टीबी एक संक्रामक रोग है, बरतें सावधानी : मधुमेह रोगी, धूम्रपान और तंबाकू खाने वालों को ज्यादा खतरा
नियमित दवा और बेहतर खानपान से पूरी तरह ठीक हो जाता है क्षय रोग
बलिया।।हमारे देश के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है। टीबी माइकोबैक्टीरियम नामक जीवाणु के कारण होता है। टीबी बाल और नाखूनों को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। लेकिन 90 फीसदी मामले फेफड़ों की टीबी के ही होते हैं। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार का।
डीटीओ ने बताया कि फेफड़ों की टीबी फैलने वाली बीमारी है। संक्रमित व्यक्ति के बिना मास्क लगाए खांसने, छींकने या बोलने पर टीबी के जीवाणु फैलते हैं। टीबी का उपचार शुरू होने के दो सप्ताह बाद इसके संक्रामक होने की आशंका काफी कम हो जाती है। क्षय रोगी के साथ ऐसा कोई व्यवहार न करें जिससे उसकी भावनाएं आहत हों, क्षय रोगियों को भावनात्मक सहयोग प्रदान करते रहें।
उन्होंने बताया कि धूम्रपान करने, तंबाकू चबाने, मदिरापान करने और भीड़भाड़ वाली संकरी जगहों पर रहने वाले, मधुमेह रोगी और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग क्षय रोग के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों को अपनी जांच कराते रहना चाहिए। क्षय रोग विभाग टीबी जांच की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराता है। उन्होंने बताया की टीबी से संक्रमित व्यक्ति काफी कमजोर हो जाता है। ऐसे में खान-पान का बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती है। टीबी रोगियों को अपने भोजन में फल और सब्जियां खूब शामिल करनी चाहिए, जिससे शरीर में विटामिन और मिनरल्स की कमी पूरी होती रहे। इसके अलावा भोजन में प्रोटीन की मात्रा भी पर्याप्त होनी चाहिए। क्षय रोगियों को सेलेनियम, जिंक, फोलिक एसिड और कैल्शियम की भी जरूरत होती है। एक साथ ज्यादा खाने के बजाय रोगियों को बार-बार और थोड़ा-थोड़ा भोजन करते रहना चाहिए।
जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर विवेक सिंह ने बताया कि क्षय रोगियों को लगातार दवा खानी होती है। बीच में दवा खाना नहीं छोड़ना चाहिए, यह बहुत ही खतरनाक स्थिति हो जाती है। चिकित्सक की सलाह से नियमित और पूरा उपचार करें। 15 दिन से ज्यादा खांसी रहने पर जांच अवश्य कराएं।
जिले का डेटा
जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष सिंह ने बताया कि जिले में इस समय 3146 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है जिसमें से 83 एमडीआर टीबी के रोगी हैं | जनवरी 2022 से अब तक कुल 4965 टीबी रोगी नोटिफाई किये जा चुके हैं। अभी तक निक्षय पोषण योजना में 13423 क्षय रोगियों को 3 करोड़ 27 लाख 53 हजार का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जा चुका है।
क्या होता है क्षय रोग
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं।
क्या कहा मरीज़ों ने
गाँव बंधु चक निवासी 40 वर्षीय मृत्युंजय यादव ने बताया कि मुझे लगभग एक महीने अचानक खांसी आने लगी। मुझे लगा कि यह साधारण सी बात है। फिर जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र पर बलगम की जांच हुई तो टीबी रोग की पुष्टि हुई और मेरा टीबी का इलाज शुरू हो गया हैl डाक्टर की सलाह के अनुसार हम छह महीने का कोर्स जरुर पूरा करेंगे।
गाँव गुरवा निवासी 53 वर्षीय उमरावती देवी ने बताया कि मुझे कुछ दिन पहले खांसी, गले में खिच-खिच और सीने में तेज दर्द शुरू हुआ,वजन भी गिरने लगा। मेरे बलगम की जांच जिला क्षय नियंत्रण केन्द्र स्थित टीबी लैब में कराए जाने पर टीबी रोग की पुष्टि हुई। मेरा इलाज शुरू हो गया है। अब इलाज शुरू होने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर हुई है।