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तो क्या भारत व यूपी के विकास के नक्शे से ओझल हो चुका है बलिया,क्या बलिया वास्तव में जिला नही देश है ?



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। सत्तर के दशक में  साहित्यिक जगत के ध्रुवतारा डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा था कि बलिया जिला नही देश है तो लोगो को हंसी आती थी । लेकिन आधी सदी बाद डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की कही गयी बात सच होती दिख रही है । कारण कि चाहे देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी हो या प्रदेश के मुखिया योगी जी हो,दोनों लोग दोनों हाथों से आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए पूर्वांचल में विकास की गंगा बहा रहे है ,लेकिन दुर्भाग्य है कि इन सैकड़ो विकास की गंगाओ की एक टूटी फूटी धारा भी बलिया में प्रवेश नही कर पा रही है ,जबकि पतित पावनी गंगा की अविरल धारा यहां प्राकृतिक रूप से प्रवाहमान है ।

जनपद की 7 विधानसभा सीटों में से पांच विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विराजमान हैं,4 सांसद व दो राज्य सरकार के मंत्री भी है। लेकिन पूर्वांचल में परियोजनाओं के बौछार के बीच बलिया में सूखा पड़ा हुआ है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य किसी भी क्षेत्र में बलिया को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से क्या मिला ये बड़ा सवाल है।

पड़ोसी गाजीपुर हो,मऊ हो, देवरिया हो,आजमगढ़ हो,सभी प्रधानमंत्री मंत्री जी व मुख्यमंत्री जी की कृपा से निहाल हो रहे है । दोनों लोगो के पिटारी से जो भी विकास की योजनाओं निकल रही है,वो बलिया को छोड़कर सभी को निहाल कर रही है । ऐसे में यह सवाल दिमाग मे कौंध रहा है कि क्या बलिया देश व प्रदेश के नक्शे से ओझल हो चुका है ,क्या भारत सरकार ने,यूपी सरकार ने मान लिया है कि बलिया जिला नही देश है ? क्या डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी की कही गयी बात सच साबित हो रही है ?

कार्यारम्भ का स्टेशन बन कर रह गया है बलिया

लगता है बलिया जनपद सिर्फ और सिर्फ किसी भी परियोजनाओं का शुभारंभ का स्टेशन मात्र बन कर रह गया है । यहां से योजनाओ की शुरुआत तो होती है लेकिन इस जनपद की ठीक वैसी ही दशा है जैसे समुद्र की अगाध जलराशि के पास खड़ा व्यक्ति प्यास से तड़पता रहता है लेकिन समुद्र का पानी पी भी नही सकता है । यहां के लोग अगल बगल के जनपदों की तरक्की को देख कर बस ललचायी नजरो से देख कर सिर्फ और सिर्फ आह भर रहे है ।

आदिकाल में चाहे लोककल्याण से विमुख होकर क्षीरसागर में सोए हुए भगवान विष्णु को जगाने के लिये उनके वक्ष स्थल पर चरण प्रहार करके जगाने की बात हो तो बलिया के महर्षि भृगु को ही आगे आना पड़ा था । देश को अंग्रेजी दासता से मुक्ति के लिये जब सर्वस्व न्योछावर करने की बात हो बलिया के लाल मंगल पांडेय ने अपनी पहली आहुति दी । देश को आजादी मिलने से 5 साल पहले ही आजादी के रणबांकुरें चित्तू पांडेय,महानंद मिश्र ,ठाकुर परमात्मा नंद सिंह,जानकी देवी आदि ने अंग्रेजो को भगा कर आजादी ले ली हो, वह जनपद आज भी विकास से कोसो दूर, भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबा हुआ है लेकिन देश मे यशस्वी प्रधान मंत्री मोदी जी व प्रदेश के विकास पुरुष सीएम योगी के होते हुए भी न तो इस जनपद के विकास के प्रति कोई गंभीर दिख रहा है, न ही इस जनपद को भ्रष्टाचार मुक्त करने का ही कोई प्रयास धरातल पर दिख रहा है । यही से पीएम मोदी ने उज्जवला योजना की शुरुआत की,19 दिसंबर को यही से गोरक्ष प्रान्त के लिये जन विश्वास यात्रा का भी शुभारंभ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया । लेकिन ऐसी किसी बड़ी योजना की शुरुआत नही की गई जो बलिया की अविकसित जनपद होने की दशा को बदल सके ।



बलिया में अखिलेश यादव सरकार के समय मे ही बनकर तैयार जनेश्वर मिश्र सेतु का एप्रोच मार्ग आज तक नही बन पाया है । पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की शुरुआत जब हुई थी तो यह बलिया तक आने वाला था । सरकार बदलने और मंत्री बनने के बाद फेफना विधायक उपेन्द्र तिवारी जी ने मीडिया के सामने छाती ठोक ठोक कर कहा था कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बलिया तक आएगा,लेकिन वह सपना 5 सालो में सपना बनकर रह गया । यूपीडा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का डीपीआर बनाती है तो उसमें कोई गलती नही होती है,एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो जाता है लेकिन जब इसी यूपीडा को इस एक्सप्रेस वे से बलिया को जोड़ने के लिये लिंक एक्सप्रेस वे बनाने का डीपीआर बनाने का जिम्मा सौंपा जाता है तो उसका डीपीआर ही गलत बनाया जाता है । नतीजन काम शुरू होना तो दूर अब डीपीआर बनाने का जिम्मा एनएचआई को सौपा गया है । यानी लिंक एक्सप्रेस वे वर्तमान सरकार के कार्यकाल में शुरू नही होने वाला है ।

अखिलेश यादव की सरकार में खेल मंत्री नारद राय ने बलिया में स्पोर्ट्स स्कूल के लिये शिलान्यास ही नही कराया बल्कि इसके निर्माण के लिये जमीन का अधिग्रहण भी कराया  । सरकार बदलने के बाद जब उपेन्द्र तिवारी जी खेल मंत्री बने तो लोगो को लगा कि चलो अब बलिया में स्पोर्ट्स स्कूल मूर्त रूप ले लेगा,मंत्री जी ने इसके लिये कुछ प्रयास भी किया लेकिन लगता है कि बलिया जिला नही देश है,के चलते सफलता नही मिल पायी । यह कटु सत्य भी है क्योकि किसी देश मे प्रदेश की सरकार कोई विकास कार्य क्यो कराये ?

देश मे अपनी अलग पहचान रखने वाले बलिया के सपूत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के नाम पर अखिलेश यादव की सरकार ने अपने अंतिम दिनों में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की शुरुआत की । भाजपा की योगी सरकार में भी कुछ प्रयास हुए लेकिन यहां के राजनेताओ की इस विश्वविद्यालय के प्रति उपेक्षा पूर्व रवैया कहे या देश के विकास के नक्शे से बलिया का लोप होना कहे,यह विश्वविद्यालय आज भी संसाधनों के लिये तरस रहा है । पूरे पांच साल में ऐसा कोई प्रयास दिख ही नही रहा है कि इस विश्वविद्यालय को जलभराव से मुक्ति दिलाई जाय,इस विश्वविद्यालय में स्थायी प्रोफेसर व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति की जाय । जबकि सीमित संसाधनों के बावजूद इस विश्वविद्यालय ने अभूतपूर्व सफलताएं शिक्षा के क्षेत्र में हासिल की है ।






भ्रष्टाचार का राजनैतिक संरक्षण

बलिया में भ्रष्टाचार चरम पर है । यह खुली आँखों से दिखता भी है लेकिन इसको राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण रोका नही जा सका है । उदाहरण के तौर पर ही लीजिये, नगर पालिका परिषद बलिया के ईओ दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ लगभग 3 दर्जन से भी अधिक भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच हुई है, लगभग हर जांच में दोषी भी साबित हुए है लेकिन धन्य है बलिया की प्रशासनिक व्यवस्था की सभी जांच रिपोर्ट न जाने किस अंधेरी कोठरी में रख दी गयी है,कि उस पर कार्यवाही करने का शुभ मुहूर्त ही नही निकल रहा है ।

पूरा शहर पिछले तीन सालों से जलमग्न हो जा रहा है,जिलाधिकारी कार्यालय हो, तहसील हो,पुलिस अधीक्षक कार्यालय हो,पुलिस लाइन हो,मंत्री उपेन्द्र तिवारी व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल का क्षेत्र हो,इसके साथ ही शहर का अधिकांश क्षेत्र जलभराव से त्रस्त हो,फिर भी ईओ दिनेश विश्वकर्मा पर कार्यवाही न होना, यह साबित करता है कि इस अधिकारी के द्वारा जो भ्रष्टाचार फैलाया गया है उसकी जड़े कितनी लंबी है । जिस जनपद के जिला कारागार को जलभराव के चलते पिछले दो सालों से खाली कराना पड़ रहा हो,उस नगर पालिका के ईओ की क्या जबाबदेही तय नही होनी चाहिये थी ?यही नही खेल मंत्री के घर के पास ही स्थित स्टेडिय तरणताल बना रहा,खिलाड़ियों को खेलने का मौका नही मिला,लेकिन ईओ को बावजूद इसके अभयदान मिलता रहा ।ददरी मेला में स्थानीय स्तर से फॉर्म व कूपन छपवाकर वसूली की जाती है,वसूली के पैसे का गोलमाल होता है ,बावजूद अगर ईओ व संबंधितों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती है,तो यह साबित करता है कि हमाम में सभी नंगे है ।

शासनादेश के खिलाफ स्थानांतरण रुकवाने में बड़े राजनेता का हाथ

 पिछले मई माह में प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा में कार्यरत शिक्षक/शिक्षिकाओं के स्थानांतरण को शून्य घोषित करते हुए सिर्फ व्यक्ति आवेदन को ऑनलाइन भेजने पर स्थानांतरण किया गया था । ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा की धर्मपत्नी जो राजकीय बालिका इंटर कालेज बलिया में प्रवक्ता है, ने भी ऑनलाइन आवेदन कर अपना स्थानांतरण बाराबंकी जनपद में करने की मांग की थी । स्थांतरण भी हो गया, बलिया से कार्यमुक्त भी हो गयी । कार्यमुक्त होने के बाद इनको याद आया कि यह तो गलत हो गया,मेरे पति तो बलिया में ही कार्यरत है । फिर क्या था,इन्होंने निदेशालय को आवेदन भेजकर अपने गलत स्थानांतरण को रद्द कर बलिया में ही पुनः कार्यभार करने का अनुरोध किया,जो बिना किसी जांच के निदेशालय से स्वीकृत हो गया । किसी भी उच्चाधिकारी ने यह सवाल नही किया कि जब आपके पति बलिया में कार्यरत थे तो आपने ऑनलाइन स्थानांतरण के लिये आवेदन ही क्यो किया ।

असली खेल तो इसके बाद शुरू हुआ क्योकि एक ही जनपद में 3 साल से अधिक वर्ष से कार्यरत अधिकारियों का स्थानांतरण शुरू हुआ और ईओ विश्वकर्मा इस शासनादेश के अनुसार स्थानांतरित होने वालों की सूची में थे । ईओ विश्वकर्मा का बलिया से स्थानांतरण न हो,इसके लिये एक बड़े राजनेता  व्यक्तिगत रुचि लेते हुए सीधे नगर विकास मंत्री जी को ही श्री विश्वकर्मा जी की पत्नी के आवेदन पर ईओ विश्वकर्मा का बलिया/मऊ में ही कार्यरत रखने की सिफारिश करते हुए स्थानांतरण को रुकवा देते है ।

यहां सूच्य हो कि ईओ दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ नगर विकास मंत्री जी के मंत्रिमंडल के सहयोगी आनंद स्वरूप शुक्ल ने भ्रष्टाचार से संबंधित कई पत्र लिखे थे लेकिन उन पत्रों पर ईओ के खिलाफ आदेश नही हुआ था, माननीय मुख्यमंत्री जी को कई पत्र अन्य लोगो ने लिखा था, जिस पर माननीय नगर विकास मंत्री जी ने कोई कार्यवाही नही की थी लेकिन जून 2021 में एक बड़े राजनेता की सिफारिश पर ईओ का स्थानांतरण रोकने में क्षण भर की भी देर नही करते है ।

बलिया छोड़कर हर जगह मेडिकल कालेज की सौगात

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने ने योगी सरकार के अभूतपूर्व प्रयास को कोई नकार नही सकता है । कोरोना काल मे जिस तरह स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की गई,उसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम होगी । सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिये योगी सरकार ने कई मेडिकल कॉलेज बनाये और बनाने की घोषणा भी की । बलिया के सभी पड़ोसी जनपद योगी जी की कृपा से मेडिकल कालेज की सौगात पा गये, सिर्फ बलिया ही प्रसाद पाने से वंचित रह गया । अब लोग सवाल पूंछ रहे है कि आखिर बलिया से ऐसा भेदभाव क्यो हो रहा है ।

क्या अच्छी सड़को पर चलने का बलिया वासियो का अधिकार नही

बलिया से बाहर जब निकलते है तो चमचमाती सड़के, हाइवे का जाल देखने के बाद मन कुंठित हो जाता है । एक सवाल कौंध जाता है कि क्या कभी बलिया के लोगो को भी गड्ढा मुक्त सड़को पर चलने का सौभाग्य प्राप्त होगा ? क्या बलिया में भी फ्लाई ओवर, बायपास,का जाल देखने को मिलेगा ? क्या बलिया शहर को जाम के झाम से मुक्ति मिलेगी ?  पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर कासिमाबाद के रास्ते लखनऊ 310 किमी जाने पर 3 घण्टे लग रहे ,जबकि कासिमाबाद से बलिया 55 किमी जाने में  2 घण्टे लगते है, से निजात मिल पायेगी । क्या बलिया वासियों के नसीब में सिर्फ बाराती बनना ही लिखा है ? सबसे बड़ा सवाल क्या बलिया वासियों को अच्छी सड़को पर चलने का हक नही ,या मान लिया जाय कि बलिया भारत के विकास के नक्शे से विलोपित कर दिया गया है क्योंकि इसको जिला नही देश मान लिया गया है ।