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बलिया में व्यापारियों ने निकाला कैंडल मार्च : सुदखोरों की संपत्ति की जांच व बुलडोजर चलाने की मांग, दो दिन बाद भी पुलिस के हाथ नहीं आये आरोपी

 


मधुसूदन सिंह

बलिया।। 1 फरवरी को आर्म्स व्यवसायी नन्दलाल गुप्ता द्वारा सुदखोरों के आतंक से फेसबुक लाइव आकर की गयी आत्महत्या प्रकरण में नामजद सुदखोरो की गिरफ्तारी न होने से व्यापारी समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को व्यापारियों ने कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध भी दर्ज करवाया। व्यापारियों ने मांग की है कि स्व नन्दलाल गुप्त की पत्नी को सरकारी नौकरी, और मुआवजा सरकार को तत्काल देनी चाहिए।



शुक्रवार शाम 7:00 बजे व्यापारी संगठन द्वारा नंदलाल गुप्ता के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकाला गया एवं नामजद एफ आई आर दर्ज अपराधियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो, पुलिस अधीक्षक बलिया एवं  जिलाधिकारी  बलिया से मांग की। इसके साथ यह भी कहा कि बलिया में बाबा का बुलडोजर चलें जिससे अपराधियों पर लगाम लगे।

इस कैंडल मार्च में राहुल गुप्ता युवा जिलाध्यक्ष अपना दल एस जनपद बलिया एवं जिला प्रवक्ता एवं व्यापारी नेता व्यापारी नेता सुनील परख जी आकाश पटेल बिट्टू जी श्याम जी रौनियार हीरालाल रौनियार राधेश्याम रौनियार संजय गुप्ता जी संजय जीएसटी अनूप गुप्ता जी संजय गुप्ता जी तमाम व्यापारी नेता उपस्थित रहे हैं।

वही इस घटना के होने के अगले दिन सुबह ही बलिया सदर विधायक और मंत्री दयाशंकर सिंह ने परिजनों से मुलाक़ात कर उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया। शुक्रवार को बलिया के ही दूसरे मंत्री दानिश आजाद अंसारी भी परिजनों को ढाढ़स बढ़ाने मृतक नन्दलाल के परिजनों से मिले। इस दौरान ज़ब मीडिया के लोगों ने इस कांड में आरोपी लोगों के भाजपा से संबंध होने, और इनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी, तो मंत्री सिर्फ यही कहते रहे कि क़ानून अपना काम करेगा और खिसक लिए।



बुलडोजर चलने में आ सकती है टेक्निकल प्रॉब्लम

एक तरफ जहां शहर का एक एक व्यापारी यह चाह रहा है कि आरोपी सभी सुदखोरों की संपत्तियों पर योगी जी बुलडोजर चलवाये, तो वही ऐसी कार्यवाही होने में प्रशासन के सामने टेक्निकल प्रॉब्लम भी आ रही है। जीतने भी सुदखोर आरोपी बनाये गये है, उनके खिलाफ यही बड़ा मुकदमा है, इसके पहले तो इन लोगों के खिलाफ कोई तहरीर भी देने को तैयार नहीं होता है। चुंकि ये लोग पहले से किसी अन्य जघन्य कृत्य के आरोपी नहीं है, इस लिये प्रशासन भी फूँक फूँक कर कदम उठा रहा है।

प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती इनकी संपत्तियों को आय से अधिक वाली साबित करनी है। जबतक यह साबित नहीं होता है बुलडोजर चलना मुश्किल लग रहा है। व्याज पर पैसा देना अपराध नहीं है, अपराध तब है ज़ब सुदखोर सरकार द्वारा निर्धारित दर से अधिक लेकर कर्ज लेने वाले व्यक्ति को प्रताड़ित करना शुरू कर दे। स्व नन्दलाल गुप्त प्रकरण में प्रताड़ना ही प्रमुख अपराध है।

कैसे देते है कर्ज

सुदखोरों द्वारा कर्ज लेने वाले व्यक्ति से ऐसे सादे स्टाम्प पेपर पर हस्ताक्षर कराया जाता है जो कई साल पुराना होता है। ऐसा ये इस लिए करते है कि अगर कर्जधारी व्यक्ति उनके द्वारा निर्धारित दस रूपये सैकड़ा प्रतिमाह की दर से ब्याज नहीं चुकता करता है तो वे स्टाम्प पेपर पर पीछे के सालों से सरकारी दर 2 रूपये सैकड़ा साधारण ब्याज के हिसाब से निकाल कर कर्जधारी पर लाखों रूपये की देनदारी निकाल देते है।








राजनैतिक उच्चे रसूख इनके होते है मददगार

किसी भी जनपद में सुदखोरी का धंधा करने वाले राजनेताओं के सबसे बड़े सहयोगी के तौर पर अपने आप को दर्शाने के लिए नेता जी के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर न सिर्फ भाग लेते है बल्कि बेतहाशा खर्च भी करते है। इसी गुण के कारण ये नेताओं के सबसे बड़े चहेतो में कार्यकर्ताओ से भी ऊपर होते है। राजनेताओं के सहयोगी होने के कारण प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्यवाही करने से बचता रहता है। स्थानीय प्रशासनिक कर्मी तो इनके यहां दरबार लगाते हुए भी देखे जा सकते है। इनके लिये कोई दल नहीं सत्ता प्यारी होती है। बलिया में जो भी आरोपी है वे सपा की सरकार में सपा के समर्थक थे, जो आज भाजपा के समर्थक है।

तीन दिन बाद भी पुलिस के हाथों में नहीं आये आरोपी

नन्दलाल गुप्ता द्वारा फेसबुक लाइव आकर की गयी आत्महत्या और इसके एक दिन बाद मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बलिया पुलिस के हाथ अभी तक एक भी आरोपी नहीं लगे है। वैसे पुलिस का दावा है कि चार टीमें बनाकर आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दबिश देकर गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। ऊँची रसूख और अकूत धन दौलत इनकी गिरफ्तारी में बाधक बन रहा होगा, ऐसा लोगों का कहना है। अब देखते है कितनी जल्दी पुलिस इनको गिरफ्तार कर पाती है।

एक सुदखोर द्वारा की गयी पिटाई की भी चर्चा

बलिया गन हॉउस के सामने लगभग दो घंटो से अधिक समय तक खड़ी एक लक्ज़री गाड़ी और उसमे बैठा सुदखोर भी लोगों के बीच चर्चा में है। कहा जा रहा है कि ज़ब इस सुदखोर को पता चला कि नन्दलाल ने दो लोगों के नाम अपनी जमीन लिख दी है तो वह आग बबूला हो गया और नन्दलाल को खूब गालियां देते हुए मारा पीटा भी। इसी के बाद नन्दलाल द्वारा आत्महत्या कर ली गयी, ऐसा कहा जा रहा है।