जच्चा बच्चा की मौत, नर्स समेत तीन पर मुकदमा :नर्स को हिरासत में लेकर पुलिस कर रही पूछताछ
बांसडीह बलिया।। रेवती सीएचसी में तैनात स्टाफ नर्स के पिण्डहरा आवास पर स्थित प्राइवेट प्रसव केन्द्र में बुधवार की देर रात प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा की मौत हो गई। मामले में पुलिस ने स्टाफ नर्स , उनके पति व आशाबहू के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हैं तथा स्टाफ नर्स को हिरासत में ले लिया हैं। पुलिस ने जच्चा बच्चा के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है।
क्षेत्र के रूकूनपुरा गांव निवासी लाल साहब साहनी की पत्नी 34 वर्षीय सुधा को परिजनों ने गांव की आशा बहू मीना देवी की सलाह पर बांसडीह कोतवाली क्षेत्र के पिण्डहरा स्थित स्टाफ नर्स मंजू सिंह के आवास पर प्रसव केन्द्र में भर्ती कराया था। प्रसव के लिए बीस हजार रूपया तय हुआ था। परिजनों ने चार हजार रूपया नगद तथा आठ हजार रूपया यूपीआई से भुगतान किया था। शेष आठ हजार रूपया प्रसव के बाद भुगतान करना था। रात लगभग दस बजे महिला सुधा को मृत बच्चा पैदा हुआ। प्रसव के बाद देर रात महिला की हालत भी गंभीर हो गई तथा महिला की भी मौत हो गई। परिजनों ने नर्स पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया।
परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने सुधा व बच्चे के शव को कब्जा में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने नर्स मंजू सिंह को भी हिरासत में ले लिया। परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। कोतवाल संजय सिंह ने बताया कि महिला के देवर ईश्वर चंद साहनी की तहरीर पर स्टाफ नर्स पिण्डहरा गांव निवासी मंजू सिंह उनके पति नंदकुली सिंह व रूकूनपुरा गांव निवासी आशा बहू मीना देवी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच किया जा रहा है।
जच्चा बच्चा के सुरक्षा के लिये परिजनों को भी होना होगा जागरूक
सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार संस्थागत प्रसव के लिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते रहते है। सरकार सुरक्षित प्रसव और जच्चा बच्चा की सुरक्षा के लिये अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती है और सभी को सलाह देती है कि प्रसव हमेशा सरकार अस्पताल / सीएचसी / पीएचसी / प्रसव केंद्रों पर ही कराये। इन अस्पतालों पर प्रशिक्षित चिकित्सक व अन्य स्टॉफ मौजूद रहते है। वावजूद इसके लोग पैसा भी खर्च करते है और अनाधिकृत केंद्रों पर प्रसव कराने पहुँच जाते है। ज़ब मरीज की जान चली जाती है तो इलाज मे लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा खड़ा कर देते है। यह तभी रुकेगा ज़ब इलाज करने वालों के साथ ही भर्ती कराने के लिये ऐसे केंद्रों पर लें जाने वाले परिजनों पर भी मुकदमा दर्ज होने लगेगा। अब परिजनों को भी जागरूक बनना होगा और अपने घर की महिलाओं की जिंदगी बचाने के लिये सरकारी अस्पतालों मे प्रसव कराना होगा।