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एनजीटी के आदेश पर आयी जांच समिति की रिपोर्ट पर बोले शिकायतकर्ता धर्मेन्द्र सिंह : आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास


मधुसूदन सिंह

बलिया।। जयप्रकाश नारायण पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र के अंतर्गत स्थित जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के परिसर मे चल रहे निर्माण कार्यों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण के लिये ख़तरनाक बताते हुए एनजीटी मे शिकायत के बाद जांच के लिये बलिया पहुंची जांच द्वारा जांचोपरांत भेजी गयी रिपोर्ट पर शिकायतकर्ता धर्मेंद्र सिंह ने सवाल खड़ा करते हुए इस रिपोर्ट को ही अस्वीकार करने की बात बलिया एक्सप्रेस से बातचीत मे कही है। कहा है कि जिस तरीके की रिपोर्ट इस समिति ने तैयार कर एनजीटी को भेजी है, उसको मै अस्वीकार करता हूं। कहा कि मै माननीय एनजीटी से पुनः केंद्रीय समिति से जांच कराने का अनुरोध आगामी 4 जनवरी को करूंगा । कहा कि इस रिपोर्ट को देखने के बाद मुझे एक चर्चित मुहावरा याद आता है --- आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास।

कहा कि सबसे बड़ा हास्यास्पद आदेश तो जिला प्रशासन द्वारा पूरे विश्वविद्यालय परिसर को सुरहाताल के क्षेत्र से अलग करने का है। कहा कि ज़ब मेरे द्वारा 9 सितंबर 2022 को माननीय एनजीटी मे शिकायत की गयी है तो 19 दिसंबर 2022 को वन बंदोबस्त अधिकारी बलिया राजेश कुमार गुप्त ने आनन फानन मे पूरे विश्वविद्यालय परिसर को ही जयप्रकाश पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र से कैसे बाहर कर सकते है जबकि आगामी 4 जनवरी को ही एनजीटी मे इसकी अगली सुनवाई है। इसको एनजीटी निर्धारित करेंगी कि विश्वविद्यालय परिसर प्रतिबंधित क्षेत्र मे है कि नहीं, यह वन बंदोबस्त अधिकारी कैसे कर सकते है?


बता दे कि धर्मेन्द्र सिंह ने 9.9.2022 को माननीय सुधीर अग्रवाल न्यायिक सदस्य, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकारण फरीद कोट हॉउस नईदिल्ली को एक शिकायती पत्र भेजकर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय मे हो रहे निर्माण कार्यों को एनजीटी की गाइड लाइन का उलंघन बताया है और इससे जयप्रकाश पक्षी विहार मे प्रवास करने वाले पक्षियों और जीव जंतुओ के लिये खतरनाक बताया है।


श्री सिंह ने भारत सरकार द्वारा जारी किया गया वह राजपत्र भी अपनी शिकायती पत्र के साथ संलग्न किया है, जिसमे साफ तौर पर कहा गया है कि सुरहाताल के चारो तरफ का एक किमी का क्षेत्र संरक्षित है। एनजीटी द्वारा जो मानचित्र गूगल मैप के द्वारा दर्शाया गया है उसके अनुसार विश्वविद्यालय परिसर भी एक किमी के संरक्षित क्षेत्र मे ही है।





29 दिसंबर को जांच करने पहुंची उच्च स्तरीय जांच समिति से शिकायतकर्ता धर्मेन्द्र सिंह ने ज़ब यह सवाल किया कि वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र घोषित है तो फिर इस क्षेत्र मे राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (NBWL)से भी निर्माण की अनुमति क्यों नहीं ली गयी है। ऐसे क्षेत्रो मे वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण किसी भी प्रकार के निर्माण से पूर्व अनुमति लेनी जरुरी है, आखिर अनुमति क्यों नहीं ली गयी है? इसका भी जबाब किसी स्थानीय अधिकारी के पास नहीं था।

धर्मेन्द्र सिंह ने फिर कहा कि यह क्षेत्र वन्य जीवों के लिये संरक्षित है,जो इको सेंसेटिव जोन भी है,उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से बिना अनुमति के पक्की सड़क का निर्माण कैसे कराया जा रहा है? कहा कि सॉलिड वेस्ट निस्तारण की क्या व्यवस्था है?

शिकायतकर्ता द्वारा पूंछे गये किसी भी सवाल का जबाब स्थानीय अधिकारियो के पास नहीं था। अधिकारियो की चुप्पी बता रही थी कि विश्वविद्यालय परिसर मे निर्माण कार्य की शुरुआत हड़बड़ी मे और नियमों की अनदेखी कर के की गयी है। जाँच टीम जाँच के बाद वापस चली गयी है।

अब ज़ब जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट प्रेषित की है तो इसकी रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े हो गये है। जांच टीम ने एक तरफ यह भी लिखा है कि यह परिसर सुरहाताल से 250 से 600 मीटर की दुरी पर स्थित है, तो दूसरी तरफ यह भी कह रही है कि इससे पक्षी विहार के किसी जीव जन्तु को खतरा नहीं है। जबकि इसको सरकार द्वारा इसको जयप्रकाश पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित करते समय जारी राजपत्र मे साफ लिखा है कि इसके एक किमी तक कोई भी पक्का निर्माण नहीं हो सकता है।

दूसरा सवाल यह है कि जांच टीम यह जांच करने आयी थी कि इसके परिसर के अंदर चल रहा निर्माण कार्य शासन द्वारा पक्षी अभ्यारण्य क्षेत्र होने और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाला तो नहीं है और इसकी संबंधित विभागों से अनुमति ली गयी है कि नहीं? लेकिन इस बिंदु पर न तो समिति ने विश्वविद्यालय या जिला प्रशासन से कोई सवाल किया है, न ही अपनी रिपोर्ट मे ही कोई जिक्र किया है? सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या विश्वविद्यालय मे पठन पाठन शुरू हो जाने से पर्यावरण को नुकसान करने वाले, जीव जंतुओ, पक्षियों को नुकसान पहुँचाने वाले कृत्य किये जा सकते है? नीचे किये गये दांवे और निर्गत आदेश को देखिये और समझिये। इसके अनुसार नैसर्गिक रूप से मानव जीवन का विकास व उत्थान सर्वोपरि है, पक्षियों के लिये घोषित अभ्यारण्य क्षेत्र भी कोई बाधा नहीं है।साथ ही यह कहना कि इस परिसर मे कोई भी और कभी भी प्रवासी / स्थानीय पक्षी नहीं आते है? हास्यास्पद के अलावा कुछ नहीं है। क्या पक्षियों ने विश्वविद्यालय परिसर के पेड़ पौधों को भारत पाकिस्तान के बार्डर की तरह निर्धारित करके अपनी उड़ानो को प्रतिबंधित कर दिया है? दूसरी बात यह कही गयी है परिसर मे जलभराव नहीं है और जल निकासी की समुचित व्यवस्था है फिर नीचे के फोटोग्राफ को देखिये परिसर मे नाव से प्रशासनिक अधिकारी गण क्या देख रहे है?







वन जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (यथा संशोधित) की धारा (22/24) के अन्तर्गत कार्यवाही


दावा सं0 - 1


जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के पत्रांक संख्या जे० एन०सी०यू० / सा०प्र० / 2790/2022 दिनांक 14 नवम्बर 2022 द्वारा 09 विन्दुओं पर उल्लेख करते हुए जिलाधिकारी महोदया बलिया को सम्बोधित कर जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के समस्त क्षेत्रों को पक्षी विहार से बाहर करने का अनुरोध किया गया है-


1. मौजा बसन्तुपुर एहतमाली में गाटा संख्या / रकबा कमशः 677/0.02, 679/0.05. 680/0.05 681/ 0.07, 682/0.07, 686/0.18, 687/0.13, 688/1.60, 688/0.30, 689/1.60, 690/0.25, 691/0.22, 892/0.65, 693/0.53, 694/0.59, 695/0.55, 696/1.04, 696/0.60, 750/0.60, 751/0.58, 752/0.62, 753/0.05, 754/0.07, 755/0.28, 756/0.42, 757/1.58, 758/0.61, 759/0.06, 760/0.51, 761/0.43, 762/0.10, 763/0.72, 810/0.20, 812/0.32, 813/0.80, 814/0.72, 815/0.33, 816/0.40, 817/0.25, 818/0.19, 819/0.93, 820/1.85, 821/4.92, 822/0.25, 825/0.22, 826/0.32, 840/0.16, 841/0.13, 842/0.80, 843/0.65, 844/0.78, 845/0.33, 846/0.54, 847/1.08, 847/0.41, 848/0.02, 848/0.96, 849/0.69, -1/2, 854/0.10, 857/034, 858/0.84, 859/0.66, 860/1.05, 865/1.10 -5/6, 866/1.30, 867/1.24, 868/ 1.19, 869/1.024,870/0.80871/0. 41,872/0.69, 873/1.19 874/0.72 875/0.80, 876/0.62, 877/0.56, 878/0. 49, 879/1.08, 879/0.40, 905/0.52, 906/0.04, 1603/0.06 1604/0.18 गाटा 78 रकबा 51.00 एकड़ (20.642 हे0) जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के नाम से दर्ज है।

2. उक्त क्षेत्र मे स्थित जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के विभिन्न संकायों / पाठयक्रमो पठन पाठन का कार्य सुचारू रूप से वर्ष 2017-18 से अनवरत चल रहा है। वर्तमान समय में काफी संख्या में विद्यार्थी विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हैं।

 3. जनपद बलिया में अवस्थित इस विद्यालय में विभिन्न जनपदों के सुदूर क्षेत्रों से विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु यहां आते है।

4. विन्दु संख्या 01 में वर्णित भूमि जलीय क्षेत्र से दूर स्थित है तथा यहाँ पर कभी भी प्रवासी / स्थानीय जलीय पक्षी नही आते हैं।

5. इस विश्वविद्यालय का सम्पूर्ण क्षेत्र चहारदीवारी से घिरा हुआ है तथा वर्तमान में ले-आउट के अनुसार पानी निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है।

7.नैसर्गिक दृष्टिकोण से मानव जीवन का उत्थान एवं विकास सर्वोपरि है। विश्वविद्यालय के संचालन से आस पास के जनपदो के छात्र- छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। जिससे नौकरी / रोजगार प्राप्त कर अपने जीविकोपार्जन एवं आर्थिक स्थिति मे सुधार कर सकेगें।

8.उपरोक्त वर्णित तथ्यों के आलोक में अनुरोध किया गया है कि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के समस्त क्षेत्रों को पक्षी विहार से बाहर करने का कष्ट करें।