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फ़ाइलेरिया की दवायें पूरी तरह सुरक्षित, अवश्य खाएं ,दूसरों को खाने के लिये करे प्रोत्साहित, अपने परिजनों को फ़ाइलेरिया के संक्रमण से बचाएं

 



-उत्तर प्रदेश  के 19 जनपदों  में  22 नवम्बर से कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, शुरू होगा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे वर्चुअल शुभारम्भ 

लखनऊ/ बलिया ।।  फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु उत्तर प्रदेश  में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क और हाथों की साफ़-सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए आगामी 22 नवम्बर से फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 19 जनपदों में  मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है, जिसका वर्चुअल शुभारम्भ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह द्वारा किया जायेगा । फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश  एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ , प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए, मीडिया सहयोगियों के साथ शनिवार को वर्चुअल मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया | 

इस अवसर पर, अपर निदेशक मलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी वेक्टर बोर्न डिसीजेज़, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. वी.पी.सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, कहा कि प्रदेश सरकार वेक्टर बोर्न डिसीजेज़ जैसे फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है और इसके लिए रणनीति बनाकर गतिविधियाँ संपादित की जा रही हैं । उन्होंने जानकारी दी कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को जारी रखने के महत्व को स्वीकार करते हुए, उत्तर प्रदेश  सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 19 जनपदों यथा- अम्बेडकरनगर, अमेठी, अयोध्या, आज़मगढ़ , बलिया, बाँदा, बरेली, चित्रकूट, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, महोबा, मऊ, पीलीभीत, संत रविदास नगर (भदोही), शाहजहांपुर, लखनऊ, सोनभद्र और बाराबंकी में, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए.) कार्यक्रम आगामी 22  नवम्बर से शुरू करने का निर्णय लिया है ।

 उन्होंने बताया  कि एमडीए गतिविधियों का संचालन कोविड-19  के मानकों  का पालन करते हुए किया जाएगा, जिसमें हाथ की स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी) शामिल हैं । उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी. और अल्बंडाज़ोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा । 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। डॉ. सिंह ने बताया कि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम द्वारा हाइड्रोसील और लिम्फेडेमा से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं उनको समुचित इलाज प्रदान किया जा रहा है। 

कहा कि प्रदेश में वर्ष 2020-2021  के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के 28, 228 मरीज़ और लिम्फेडेमा के 84, 000 मरीज़ हैं । डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं । रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी  ये दवाएं खानी हैं । सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में  फाइलेरिया के कीटाणु मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कीटाणुओं के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं ।

  कहा कि साल में केवल 1 बार फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फ़ाइलेरिया के संक्रमण से बचा जा सकता है।बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सामुदायिक सहभागिता के महत्व को बताते हुए कहा कि जिस दिन मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को समुदाय ने स्वयं का कार्यक्रम समझकर जनांदोलन का रूप दे दिया, समझ लीजिये मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम पूर्ण रूप से सफल हो जायेगा ।  कहा कि ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधान और आशा के संयुक्त प्रयासों से, शहरी क्षेत्रों में शिक्षा संस्थानों, कार्यस्थलों, आवासीय भवनों में रणनीति बनाकर लोगो को फ़ाइलेरिया  रोधी दवाएं खिलाने से आबादी के अंतिम पंक्ति तक लोगों का फ़ाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रमण से बचाव होगा ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है। 

प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल किर्यान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल नेटवर्किंग  से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधानों का भी सहयोग लिया जा रहा है । उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की तिथि के बारे में समुदाय में जागरूकता फ़ैलाने के लिए आशा और आंगनवाडी के माध्यम से घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। साथ ही, स्वयं सहायता समूह, राशन डीलर्स और अन्य माध्यमों से कार्यक्रम के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है | प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रार्थना सभाओं में भाग लेकर एवं अन्य प्रतियोगिताएं कराकर फाइलेरिया के प्रति बच्चों को जागरूक किया जा रहा है l

पाथ के प्रतिनिधि डॉ. शोएब अनवर ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में कार्य कर रही सभी संस्थाओं द्वारा, सरकार के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है | समुदाय एवं मीडिया के सहयोग से यह कार्यक्रम अवश्य सफल होगा | पूरा प्रयास किया जा रहा है कि समुदाय स्तर पर धर्मगुरुओं के माध्यम से भी लोगों को फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाने के लिए प्रेरित किया जाये | फ़ाइलेरिया से प्रभावित सभी जनपदों में एमडीए और एमएमडीपी गतिविधियों में पाथ द्वारा सरकार को सहयोग दिया जा रहा है | 

सीफार की रंजना द्विवेदी ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त 19 जनपदों  में स्थानीय  मीडिया से भी समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है ताकि, मीडिया के माध्यम से  कार्यक्रम के संबंध में लोगों तक उचित और महत्त्वपूर्ण जानकारियां पहुँच सकें, इसके साथ ही उन्होंने कार्यशाला  में उपस्थित और ऑफलाइन जुड़े मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।

कार्यशाला में, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के फ़िरोज़ आलम ने मीडिया सहयोगियों से संवाद करते हुए कहा कि, मीडिया द्वारा, समाज के हर वर्ग तक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी कार्यक्रम के मुख्य सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां बहुत आसानी से पहुँच जाती हैं, इसीलिए, मीडिया द्वारा फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन और इसके सकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की आवश्यकता बहुत अधिक है ताकि, लोग स्वयं को और अपने परिवार को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकें । 

कहा कि फाइलेरिया का पूर्ण रूप से उन्मूलन हो और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ भविष्य मिल सके।अंत में, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के अनुज घोष ने कहा कि मीडिया की भूमिका , सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । उन्होंने, मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे आगामी 22 नवंबर 2021 से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें ।

कार्यशाला में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश  के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पाथ , प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल, सीफार, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के प्रतिनिधियों के साथ ही उन जनपदों के मीडिया सहयोगियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया, जहाँ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है , सुरक्षित दवा, भरोसा स्वास्थ्य का ।