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17 अगस्त 1942 को जालियावाला बाग बना रसड़ा



मधुसूदन सिंह

बलिया।। 17 अगस्त तक जिले के गांव गांव मे सरकारी इमारतो पर तथा थानो पर सुराजियो द्वारा कब्जा करने की चर्चा जोर शोर से होने लगी थी। रसड़ा तहसील मे रसड़ा कस्बा के भीतर आसपास के गांवो से जनता आने लगी। एक बड़े जन समूह ने सबसे पहले रसड़ा रेलवे स्टेशन को लूटने के बाद फूँक दिया। इसके बाद पोस्ट ऑफिस मे आग लगा कर यह जनसमूह तहसील की तरफ बढ़ा। तहसील पर सुरक्षा के लिए बंदूकधारी सिपाही तैनात थे। नेताओं ने तहसीलदार से बात की। तहसीलदार बड़े जनसमूह को देखते हुए खुद ही तहसील की इमारत पर तिरंगा फहरा दिया। यह देखते ही जनसमूह का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया। यह जन सैलाब जब थाने पहुंचा तो भय के मारे थानेदार ने भी थाने पर तिरंगा फहरा दिया।

इसी बीच रसड़ा के ठाकुर प्रसाद ने नेताओं से कहा कि मैंने अपने यहां आप लोगो के लिए जलपान का प्रबंध किया है, पहले जलपान कर ले, फिर दूसरा कार्य करें। नेताओं के साथ जनसमूह भी उनके गोदाम पर पहुंचा। गोदाम मे इम्पीरियल बैंक का गोदाम व सरकारी बीज गोदाम भी था। इसके अलावा कुछ कपड़े की गांठे भी रखी हुई थी। जनसमूह जलपान छोड़कर गोदामों को लूटना शुरू कर दिया । जहां लूट हो रही थी, वहां से महज 100 गज की दुरी पर ही थाना था। थानेदार कुछ मुसहरो और सिपाहियों को तैयार करके बैठा था। उसने देखा कि बहुत सारे लोग वापस चले गये है और जो है भी वो हाते के अंदर है,उनपर आसानी के साथ काबू पाया जा सकता है। थानेदार ने अपने अपमान का बदला लेने के लिये मुसहरो और सिपाहियों का सहारा लिया। सबसे पहले उसने हाते का बड़ा दरवाजा बंद कर दिया और मुसहरो को तैनात कर दिया। जो लोग बाहर निकलते थे उन्हें मुसहर अपनी खंती से घायल कर देते थे। लोगो की इतनी बड़ी भीड़ को देखकर, थानेदार जो घोड़े पर सवार था, अपनी रिवाल्वर से गोलियां चलाने लगा। हाते के अंदर जो लोग गये थे, पीछे की दीवार तोड़कर बाहर निकलने लगे। जो लोग फाटक से निकले उनमे से ज्यादे लोग घायल हो गये। इस गोलीकांड मे हरी चमार (सुल्तानपुर निवासी ) और रसड़ा निवासी विश्वनाथ राम तथा श्रीकृष्ण मिश्र वही शहीद हो गये। घायल लोग जो अस्पताल मे भर्ती किये गये थे, उनमे से भी 2 लोग शहीद हो गये।औन्दी गांव मे एक पोस्ट ऑफिस था, जिसे गांव वालों ने आग लगाकर फूंक दिया। इसके लिये बाद मे महराज बहादुर, और मोहन राम के खिलाफ मुकदमा चला।




हल्दी के जहाज घाट और पोस्ट ऑफिस को जलाया 

बलिया से पूरब हल्दी गांव मे जनसमूह पोस्ट ऑफिस को लूटना चाहा। पोस्ट ऑफिस के सेफ मे 300 रूपये और कुछ गहने थे। पोस्ट मास्टर के कहने पर कि ये पैसे और गहने लड़की के है, लोगो ने छोड़ दिया लेकिन बाकी कागजातों मे आग लगा दी। इसके बाद यही जनसमूह हल्दी जहाज घाट पहुंचा और जहाज घाट मे आग लगा दी। इसके साथ ही इस क्षेत्र की शराब व गांजे की दुकानों को फूंक दिया गया। यहां से यह जनसमूह भड़सर पोस्ट ऑफिस पहुंचा लेकिन पोस्ट मास्टर की बीबी के द्वारा हाथ जोड़कर रोने के कारण इसको छोड़ दिया गया। लेकिन शराब गांजे की जो दुकाने थी, उसे जला दिया गया।

सहतवार थाने मे घुस कर कागजात जलाये 

17 अगस्त को 4 बजे हजारों लोग सहतवार थाने पर पहुंच कर थानेदार से बोले कि हम लोग थाने पर कब्जा करने आये है, तुम यहां से चले जाओ। भीड़ थाने के अंदर भीड़ घुस गयी और अंदर रखे सारे कागजातों मे आग लगा दी। थानेदार को थाना खाली करके जाने के लिए 24 घंटे की मोहल्त दी गयी।  यहां से पोस्ट ऑफिस पहुंच कर दरवाजा तोड़कर थैलों मे आग लगा दी। इसके बाद यह दल रेलवे स्टेशन पहुंचा और कुर्सी मेजो को एक जगह रखकर आग लगा दी।