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आरक्षण मुद्दे पर कल भी हाई कोर्ट मे सुनवाई, कल तक बढ़ा स्थगन आदेश



नगर निकाय चुनाव आरक्षण पर हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में ये 10 दलीलें रखीं यूपी सरकार ने

लखनऊ।। प्रयागराज हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने निकाय निर्वाचन से संबंधित स्टे को कल तक के लिए बढ़ा दिया गया है अब अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2022 को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई।

 ओबीसी आरक्षण को लेकर यूपी सरकार ने 10 बड़ी दलीलें जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान रखी। हालांकि हाईकोर्ट इन दलीलों पर कितना सहमत होता है, ये बस कुछ समय की बात है। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ  रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर  सुनवाई कर रही है। 

सरकार द्वारा दी गयी 10 बड़ी दलीले --

 1-स्थानीय निकाय चुनाव मामले में प्रदेश सरकार ने कहा है कि 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए

2- शहरी विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता

3- हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई 

4-सरकार ने कहा है कि 5 दिसंबर, 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है

5-जनहित याचिकाओं में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित लाभ दिए जाने व सीटों के रोटेशन के मुद्दे उठाए गए हैं. याचियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत, जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता. राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया

6-याचिकाकर्ताओं ने यह भी दलील दी कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने गत 5 दिसंबर को अनंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया. इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है. साथ ही सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई है. याची ने इन कमियों को दूर करने के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का आग्रह किया

7- सरकारी वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया था कि 5 दिसंबर की सरकार की अधिसूचना महज एक ड्राफ्ट आदेश है. जिस पर सरकार ने आपत्तियां मांगी हैं

8- नगर निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति का आकलन करेगा. इसके बाद पिछड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करेगा. दूसरे चरण में स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण कराया जाएगा और तीसरे चरण में शासन के स्तर पर सत्यापन कराया जाएगा

9- रैपिड सर्वे में जिला प्रशासन की देखरेख में नगर निकायों द्वारा वार्डवार ओबीसी वर्ग की गिनती कराई जाती है. इसके आधार पर ही ओबीसी की सीटों का निर्धारण करते हुए इनके लिए आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाता है

10-सरकार की ओर से 2017 के ओबीसी आरक्षण को आधार मानकर चुनाव कराने की बात कही गई है।








ठीक से नहीं दायर की गयी पीआईएल 

यूपी निकाय चुनाव से जुड़ी सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर यह है कि कोर्ट रुम में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गयी है। लेकिन कल भी कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 21 दिसंबर को फिर सुनवाई होंगी।

वही सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश की टिप्पणी कि ठीक से नहीं दायर की गई पीआईएल, चर्चा मे है।PIL याचिकाकर्ता पर जज महोदय ने आपत्ति जताई है।