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दुर्जनपुर कांड : जाति की राजनीति करने वाले हुए बेनकाब , सजायाफ्ता और ब्राह्मणों की जमीन हड़पने वाला कैसे हुआ बेगुनाह

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। यूपी के हाथरस कांड के बाद पिछले 15 अक्टूबर2020 को बलिया के दुर्जनपुर में हुई जयप्रकाश उर्फ गामा पाल की हत्या ने सियासी दलों को सरकार को घेरने का दूसरा बड़ा मुद्दा मिल गया । नतीजन चाहे सपा मुखिया अखिलेश यादव हो या बसपा सुप्रीमो बहन मायावती हो या कांग्रेस का आलाकमान हो या प्रियंका गांधी हो , सबने जहां एक स्वर से इस घटना के लिये योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए अपने अपने जातीय आग को भड़काने वाले नेताओं से युक्त प्रतिनिधि मंडलों को भेजने में तनिक भी देर नही की । मृतक जयप्रकाश उर्फ गामा पाल को निरीह गरीब लाचार बेगुनाह बताते हुए और हमला करके हत्या करने के आरोपी भूतपूर्व सैनिक धीरेंद्र सिंह को माफिया, दबंग न जाने क्या क्या कह कर इस कांड को राजनीति के चश्मे से देखकर यूपी में हो रहे चुनाव में कैसे फायदा मिले इसके लिये युगत भिड़ाने लगे । सत्ता से पिछले चुनाव में बेदखल हुई समाजवादी पार्टी तो जाति की राजनीति करने में सबसे आगे दिखी । इसने प्रदेश के पाल जाति के बड़े नेता दयाराम पाल के नेतृत्व में एक ऐसा प्रतिनिधि मंडल भेजा जिसमे एक भी ठाकुर नेता नही था । यही नही अखिलेश यादव ने अपने स्थानीय ब्राह्मण नेता को भी प्रतिनिधि मंडल में शामिल करके मृतक जयप्रकाश उर्फ गामा पाल के परिजनों को साढ़े तीन लाख की सहायता राशि भी दे डाली । बसपा ने भी ऐसा ही किया । भारतीय जनता पार्टी ने भी पिछड़ा वर्ग का वोट बहक न जाये इस लिये अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी की नाराजगी पर उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के हाथों अपने ही विधायक सुरेंद्र सिंह को इस कारण कारण बताओ नोटिस दे दिया कि आरोपी धीरेंद्र सिंह के परिवार की महिलाओ समेत 8 लोगो को हमला करके,उनके घर के सामानों को तोड़फोड़ करके, लूटपाट करने के बाद घायल किया गया है, इसका भी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर डाली थी । इस कांड में मृतक पाल के लिये लड़ने वालों में ब्राह्मण राजनेता जहां आगे आगे दिखे तो डीआईजी आजमगढ़ सुबाष चंद दुबे और पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ भी आरोपी के परिजनों के घायल होने , बीएचयू में भर्ती होने के बावजूद इस पक्ष का एफआईआर तक दर्ज नही किये । धन्य है इस देश की न्यायपालिका जो किसी भी पीड़ित को जाति धर्म के आधार पर नही देखती है बल्कि एक पीड़ित के रूप में साक्ष्य के आधार पर देखती है और दूध का दूध ,पानी का पानी कर देती है । माननीय न्यायालय ने भी आरोपी के परिजनों के दर्द को साक्ष्यों के आधार पर देखा और लगभग 51 लोगो पर एफआईआर दर्ज करने का पुलिस को आदेश दिया ।

ब्राह्मणों का हमदर्द बनने वालों का दुर्जनपुर कांड में उतर गया मुखौटा,चेहरा दिखा अपराधियो का हमदर्द

कानपुर के बिकरु कांड में माफिया डॉन विकास दुबे के पुलिसिया एनकाउंटर में मारे जाने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी साबित करने के यत्न में लगी हुई है । हाथरस कांड के बाद सरकार को दलित विरोधी और बलिया के दुर्जनपुर कांड के बाद पिछड़ा वर्ग विरोधी साबित करने के लिये हवा के दौड़ो पर चढ़कर आक्रामक हो गयी है । चाहे सपा हो या बसपा सभी ब्राह्मणों को अपनी तरफ खिंचने के लिये हर तरह का यत्न कर रही है । प्रदेश को अपराध युक्त कहने वाले विपक्षी दल खुद ही अपराधियो का महिमा मंडन करके अपने आप को अपराधियो का साथी जाने अनजाने में ही साबित कर दे रहे । यही नही ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ ही ब्राह्मण धुर विरोधी ,ब्राह्मण के ऊपर जानलेवा हमला करने के सजायाफ्ता अपराधी को बेगुनाह तक बता दे रहे है । जिस आतातायी जयप्रकाश उर्फ गामा पाल और उसके भाइयों व अन्य परिजनों के आतंक से अपनी जमीन घर बार को छोड़कर लगभग 10 वर्षो से एक ब्राह्मण परिवार  बलिया में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहा है, वह बेगुनाह निरीह कैसे है , यह सवाल निर्वासित ब्राह्मण परिवार प्रतिनिधि मंडल में शामिल ब्राह्मण नेताओ से पूंछ रहा है । गामा पाल व इसके परिजनों की मार से घायल होकर 2-3 माह के इलाज के बाद मरने वाले भूतपूर्व सैनिक नित्यानंद पांडेय के परिजन सवाल कर रहे है कि क्या ब्राह्मणों के ऊपर अत्याचार करने वाला निर्दोष है ? इसी गांव के इन लोगो के आतंक से पीड़ित दूधनाथ तिवारी का परिवार पूंछ रहा है ब्राह्मण नेताओ हमारे लिये भी तो कुछ करो ? बनारसी प्रजापति जिनका गामा पहलवान के नेतृत्व में इसके परिजनों ने मारपीट कर पैर तोड़ दिया था ,के परिजन पूंछ रहे है सपा बसपा के नेताओ क्या हम लोग पिछड़े नही है,क्या हमारे दर्द को इस लिये नही सुना जा रहा है कि हम लोग गामा पाल व इसके परिजनों की तरह दबंग नही है , दुसरो की संपत्तियों को बलात कब्जा करने वाले नही है ? क्या आप लोगो की सहायता पाने के लिये दबंग होना जरूरी है ?

ब्राह्मणों के हितैषी बनने का दम्भ भरने वाले राजनेताओ दुर्जनपुर के इस पीड़ित ब्राह्मण परिवार की दर्द भरी दास्तान को सुनो, क्योकि इनकी दशा भी वैसे ही है जैसे कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की है । आप लोगो को बता दे कि घनश्याम तिवारी पुत्र त्रिलोकी नाथ तिवारी , अपने गांव से लगभग 22 वर्ष से भाग कर बलिया इस लिये रह रहे है कि मृतक जयप्रकाश उर्फ गामा पाल, द्वारिका पाल,श्रवण पाल,रामायण पाल, ओमप्रकाश पाल आदि लगभग दर्जनभर लोगो ने जो एक ही परिवार के है इनके लगभग 10 बीघा खेत पर अवैध कब्जा कर रखा है और जब इनके पिता जी त्रिलोकी नाथ तिवारी जी विरोध किये तो पाल परिवार ने लाठी डंडों भालों से हमला कर के बुरी तरह से घायल कर दिया था । जिनका वाराणसी के यशोदा अस्पताल में कई माह के इलाज और लाखों रुपये खर्च करने के बाद बचाया गया । इनके ऊपर हुए हमलों में मृतक गामा पाल समेत 8 लोगो दोषी सिद्ध होकर सजा पाये है और इस समय माननीय उच्च न्यायालय के यहां से जमानत पर है ।

 पीड़ित परिवार का बयान (खासकर ब्राह्मण नेता जरूर सुने)