जिला प्रशासन द्वारा ईओ दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ कार्यवाही न करने से भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन के सरकार के दावे की उड़ रही है खिल्ली
सबूत सार्वजनिक फिर भी कार्यवाही क्यो नही कर रहा है जिला प्रशासन ? योगी सरकार की छवि को किया जा रहा है धूमिल
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। भ्रष्टाचार को हर हाल में समाप्त करने के योगी सरकार की मंशा लग रहा है कि बलिया के जिला प्रशासन तक नही पहुंच पायी है । नतीजन नगर पालिका में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके अधिशासी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा के खिलाफ 26 भ्रष्टाचार की जांचों के बावजूद जिला प्रशासन यह दर्शाने में अब तक असफल रहा है कि बलिया में भ्रष्टाचार करना क्षम्य नही है । 26 जांचों में से तीन तो वित्तीय गमन है,जिसमे दो जांच प्रकरण में ऑडिट में साफ लिखा गया है कि अपनी राज्य कर्मचारी पत्नी के मेडिकल क्लेम को अपने यहां से निकालना और स्थानांतरण अवधि का वेतन बिना किसी सक्षम अधिकारी के स्वीकृत कराये निकालना गबन है, बावजूद जिला प्रशासन न जाने और कौन सा साक्ष्य तलाश रहा है । एक डीडीओ पॉवर वाला अधिकारी सरकारी खजाने से नियम विरुद्ध सरकारी धन का आहरण स्वयं करता है, बावजूद इसके शिकायत के बाद भी कार्यवाही नही होना,जिला प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा तो कर ही रहा है ।
तीसरा गबन का मामला जिला व सत्र न्यायालय बलिया के बगल में चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी द्वारा पकड़ा गया अवैध रूप से संचालित वाहन स्टैंड का है । इस स्टैंड को अधिशाषी अधिकारी ने अपने आदेश से 26 अगस्त 2020 से शुरू कराया था । जिसको 3 अक्टूबर 2020 को चेयरमैन समाजसेवी ने अवैध रूप से संचालित हुआ बता कर जिलाधिकारी बलिया को शिकायत भेजने के बाद थाना कोतवाली बलिया में ईओ विश्वकर्मा ,ललित मिश्र समेत 5 लोगो पर एफआईआर दर्ज करने के लिये मीडिया के सामने कोतवाल बलिया को दी थी लेकिन उस पर आजतक कार्यवाही नही हुई, न ही जिलाधिकारी बलिया द्वारा बैठायी गयी जांच से ही कोई निर्णय निकला है । जबकि इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ होने पर अधिशाषी अधिकारी द्वारा 7 अक्टूबर 2020 को कुल 17050 रुपये वाहन स्टैंड से वसूली के मद में जमा कराया गया । इस रुपये को जमा करते वक्त जो विवरण दिया गया है वह भी कम रोचक और घोटाले को दर्शाने के लिये काफी है लेकिन तब न जब कोई अधिकारी इसको देखे । जमा विवरण निम्न है ------
26 अगस्त से 29 अगस्त तक कुल चार दिन की वसूली -2680 रुपये यानी 470 रुपये प्रतिदिन
1 सितंबर से 30 सितंबर तक कुल 26 दिन (4रविवार छोड़कर) के लिये वसूली-13120 रुपये यानी 504.61रुपये प्रतिदिन
1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर तक कुल 2 दिन (2अक्टूबर की छुट्टी) के लिये वसूली - 1250 रुपये यानी 625 रुपये प्रतिदिन
उपरोक्त जमा रुपया ही भ्रष्टाचार को चीख चीख कर कह रहा है,लेकिन बलिया में कोई न तो इसको देखने वाला है, न ही सुनने वाला है । इसके साथ ही सबसे बड़ी बात जो सामने आयी है वह यह है कि या तो इस अधिशाषी अधिकारी को नगर पालिका के राजस्व वसूली से सम्बंधित नियमो की जानकारी नही है या यह अधिकारी जानकारी होने के बावजूद भ्रष्टाचार करने की नीयत से नियमो की धज्जियां उड़ा रहा है ।
आइये आपको बता दे कि नगर पालिका द्वारा अगर स्वयं कोई भी राजस्व की वसूली की जाती है तो वह सरकारी प्रेस से छपवाकर आयी एमएससी5 नामक रसीद के माध्यम से ही वसूली होगी । इसको किसी भी दशा में स्थानीय स्तर पर छपवाया नही जा सकता है । घटने की दशा में पड़ोस की नगर पालिकाओं से उधार ली जा सकती है और लखनऊ से आने पर वापस देनी पड़ती है । वाहन स्टैंड वसूली प्रकरण में ऐसा नही हुआ है । अधिशाषी अधिकारी श्री विश्वकर्मा ने सरकारी प्रेस से रसीद छपवाने की जगह स्थानीय स्तर पर रसीद छपवाकर वसूली करवायी और स्वयं पैसा जमकर के प्रमाणित भी कर दिया कि स्थानीय स्तर पर छपवाई गयी रसीद से वसूली हुई है । बावजूद इसके अगर कार्यवाही जिला प्रशासन नही कर रहा है,गबन के इस खेल को नजरअंदाज कर रहा है तो योगी जी का भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा तो बलिया में फेल ही है ।
सरकारी वसूली या तो प्रतिदिन की जमा होती है या महीने में एक बार या दो बार । फिर जिलाधिकारी बलिया या प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय अधिशाषी अधिकारी से सवाल क्यों नही कर रहे है कि आखिर चेयरमैन द्वारा छापेमारी के 4 दिन बाद 37 दिन का हिसाब एक दिन क्यो जमा हुआ जबकि होना चाहिये कि अगस्त का हिसाब एक दिन,सितंबर का एक दिन और अक्टूबर का एक दिन प्रतिमाह जमा होने वाले नियम के आधार पर होना चाहिये ।
छापेमारी के दिन वसूली करने वालो ने कहा क्या था ?
अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी द्वारा विभागीय कैशियर राघव मिश्र व कर का पटल देखने वाले बाबू प्रमोद चौरसिया के साथ जब वाहन स्टैण्ड पर छापेमारी की गई तो तीन बाहरी व्यक्ति वसूली कर रहे थे । इन लोगो ने बताया कि इनको वसूली करने के लिये प्रतिदिन 150 रुपये मिलते है और एक व्यक्ति 1400 से 2000 रुपये तक प्रतिदिन वसूली करते है । एक वाहन से 10 रुपये की वसूली होती है । यानी औसतन प्रतिदिन 300 वाहन तो स्टैंड में आते ही है । अगर इसी औसत से 33 दिन के वाहनों की संख्या निकाल दी जाय तो 9900 वाहन होगी और इनसे वसूली कम से कम 99000 रुपये होनी चाहिये । बावजूद अगर मात्र 17050 रुपये ही जमा होता है तो इस भ्रष्टाचार के खेल को कौन प्रश्रय दे रहा है माननीय मुख्यमंत्री योगी जी व स्थानीय विधायक व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल जी को जांच करानी चाहिये क्योंकि अब साफ हो चुका है कि स्थानीय स्तर की जांच में ईओ विश्वकर्मा का कुछ बिगड़ने वाला नही है ।
बता दे कि पिछले साल जब माननीय मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल(तब केवल विधायक थे) ने दिनेश कुमार विश्वकर्मा का स्थानांतरण बलिया से रामपुर कराये थे लेकिन श्री विश्वकर्मा ने एक माह में ही अपना स्थानांतरण पुनः बलिया कराकर योगी सरकार में भी शासन में अपनी उच्ची पकड़ का प्रदर्शन किया था । तब से श्री विश्वकर्मा शासन के अपने आकाओं के बल पर कई नियम विरुद्ध कार्य निडरता के साथ करते गये और अपने खिलाफ शिकायतों को ठंडे बस्ते में डलवाते गये, ठंडे बस्ते में गयी शिकायतों में माननीय मंत्री जी की भी कई शिकायतें है ।