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भाजपा नेता व पूर्व विधायक ने उठाया 7 फर्जी मतदाताओं को छोड़ने पर सवाल,कहा-पंचायत चुनाव में दिख गया कैसे हुआ द्रोपदी का चीरहरण


संतोष द्विवेदी


नगरा, बलिया ।। भाजपा के फायर ब्रांड नेता व पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने अपनी ही सरकार में कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए पंचायत चुनाव में हुई दबंगई को लोकतंत्र का कलंक बताया है । मीडिया से रूबरू होते हुए श्री सिंह ने कहा कि सूबे में हुए  पंचायत चुनाव में वोटो की खरीद फरोख्त, हिंसा, नारी अपमान ने सरकार और सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है । इन घटनाओं से मर्माहत पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह रविवार को अपनी ही सरकार और संगठन पर अखबार नवीसों से बातचीत में जमकर बरसे। कहे कि हम शास्त्रों में द्रौपदी के चीर हरण के बारे में पढ़े थे, कभी देखे नहीं थे। लेकिन इस बार हुए चुनाव में लखीमपुर खीरी में एक नारी का चीरहरण हो रहा था और पूरा प्रशासन नपुंसक होकर देख रहा था, यह कैसा लोकतंत्र है ? जहां महिलाओं को नंगा किया जा रहा है, उसे जनता बर्दाश्त कर पाएगी ? यह लोकतंत्र पर कालिख है, सरकार को माफी मांगनी चाहियें । 

संविधान में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चिन्हित की गई है। चुनाव में उस जिम्मेदारी का निर्वहन निश्चित रूप से नहीं किया गया है। पूर्व विधायक यही नही रुके ,कहे कि जिस तरह ददरी मेला में गाय भैंस की बोली लगाकर खरीदारी होती है,ठीक उसी तरह वोट खरीदना लोकतंत्र पर कलंक है ,इससे हमारे युवा व किशोर क्या सीखेंगे ? यदि यह समाज नहीं चेंता तो निश्चित ही भविष्य में भारत का लोकतंत्र नहीं बचेगा।

                पूर्व विधायक श्री सिंह कहे कि सरकार और संगठनों के लोग बैल भैंस की तरह वोटो की बोली लगा रहे है। सरकार और संगठनों के बड़े बड़े नुमाइंदे वोट खरीदने के लिए अपने आचरण को एल्युमिनियम के बर्तन की तरह आग पर चढ़ा दिए। इससे समाज क्या सीखेगा।  क्या इसी दिन के लिए हमारे क्रांतिकारियों ने शहादत दी थी। जहां महिलाओ को नंगा किया जा रहा है, डीएम एसपी बदमाशो की तरह वोट छीन रहे है। बलिया में हुए चुनाव पर बोलते हुए कहे कि बलिया में 7 फर्जी वोटर पकड़े गए, उन्हें कोतवाली भेज दिया गया और बाद में फिर छोड़ दिया गया। कहे कि दूसरे का वोट देना अपराध की श्रेणी में आता है। किन लोगो ने फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था, उन फ्राडो की जांचकर सच्चाई सामने लाना जिला प्रशासन का दायित्व है। लेकिन न जाने किसको बचाने के लिए पुलिस जांच को ठंडे बस्ते में डाले हुए है ।

 कहे कि ताकत का उपयोग ऐसा होना चाहिए कि जनता भय मुक्त होकर अपने नेता काचुनाव करें। चाहे वो कोई भी चुनाव हो। कहे कि राजनैतिक दलों का नैतिक पतन हो चुका है। कटाक्ष करते हुए कहे कि दल नए नए कार्यकर्ता बनाते है। उनके दिमाग में राष्ट्रवाद का जहर घोलते है। उन्हें बड़े बड़े सपने दिखाते है। जहां कार्यकर्ता नहीं होते वहां जाकर धर्म का सहारा लेते है। ये सभी अच्छाई राजनीतिक दलों में भरी है और ये अपना असली चेहरा पंचायत चुनाव में सामने लेकर आए है। एक बड़े नेता के पुत्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि  पिता के मर्यादा का ख्याल पुत्र नहीं कर पा रहा और धोखाधड़ी के आरोपी के यहां दरबार लगा कर भोजन चख रहा है ।जब कि झोपड़ी पर ही कभी दरबार लगता था ।पुत्र सम्मान के लिए सत्ता दल में आया किन्तु इनके व्यवहार से जिले के सम्मानित लोग दुखी है, मुझे भी कष्ट है ।