के पीआरओ / प्रवक्ता बन गये है?यह दोनों ही परिस्थियां सीआरओ पद के विपरीत है।क्या निर्वाचित चेयरमैन संतकुमार मात्र चेक पर हस्ताक्षर कर भुगतान करने मात्र के लिये ही रह गये है?अगर कोई बड़ी योजना होती है तो जिलाधिकारी महोदय जब घोषणा करते है तो किसी को कोई भी आपत्ति नहीं होती है क्योंकि यह चेयरमैन को साथ लेकर करते है।
ऐसी इस लिये चर्चा है क्योंकि नगर पालिका बलिया के क्षेत्र मे कब क्या होगा, क्या हो रहा है, इन सब के बारे मे मुख्य राजस्व अधिकारी ही बयान देते है। अगर मुख्य राजस्व अधिकारी ऐसा ही बयान अन्य नगर पालिका और नगर पंचायतों के संबंध मे लगातार देते रहते, तो ये सवाल आज खड़ा नहीं होता। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। अन्य जगहों पर वहाँ के चेयरमैन ही कोई भी घोषणा करते है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब अन्य जगह चेयरमैन आगे है तो बलिया मे क्यों नहीं?
जनता से निर्वाचित चेयरमैन जनता का प्रतिनिधि होता है और जनता अपनी परेशानियों को लेकर चेयरमैन के पास ही जाती है। लेकिन यहां जब से सीआरओ साहब ने अघोषित रूप से नगर पालिका चेयरमैन की तरह कार्य करना शुरू किये है, जनता परेशान है, चेयरमैन हैरान है। अब तो जनता मे यह भी सवाल पूंछा जाने लगा है कि क्या चेयरमैन अक्षम साबित हो रहे है या साजिशन किया जा रहा है? वैसे जो व्यक्ति अपने अधिकारों के लिये सजग और एक्टिव नहीं होता है, उसका फायदा उठाने के लिये हमेशा लोग खड़े रहते है। नगर निकाय के प्रभारी अधिकारी का दायित्व नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के कार्यों पर निगाह रखना होता है, लेकिन यहां तो कुर्सी पर ही निगाह दिख रही है।
राजनेता करते है नई योजनाओं की घोषणा
चाहे देश के प्रधानमंत्री जी हो, चाहे मुख्यमंत्री जी, या क्षेत्रीय सांसद, क्षेत्रीय विधायक / मंत्री हो, सभी लोग अपने अपने क्षेत्रों मे होने वाले विकास कार्यों की स्वयं पहले घोषणा करते है, शिलान्यास करते है, तब जाकर कार्य शुरू होता है। परियोजनाओं के लिये धन आवंटित कराने का काम राजनेताओं द्वारा किया जाता है। वैसे ही नगर निगम हो, नगर पालिका हो, नगर पंचायत हो, इनमे विकास कार्यों को लाने और धन आवंटित कराने का पूरा श्रेय महापौर / अध्यक्ष का होता है। यही लोग अपने अपने क्षेत्र मे जनहित के नये कार्यों के होने की घोषणा करते है। यह घोषणा कोई अधिकारी नहीं करता है। यह शुद्ध रूप से राजनेताओं का कार्य है, जो आगामी चुनाव मे लाभ लेने के लिए किया जाता है। लेकिन बलिया मे यह कार्य मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा कौन सा राजनैतिक लाभ लेने के लिये किया जा रहा है, लोगों को समझ मे नहीं आ रहा है। अध्यक्ष के अधिकारों का बलात अपहरण चर्चा मे है।
जय हिन्द