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धन्य है नगर पालिका बलिया के ईओ और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी : योगी सरकार मे भी घायल सांड का इलाज व रखरखाव के लिए नहीं है इनके पास फुरसत




मधुसूदन सिंह

बलिया।। पिछके 15 दिनो से योगी सरकार मे भी एक घायल सांड दर्द से तड़पते हुए गली गली घूम रहा है लेकिन धन्य है बलिया का जिला प्रशासन जो एक पशु का इलाज भी नहीं करा पा रहा है जो सिविल लाइन क्षेत्र मे ही घूम रहा है। प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही यानी लगभग 6 साल से सड़क पर आवारा रूप से घूमने वाले /घायल गो वंशीय पशुओं को भोजन व उचित चिकित्सा मिले इसके लिए गो आश्रय केंद्र भी सभी शहरी क्षेत्रो और ग्रामीण इलाकों मे न्याय पंचायत स्तर पर खोल रखी है। शहरों मे इसकी जिम्मेदारी अधिशासी अधिकारीयों और ग्रामीण अंचलों मे बीडीओ को सौपी गयी है। इन दोनों अधिकारीयों की जिम्मेदारी है कि सड़कों पर उपरोक्त पशु न घूमें।

यही नहीं इसके साथ ही इन गो आश्रय केन्द्रो मे रहने वाले गो वंशीय जानवरों की स्वास्थ्य संबंधी चिकित्सा की जिम्मेदारी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की है। अगर सड़क पर कोई घायल पशु घूमता हुआ मिलता है तो उसको गो आश्रय केंद्र ले जाने और इलाज करने की भी जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र मे ईओ और सीवीओ/ स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी की और ग्रामीण क्षेत्रो मे बीडीओ और सीवीओ/ स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी की है। लेकिन बलिया शहर के सिविल लाइन क्षेत्र के कुंवर सिंह चौराहे से लेकर आनंद नगर, रामपुर मुहल्लों मे बुरी तरह से घायल होकर दर्द से छटपटाते हुए एक सांड विगत 20 दिनों से घूम रहा है लेकिन इसका इलाज आजतक शुरू नहीं हो पाया है।

क्या कह रहे है अधिशासी अधिकारी नगर पालिका बलिया

इस संबंध मे पिछले 11 दिसंबर,13 दिसंबर को नगर पालिका बलिया के अधिशासी अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह से बात की गयी तो इनका जबाब था कि हमारे कर्मचारियों ने बताया है कि जो सांड घायल है वह भारी सांड है, उसको आदमियों के सहारे पकड़ने मे पकड़ने वालों के ही जानमाल का खतरा हो सकता है। कहा कि यह तभी पकड़ा जा सकता है ज़ब इसको इंजेक्शन से बेहोश किया जाय। ज़ब तक पशु चिकित्सा विभाग इस इंजेक्शन को उपलब्ध नहीं कराता है, इसको पकड़ पाना मुश्किल है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उवाच

बलिया के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी भी इस घटना से पूरी तरह से भिज्ञ है। इनका कहना है कि शहरी क्षेत्र के गो आश्रय केंद्र के चिकित्सक भी घायल सांड को देख चुके है। इनका कहना है कि ज़ब से वर्तमान ईओ ने कार्यभार ग्रहण किया है तब से गो आश्रय केंद्र से संबंधित पशुओं से संबंधित किसी भी सलाह को सुनते है, न ही बातचीत करने मे ही दिलचस्पी रखते है। कहा कि हमारे स्थानीय चिकित्सक के अनुसार इनको इस घायल सांड को पकड़ कर गो आश्रय केंद्र लाने के लिए कई बार इनसे मिलकर /मोबाइल से कहा गया है लेकिन ये सुन ही नहीं रहे है। कहा कि जबतक पकड़ा नहीं जायेगा, तबतक इसका इलाज संभव नहीं है।

रेबीस से ग्रसित हो चूका होगा यह सांड 

 आलम यह है कि एक घायल सांड पिछले लगभग 15 दिनों से सड़क पर घूम रहा है लेकिन इसकी तरफ किसी का ध्यान नही जा रहा और अब इसके रेबीस से ग्रसित होने का भी खतरा बढ़ गया है जो आम लोगों के लिये एक खतरे की घंटी की तरह बजते हुए घूम रहा है ।इसके बैठने पर इसके जख्म को कुत्ते चाट रहे है /काटकर खा रहे है लेकिन जिला प्रशासन की कोई भी मिशनरी इसके इलाज के प्रति संजीदा नही दिख रही है।

अगर उसी तरह दो चार दिन मे इसका इलाज शुरू नहीं हुआ तो इसका घांव सड़ने लगेगा जिससे इसके अंदर के रेबीस के कीटाणु जोर पकड़ लेंगे, जिनके प्रभाव से यह स्थानीय लोगो को काटना भी शुरू कर सकता है। ऐसी परिस्थिति कितनी भयावह हो जाएगी, यह सोच कर ही स्थानीय लोग दहशत मे है। लोगों का तो यहां तक कहना है कि योगी सरकार मे भी ऐसे संवेदनहीन अधिकारी है जो सरकार की मंशा के विपरीत कार्य करने पर उतारू है और प्रशासनिक अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे है ।

 












रेबीस से ग्रसित होने का बढ़ गया है खतरा

इस घायल सांड के बैठने पर इसके जख्मो को कुत्तो द्वारा नोच कर खाने से इसको रेबीस से प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है। अगर इसको पकड़कर जल्द से जल्द इलाज शुरू नही हुआ तो यह स्थानीय लोगों को रेबीस से प्रभावित होकर जब काटने लगेगा तो इसके शिकार सैकड़ो लोग हो जायेंगे। जिसके लिए जिला प्रशासन, पशु चिकित्साधिकारी और नगर पालिका के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। अब देखना यह है जब मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और ईओ नगर पालिका दोनों इस घटना से भिज्ञ हो चुके है, तो इस सांड को कब तक पकड़ कर इलाज शुरू कराते है?