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नर्सिंग होम्स बने लुटखसोट और मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करने का अड्डा,आकाश नर्सिंग होम से सामने आयी दिल दहलाने वाली घटना

 




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की लापरवाही कहे या नोडल अधिकारी की धन उगाही मे संलिप्तता ,कही न कही से गरीब मरीजों के शोषण और लापरवाही व अन ट्रेंड चिकित्सको के द्वारा ऑपरेशन करने के कारण कही जच्चा की, तो कही बच्चे की मौत की खबर आती रहती है । किसी नर्सिंग होम मे मरीज की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन कुम्भकरणी निद्रा से जागता है,जांच बैठाकर अपने दायित्वों की इतिश्री कर लेता है । जांच वर्षो चलती है ।

बता दे कि नेहा नामक लगभग 22 साल की युवती को उसके परिजनों द्वारा 8 जुलाई को प्रसव के लिए जीराबस्ती स्थित आकाश नर्सिंग होम मे भर्ती कराया गया । जहां परिजनों द्वारा चिकित्सक के द्वारा मांगी गयी रकम की आधी तत्काल जमा करा दिया गया । रकम मिलने के बाद नेहा का ऑपरेशन किया गया और बताया गया कि बच्चे की मौत हो गयी है । 






नेहा की तबियत लगातार बिगड़ती रही और आकाश नर्सिंग होम के चिकित्सक इलाज करते रहे । जब इसकी तबियत ज्यादे खराब होने लगी तो उसको अशर्फी अस्पताल मे इलाज के लिए भेज दिये । भेजने से पहले परिजनों से बाहर से लायी गयी दवाओं को छोड़कर कुल 1 लाख 2 हजार का बिल जमा करने को कहा गया । जब परिजनों ने मंत्री जी से बात करायी तो संचालक ने कहा जो जमा करना है करो और अपने मरीज को यहाँ से ले जाओ । परिजनों ने कुल 54 हजार रुपये जमा करके अपने मरीज को अशर्फी अस्पताल तीखमपुर मे भर्ती कराया । यहाँ भी परिजनों से 8 हजार रुपये लेकर इलाज करने के बाद सुधार न होने पर जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया । जहां बेहोशी की हालत मे भर्ती नेहा का इलाज चिकित्सको द्वारा किया जा रहा है ।

ऑन काल चिकित्सको के आधार पर पंजीकरण हो बंद

निजी अस्पतालो के पंजीकरण मे ऑन काल चिकित्सको के आधार पर जो रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है,यही मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का कारण बन गया है । कोई भी आदमी अस्पताल खोलकर किसी भी एम बी बी एस चिकित्सक की डिग्री लगाकर इस लिए पंजीकरण करा लिया जाता है कि अमुक चिकित्सक मेरे यहाँ ऑन कॉल चिकित्स्कीय सेवा प्रदान करते है । जबकि हकीकत की अगर जांच किया जाय तो ऑन कॉल वाले डाक्टर साहब दूसरे जनपद मे निवास करने वाले होते है ।

दूसरा मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ बिना  ऐनेस्थेटिक की मौजूदगी मे होने वाले ऑपरेशन के द्वारा किया जाता है । जनपद मे गिनती के ऐनेथेस्टिक है जबकि बलिया के हर नर्सिंग होम मे ऑपरेशन होते है । ऑपरेशन करने वाला चिकित्सक ही मरीज को बेहोशी की दवा दे देता है जो कभी कभी जानलेवा हो जाता है । इस केस मे भी ऐसा हुआ हो, से इंकार नही किया जा सकता है । इस की भी जांच होनी चाहिए । साथ ही जनपद के सभी निजी अस्पतालो की कम से कम एक सप्ताह की सर्जरी की रिपोर्ट ,ऑपरेशन का समय,ऑपरेशन करने वाले डाक्टर,ऐनेथेस्टिक का नाम, के साथ तलब कर प्रशासन अगर जांच कर ले तो सरे गड़बड़ झाले की पोल खुल जाएगी ।

आकाश नर्सिंग होम भी चलता है ऑनकॉल के सहारे ?

असल मे आकाश नर्सिंग होम मे भी सर्जन ऑनकॉल ही है । इस अस्पताल के संचालक डॉक्टर एच के सिंह एक बीएएमएस उपाधि धारी है । इनके यहां डॉक्टर मनीष तिवारी सर्जन (ऑनकॉल) और मनोज शर्मा ऐनेथेस्टिक है । वही डॉक्टर जमील अहमद जो एम बी बी एस है, चौबीस घंटे सेवा देते है । अब जांच का विषय यह है कि इस ऑपरेशन को किसने किया ? साथ ही इस अस्पताल से सम्बद्ध सर्जन और बेहोशी के चिकित्सक् दोनो लोगो के मोबाइल लोकेशन को भी चेक किया जाय कि वास्तव मे ये लोग 8 जुलाई को आकाश नर्सिंग होम ऑपरेशन के समय थे कि नही ?

पीड़िता का भाई पंकज का बयान



जिला अस्पताल के चिकित्सक का बयान