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समय से किस्तों का किया भुगतान, फिर भी लोन की धनराशि ज्यों कि त्यों, पंजाब नेशनल बैंक पर किया ऋणी ने मुकदमा


 


बलिया।। पंजाब नेशनल बैंक की बलिया शाखा से लोन लेने वाला युवक किस्तों को समय से जमा करने के बाद भी उतने रूपये का ही कर्जदार बताया जा रहा है, जितना उसको ऋण दिया गया था। वही जन सूचना के द्वारा सूचना मांगने पर बैंक यह भी कह रहा है कि ऋणी की एक भी किस्त बाउंस नही हुई है। बैंक अपने एक स्टेटमेंट में दिखा रहा है कि ऋणी द्वारा 3 लाख ( 30 हजार मार्जिन मनी काटकर 270000 ही वास्तविक ऋण ) के ऋण के सापेक्ष समय समय पर किस्तों को जमा किया गया है लेकिन बैंक द्वारा कहा जा रहा है कि जमा मात्र 195000 रूपये के करीब ही किया गया। जबकि इसी बैंक द्वारा दूसरी सूचना में जो भुगतान की धनराशि बतायी गयी है, वह लगभग 264000 रूपये  है। यह धनराशि बैंक द्वारा निर्धारित 84 माह के लिये 3300 रूपये मासिक के हिसाब से 81 माह की है।यही नही रूपये 75000 की सब्सिडी की धनराशि जो भारत सरकार द्वारा ऋणी को दी गयी थी, बैंक उसको 4 सालों तक अपने खाते में रखने के बाद ऋणी के खाते में जमा किया गया, यह अतिरिक्त है । इसको मिला दिया जाय तो कुल जमा 339000 हो जाता है।





अगर सब्सिडी की यह धनराशि 4 साल पूर्व मिली होती तो युवक को ऋण पर कम ब्याज व किस्तों का भुगतान करना पड़ता। यही नही बैंक ने बिना किसी सूचना के 3300 की किस्त को 4300 कर लिया और इससे भी नही मन भरा तो 5300 की कटौती करनी शुरू कर दी क्योंकि इनको कटौती के लिये पेंशन अकाउंट जो मिल गया था। हद तो तब हो गयी ज़ब बैंक ने ऋणी के व्यक्तिगत खाते से बिना किसी सूचना या सहमति के 10 हजार रूपये काट किया। ऋणी बैंक के अधिकारियो के यहां दौड़ता रहा, ज़ब कोई सुनवाई नही हुई तो पहले जन सूचना के माध्यम से सूचना प्राप्त की और अब इसी सूचना के आधार पर माननीय न्यायालय की शरण में पहुंच गया है।

यह मामला है बनकटा निवासी युवक भानु प्रताप सिंह का, जिन्होंने पत्तल उद्योग के लिये प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत ऋण लिया था, जो अब बैंक के अधिकारियो के चलते गले की फांस बन गयी है। किस्तों को समय से जमा करने के वावजूद बैंक की प्रताड़ना से यह युवक इतना परेशान हो गया है यह कोई भी गलत कदम उठा सकता है।

सुनिये पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियो ने कैसे किया है प्रताड़ित



बैंक की प्रताड़ना और जन सूचना के तहत गलत सूचना देने के कारण भानु प्रताप सिंह के अधिवक्ता मनोज राय हंस ने माननीय सीजेएम बलिया की अदालत में बैंक के 5 अधिकारियो के खिलाफ 156(3) के तहत वाद दाखिल किया है। अधिवक्ता मनोज राय हंस के अनुसार सुनिये बैंक ने कैसे कैसे ऋणी को प्रताड़ित किया है जबकि किस्तों की अदायगी ऋणी के पिता जी के पेंशन अकाउंट से समय पर होती रही है। इस बात को बैंक भी मान रहा है।