Breaking News

निरहुआ ने अखिलेश यादव के भाई को हराकर लिया हार का बदला,सपा के गढ़ आजमगढ़ में बुलंद किया भाजपा का झंडा

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। दिनेश लाल यादव निरहुआ , भोजपुरी बोलने या समझने वाले लोग इस नाम से जरा भी अनभिज्ञ नहीं हैं, क्योंकि 2010 का दशक शुरू होते-होते इस नाम ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में वो जगह बना ली थी, जो मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे सुपरस्टार्स को ही नसीब था।

27 मार्च 2019 को भाजपा में शामिल हुए दिनेश लाल निरहुआ ने  2019 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव से मिली हार का बदला ले लिया है । श्री निरहुआ ने अपनी हार का बदला अखिलेश यादव के चचेरे भाई पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को हरा कर 2022 में लिया है। इस जीत से श्री निरहुआ ने सपा के प्रभाव वाले आज़मगढ़ में भगवा लहराया है, भाजपा का झंडा बुलंद किया है।

किसको कितना मिला वोट

 चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार उपचुनाव में बीजेपी के निरहुआ को 3,12,768 वोट मिले । जबकि सपा के धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 वोट मिले । बसपा के गुड्डू जमाली को 2,66,210 वोट मिले । चौथे नंबर पर 4732 वोट नोटा के खाते में आए । यहां निरहुआ 8500 से भी ज्यादा वोटों से चुनाव जीते हैं ।



बसपा से गड़बड़ाए समीकरण

 माना जा रहा है कि बसपा ने रामपुर में वाकओवर दिया और आजमगढ़ में अपना उम्मीदवार उतारकर सपा के सारे समीकरण बिगाड़ दिए । बसपा ने आजमगढ़ में उम्मीदवार उतारकर सपा की मुश्किलें बढ़ी दी थीं । बसपा ने आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित गठजोड़ का बड़ा दांव खेला था । वहीं, बीजेपी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उतारकर सपा के यादव वोटबैंक में सेंधमारी का गेम प्लान सेट किया था । बसपा और बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने और सियासी किले को बचाए रखने के लिए सपा ने बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को उतारा । लेकिन सपा की सोच के अनुरूप अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सका । निश्चित रूप से रामपुर और आजमगढ़ में सपा की हार में बसपा की भूमिका से इंकार नही किया जा सकता है ।

जीत मे इस वादे की भी रही है भूमिका

दुइए बरिस क मौका ह... एह बारी जिता द, अगर नीक ना करब त हरा दिहा लोगन...' यह बात दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने उस वक्त कही था जब वह अखिलेश यादव के गढ़ 'आजमगढ़' की जनता से वोट मांग रहे थे। वह जानते थे कि समय कम है, चुनौती बड़ी है और अखिलेश यादव चुनाव के बाद जनता के बीच दिखे नहीं हैं। उनका वादा ही आजमगढ़ की जनता के दिल में घर कर गया या यूं कहें कि बस गया था। फिर क्या था.. आज जो हुआ वह तो सिर्फ मुहर है.. दरअसल, इसकी स्क्रिप्ट तो निरहुआ के उसी वादे से लिखी जा चुकी थी। सपा समझ ही नहीं पाई और बीजेपी ने देखते-देखते समाजवादी पार्टी के दो अभेद्य दुर्ग रामपुर और आजमगढ़  को ध्वस्त कर दिया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

दिनेश लाल यादव निरहुआ मूल रूप से गाजीपुर के बिरहा परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बेहद साधारण परिवार से आने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ के पिता कोलकाता में 3500 रुपए मासिक की एक नौकरी करते थे, जिससे उन्हें पत्नी के अलावा 5 बच्चों की परवरिश करनी होती थी। निरहुआ का एक भाई भी है। साथ ही उनकी 3 बहनें भी हैं। तब उनके पास एक साइकिल तक नहीं हुआ करती थी और कई किलोमीटर तक पैदल चलते थे। उनका मन बचपन से ही गीत-संगीत में लगता था और चचेरे भाई सुप्रसिद्ध बिरहा गायक विजय लाल उनकी प्रेरणा थे, जो उस इलाके के एक प्रभावशाली बिरहा गायक थे।

भोजपुरी फिल्मी सफर जिसने दिलायी नाम शोहरत दौलत

निरहुआ को पहली फिल्म ‘हमका अइसा-वइसा न समझा’ मिली थी, लेकिन 2006 में ‘चलत मुसाफिर मोह लियो रे’ उनकी पहली रिलीज थी। इस फिल्म में उनका नाम ‘निरहुआ’ ही होता है। कुमार यादव और चंद्रज्योति यादव के बेटे दिनेश को असली पहचान मिली 2007 में आई ‘हो गइल बा प्यार ओढ़निया वाली से’ फिल्म के बाद। इस फिल्म के गाने उस जमाने में यूपी-बिहार और झारखंड के लोगों की जबान पर थे।

 27 मार्च, 2019 को भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन उसके बाद भी उनका फ़िल्मी सफर जारी रहा। 2021 की होली में उन्होंने एक गाना भी रिलीज किया था, जिसमें राम मंदिर के निर्माण की तारीफ़ की गई थी। कुछ गानों में उन्होंने राजनीति का छौंक भी लगाया था। बचपन में कराटे की ट्रेनिंग ले चुके निरहुआ का एक्शन लोगों को इतना पसंद आता था कि उनकी फ्लॉप फ़िल्में भी आराम से 3 सप्ताह चल जाती थीं। डेब्यू के 3 वर्षों के भीतर वो भोजपुरी के ‘जुबली स्टार’ बन गए थे।

उस दौर में उन्होंने फिजी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्टेज शो भी किए। 2007 में ही उनकी फिल्म ‘निरहुआ रिक्शा वाला’ आई थी, जो सुपरहिट रही थी। साथ ही इसके गाने भी जबरदस्त हिट हुए थे। 2014 में आई ‘निरहुआ हिंदुस्तानी’ उनकी 50वीं फिल्म थी। ये फिल्म मल्टीप्लेक्सों तक पहुँची। 2016 में यूपी सरकार ने उनके योगदान को ‘यश भारती सम्मान’ देकर सराहा। 2018 में आई उनकी मूवी ‘बॉर्डर’ ने 19 करोड़ रुपए कमाए, जो भोजपुरी फिल्मों के लिए एक रिकॉर्ड है।





भोजपुरी एलबम ने दिलायी थी पहली बार पहचान

वैसे निरहुआ ने फिल्मों में आने से पहले ही भोजपुरी गीत-संगीत सुनने वालों के बीच अपना नाम बना लिया था, क्योंकि 2003 में आया उनका एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ खासा लोकप्रिय हुआ था। 

2012 में आई ‘गंगा देवी’ फिल्म में वो अमिताभ बच्चन के साथ भी काम कर चुके हैं। 2018 में आई ‘निरहुआ चलल लंदन’ पहली भजपुरी फिल्म थी, जिसकी शूटिंग विदेश में हुई। 2012 में वो ‘बिग बॉस’ संस्करण का हिस्सा भी रह चुके हैं। 2016 में आई उनकी मूवी ‘पटना से पाकिस्तान’ भी खासी लोकप्रिय हुई थी। 

2019 में उन्होंने OTT डेब्यू भी किया और भोजपुरी की पहली वेब सीरीज ‘हीरो वर्दी वाला’ में अभिनय किया।उनकी आने वाली फिल्म ‘वीर योद्धा महाबली’ को हिंदी, बांग्ला, तमिल और भोजपुरी – 4 भाषाओं में रिलीज करने की तैयारी है।

यह है निरहुआ की संपत्ति

चुनावी हलफनामे उन्होंने उन्होंने अपनी संपत्ति लगभग 6 करोड़ रुपए बताई है। उनके पास रेन्ज रोवर और फॉर्च्यूनर गाड़ी भी है।