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अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड में सनबीम की अनामिका सिंह हुई राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान से सम्मानित, सनबीम के 15 बच्चों को मिला है स्वर्ण पदक




नईदिल्ली / बलिया।।हिंदी भाषा की प्रभावशीलता के संदर्भ में भारतेंदु हरिश्चंद्र की यह उक्ति कि निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल सर्वविदित है किंतु आज वर्तमान समय में अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम घटता दिख रहा है। ऐसे समय में बच्चों में भाषा के प्रति लगाव को बढ़ाने, मानव जीवन में भाषा की उपयोगिता को समझाने के लिए तथा विश्व पटल पर हिंदी को स्थान दिलाने के  लिए दिल्ली स्थित हिंदी विकास संस्थान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा प्रथम से बारहवीं तक के बच्चों के लिए  हिंदी ओलंपियाड का आयोजन करता है। जिसमे उनकी आयु के अनुसार भाषा (व्याकरण) से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।इसमें 114 देशों के बच्चों ने भाग लिया था।

 इस वर्ष भी 23 अगस्त 2022 को यह ओलंपियाड आयोजित किया गया था जिसमे बलिया जिले के अगरसंडा ग्राम स्थित सनबीम स्कूल के कक्षा प्रथम से दसवीं तक के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया था। जिसका परिणाम की घोषणा दिनांक 8 नवंबर को की गई थी। बता दें कि इस ओलंपियाड में सनबीम के 15 बच्चों ने स्वर्ण पदक तथा  कक्षा 10 वी की अनामिका सिंह ने स्वर्ण पदक सहित राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान प्राप्त किया। जिसका सम्मान समारोह आज दिनांक 8 दिसंबर को दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एनआईओएस की चेयरमैन डॉ सरोज शर्मा तथा प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं लेखक डॉ अजय तिवारी ने राष्ट्रीय एवम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफ़लता प्राप्त सभी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र एवं ट्रॉफी देकर सम्मानित किया।









 अनामिका सहित सभी पदकधारी विद्यार्थियों की इस अदभुत सफलता से समस्त विद्यालय परिवार में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष  संजय कुमार पांडेय तथा सचिव  अरूण कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को शुभकामनाए देते हुए कहा कि   विद्यार्थी ही  भाषा को  उच्च शिखर पर मुकाम दिला सकते हैं। इसलिए उन्हें विभिन्न विषयों के साथ साथ भाषा के प्रति अपने भीतर प्रेम जगाए रखना है।


 विद्यालय निदेशक डॉ कुंवर अरूण सिंह ने कहा कि बलिया की पावन धरती पर अनेक  श्रेष्ठ साहित्यकारों का जन्म हो चुका है तथा आज भी यहां इतनी प्रतिभा छुपी है कि अनेक साहित्यकार उभर कर आ सकते हैं।

उन्होंने बताया कि विद्यालय में सदैव ही समस्त विषयों को समान प्राथमिकता दी जाती है फिर चाहें वो गणित हो,विज्ञान हो, भाषा हो या कला। शिक्षकों का कार्य ही बच्चों में छुपी प्रतिभा को पहचानकर बाहर निकलना।आज बच्चों में इंजीनियर और डॉक्टर बनने की होड़ इतनी बढ़ गई है कि उनमें भाषा के प्रति लगाव घट सा गया है। अतः ऐसी प्रतियोगिताएं बच्चों में भाषा के प्रति प्रेम को बढ़ाएंगी।


 विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने अनामिका को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों और उनके  मार्गदर्शक अध्यापकों का अथक परिश्रम ही है जो विद्यार्थियों को समस्त प्रतियोगिताओं में उच्च शिखर पर ले जाता है। अनामिका ने यह सम्मान प्राप्त कर न केवल अपने माता पिता अपितु विद्यालय सहित संपूर्ण जिले को गौरवान्वित किया है।