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फाइलेरिया का प्रसार स्तर जानने के लिए हुआ नाइट ब्लड सर्वे :अवाया गांव में 175 लोगों का लिया सैंपल





● प्रधान और सहयोगी संस्थाओं ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका 

बलिया।। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत स्वास्थ्य टीम ने मंगलवार को सियर तहसील के अवाया ग्राम में हुए एक दिवसीय नाइट ब्लड सर्वे में 175 लोगों के सैंपल लिए गए। इस कार्य में सहयोगी संस्थाओं और अवाया ग्राम प्रधान डॉ मनोज कुमार ने सैंपल देने के लिए लोगों को एकत्रित करवाने में विशेष योगदान दिया।

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी यानि माइक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए बनी टीम लोगों के ब्लड का सैंपल रात में लेती है। उन्होंने बताया कि सर्वे में 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं व पुरुषों का सैंपल लिया गया है। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाईं गईं हैं। इनसे परजीवी होने या न होने की पुष्टि की जाएगी। इस सर्वे का उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल उपचार शुरू कर जिले को फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए ग्राम प्रधान, आशा संगिनी और आशा कार्यकर्ताओं के जरिये नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था। इसी क्रम में 175 लोगों ने अपनी जांच कराई आशा संगिनी इंदु आर्या,आशा कार्यकर्ता रुक्मिणी भारती, पिंकी भारती, रेखा देवी एवं रीमा वर्मा ने लोगों के पंजीकरण में सहयोग किया।





              क्या है फाइलेरिया

 जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है।

                         लक्षण  

1. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।

2. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।

3. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।

4. महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।

5. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।

                        बचाव 

1. लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।

2. फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल एक बार कर के बचा जा सकता है।

3. फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।

4. साफ़-सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें।

5. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

 जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4859 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 654 और लिम्फोडीमा के 4205 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 654 मरीजों में से 131 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। 4205 लिम्फोडीमा के मरीजों में से 2299 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है।

इस नाइट ब्लड सर्वे में फाइलेरिया इंस्पेक्टर ओम प्रकाश पाण्डेय, शिव शंकर सिंह वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन, मनु कुमार क्षेत्र सेवक, प्रमोद कुमार, ज्योति कुमार ,उमेश कुमार, पाथ संस्था के जिला समन्वयक नितेश कुमार ने सहयोग किया।