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सनबीम में शूटिंग रेंज का अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज ओंकार ने किया उद्घाटन,10 मीटर रेंज की पिस्टल व राइफल स्पर्धा में मिलेगी ट्रेनिंग

 


 बलिया।।सनबीम स्कूल बलिया के छात्र अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा निशानेबाजी के लिए भी प्रशिक्षित हो सकेंगे । बता दे कि सनबीम स्कूल बलिया अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास को लेकर हमेशा से तत्पर रहा है और वो मेट्रो सिटी की भांति आधुनिक सुविधाओं और उपलब्धता को सुनिश्चित करने के साथ ही बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु नित नए प्रयोगधर्मिता करता रहता है । इसी कड़ी में  सनबीम स्कूल ने एक और उपक्रम पिस्टल व राइफल से "निशानेबाजी" के प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप 10 मीटर शूटिंग रेंज की स्थापना की है। निशानेबाजी के प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन  राष्ट्रीय फलक पर 2012 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित ओंकार सिंह द्वारा किया गया । 



     शनिवार को सनबीम के सजे हुए विशाल प्रांगण में श्री सिंह ने विधिवत इस विधा का शुभारंभ किया। उन्हें अपने बीच पाकर बच्चे अति उत्साहित व गदगद  थे। उन्होंने सनबीम के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कार्य के संग - संग खेल का यह नया प्रारूप विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कैरियर बनाने में एक और नई विधा की उपलब्धता से छात्रों को आसानी होगी। सनबीम का सम्मान , बच्चों का प्रेम व अभिभावकों का स्नेह मेरे लिए एक अविस्मरणीय पल है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अपनी उपलब्धि की चर्चा करते हुए अनेक प्रश्नों का उत्तर दिया। बच्चों ने भी  उनसे लक्ष्य प्राप्ति हेतु कई टिप्स पूछे। उन्होंने अपने जुझारू तेवर व मधुर व्यवहार से हर किसी पर अमिट छाप छोड़ी। 



श्री सिंह ने शूटिंग में सफलता के लिये बच्चो से ईमानदार प्रयास करने की जरूरत बतायी । वही कहा कि दूसरे खेलो में विपक्षी खिलाड़ी को हराना होता है लेकिन इस खेल में अपने आप से ही जीतना होता है । प्रतियोगिता से पहले अपने अंदर के डर और नकारात्मक सोच को हराना होता है,फिर सफलता मिलती है । जो अपनी नकारात्मक सोच को हरा देगा ,उसको सफल होने से कोई नही रोक सकता है ।



विद्यालय के अध्यक्ष  संजय पांडेय ने जहां इसे उत्कृष्टता की और एक कड़ी बताया वहीं सचिव अरुण कुमार सिंह ने ऐसे प्रशिक्षण को समय की मांग बताया। कहा कि यही क्रियाकलाप सनबीम को अन्य स्कूलों से जुदा करता है। बच्चो का आह्वान किया कि खेल से जुड़ जाओ,अपने आप सामाजिक कुरीतियों से बच जाओगे ।




   विद्यालय के निर्देशक डॉ कुँवर अरुण सिंह ने कहा कि विद्यालय औसतन प्रतिमाह बच्चों के उचित मार्गदर्शन एवं स्वप्रेरणा विकसित करने के लिए किसी न किसी एक राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त विशिष्ट हस्ती को आवश्य ही आमंत्रित कर रहा है।  एक बार में लगभग 20 से 25 बच्चों में यह प्रक्रम, एक नई चेतना का संचार करेगा। डॉ सिंह ने आगे बताया कि  पिछले माह प्रख्यात बाल- मनोचिकित्सक सलोनी प्रिया का वर्कशॉप आयोजित किया गया था। 

कहा कि इस अप्रैल माह के शुरुआत में ही बोर्ड के परीक्षार्थियों को मार्गदर्शन देने एवं परीक्षा में बेहतर स्कोर हासिल करने के टेक्निकल टिप्स देने हेतु मिसेज इंडिया अर्थ अदिति सिंह का कार्यक्रम था। अभी बीते कल ही पाश्चात्य संस्कृति के सम्मोहन के मायावी मायाजाल से परे भारतीय सांस्कृतिक विरासत व लोकविधा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए राजस्थानी कलाकारों द्वारा उत्कृष्ट प्रस्तुति देकर बच्चों को सनबीम ने वास्तविक कला से अवगत कराया। अपने इन्ही छोटे प्रयासों एवं नये-नये प्रयोगों के साथ सनबीम स्कूल अपने छात्रों के उज्जवल भविष्य निर्माण की प्रयोगशाला बनने में प्रयासरत हैं। 




     प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने कहा कि  विद्यालय हर उस उच्चस्तरीय कार्यक्रम  व प्रशिक्षण का आयोजन कर रहा है जिसमें बच्चों का उज्जवल भविष्य निहित है।

    इस अवसर मेजर दिनेश सिंह ,भूपेंद्र जी ,नीरज जी, उपेंद्र जी प्रशासक एसके चतुर्वेदी, हेडमिस्ट्रेस ज्योत्सना तिवारी , समन्वयक समूह के सभी पदाधिकारी गण व कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु निशानेबाज निखिल सिंह ,सचिन ,खेल प्रशिक्षक पंकज सिंह, तरुण सक्सेना ,कमल ,प्रीति गुप्ता, पूनम ,मुकेश यादव एन सी सी के छात्र-छात्राएं सहित शिक्षकगण भी उपस्थित रहे।




मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को किया गया सम्मानित

इस अवसर पर सनबीम परिवार की तरफ से सबसे पहले मुख्य अतिथि ओंकार सिंह को माला पहनाकर स्वागत किया गया । फिर स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया । तत्पश्चात अन्य विशिष्ट अतिथियों को भी अंगवस्त्रम और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । इस दौरान पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजयमान रहा ।

काश सरकार ब्लॉक स्तर पर ऐसे सेंटर खोलती ?

सनबीम स्कूल के इस प्रयास को देखने के बाद दिल के अंदर एक टीस उठ जाती है और एक सवाल दिमाग मे कौंध जाता है,काश हमारी सरकार प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर ऐसे सेंटर खोल देती तो किसी भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत की झोली पदकों से भर जाती । लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकारें अपने अपने वोट बैंक के हिसाब से सोचती है। अगर एक साल लैपटॉप टेबलेट न बांट कर ग्रामीण अंचलों के छात्र छात्राओं के लिये यह सेंटर ही खोल दिया जाता तो यूपी इस प्रतियोगिता का बॉस बनता,यह कहने में अतिशयोक्ति नही है ।