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प्रोफेसर केपी पाण्डेय की चतुर्थ पुण्यतिथि पर "भारतीय ज्ञान परंपरा: वर्तमान परिदृश्य" विषयक ऑन लाइन गोष्ठी संपन्न

 





डा सुनील कुमार ओझा 

वाराणसी।। प्रोफेसर के पी पाण्डेय जी, पूर्व संकायाध्यक्ष, शिक्षा संकाय एवं पूर्व कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर ऑनलाइन "भारतीय ज्ञान परंपरा: वर्तमान परिदृश्य" विषयक स्मृति व्याख्यान में उपस्थित मुख्य अतिथि प्रोफेसर मरमर मुखोपाध्याय अध्यक्ष एतमा गुड़गांव ने कहा कि आज के समय की सबसे अनिवार्य शिक्षा नैतिक शिक्षा, मूल्य शिक्षा, धार्मिक शिक्षा, शांति शिक्षा की जड़ें,भारतीय ज्ञान परंपरा से ही निकलती हैं। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हरिकेश सिंह पूर्व कुलपति जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा ने प्रोफेसर के पी पाण्डेय जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता  प्रोफेसर गोपीनाथ शर्मा, जयपुर विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित अनेक उदाहरण के माध्यम से यह साबित किया कि पुरातन ज्ञान परंपरा में आज का आधुनिक ज्ञान समाहित है। उन्होंने सूर्य की पृथ्वी से दूरी की गणना, मन की चाल, क्लोनिंग का नियम इत्यादि के सन्दर्भ में भारतीय पुरातन ज्ञान पर प्रकाश डाला। 



स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर पृथ्वीश नाग, निदेशक , शेपा एवं पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली बहुत ही समृद्ध है। इस संगोष्ठी में प्रोफेसर कल्पलता पांडे, पूर्व कुलपति जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया, श्री प्रवीण रुंगटा, सेक्रेटरी, शेपा, संगोष्ठी की संयोजक द्वय प्रोफेसर अमिता पांडे भारद्वाज एवं प्रोफेसर आशा पांडे और समन्वयक द्वय डॉक्टर जेपी श्रीवास्तव एवं डॉ अनुपम शुक्ला के साथ ही महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एवं लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली और शेपा के प्राध्यापक गण, देश के कोने कोने से जुड़े सैकड़ों अध्येता उपस्थित रहे। संगोष्ठी का संचालन डॉक्टर बृजेश कुमार शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर रमाकान्त सिंह ने किया।