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नवमी को 101 कन्याओं और बटुकों को सीएम योगी ने कराया श्रद्धा के साथ भोजन

 









ए कुमार

गोरखपुर ।।  अष्टमी के बाद नवमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कन्या और बटुक को पूजते हैं, कन्या पूजन के दौरान कन्याओं और योगी के चहेरे की भाव भंगिमाएं आनंद और श्रद्धा से भर देने वाली होती है. आसन पर बैठे योगी के सामने पीतल के बड़े परात में देवी स्वरूपा  9 कन्याएं और बटुक भैरव बारी बारी से खड़े किये जाते हैं और फिर श्रद्धापूर्वक सभी कन्याओं के पांव पखारकर उनके माथे पर तिलक सीएम योगी लगाते हैं ।  माला पहनाते हैं, चुनरी ओढ़ाते हैं और मंत्रोच्चार के साथ उनकी आरती करते हैं, इसके साथ ही कन्याओं को दक्षिणा और वस्त्र भी भेंट करते हैं । इसी के साथ सीएम योगी 101 कन्याओं को भोजन कराते हैं, सभी की पूजा करते हैं ,सभी के पास जाकर घंटी बजाकर सबकी आरती करते हैं और श्रद्धाभाव से भोजन कराते हैं । विजय दशमी के दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक अलग ही भेष में नजर आते हैं. इस दिन वो एक राजा की भेष में रहते हैं, सुबह नौ बजे के बाद गोरक्षपीठाधिश्वर योगी आदित्यनाथ अपने शक्ति मंदिर में पूजा करने के बाद राजा के वेश में नीचे आते हैं और जब वो नीचे आते हैं तो उनके दोनो तरफ सैनिक की भेषभूषा में लोग खड़े रहते हैं ,बीच में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी चलते हैं पीछे अन्य पुजारी ।  जिसके बाद शुरू होती है भगवान श्रीनाथ की पूजा यानि की गोरक्षनाथ की पूजा । दो घंटे से अधिक समय तक श्रीनाथ जी पूजा करने के बाद योगी आदित्यनाथ मंदिर परिसर में मौजूद अन्य मंदिरों में पूजा करते हैं और भीमताल जाकर मछलियों को दाना खिलाते हैं ,फिर गाउशाला जाते है । उसके बाद एक फिर वापस प्रथम तल पर बने शक्ति मंदिर में चले जाते हैं और यहां पर पूजा चलती रहती है । नाथ पीठ के योगियों के अलावा उनके शिष्य उन्हे टीका लगाते हैं । प्रसाद स्वरूप योगी आदित्यनाथ बेदी के जौ के साथ कुछ अन्य प्रसाद देते हैं. फिर शाम को करीब 4 बजे के बाद वो फिर शक्ति मंदिर से नीचे आते हैं और एक बार फिर से उनकी अक्षुणी सेना उनको गार्ड करती है और एक भव्य शोभायात्रा में मानसरोवर मंदिर जाकर वहां पर पूजा करते हैं, फिर रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक करते हैं और वापस गोरक्षनाथ मंदिर चले आते हैं । इसके बाद  गरीबों को भोजन कराया जाता है, जिसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ पात्र देवता के प्रतिनिधि के रूप में बैठते हैं ,इस रूप को दण्डाधिकारी भी कहते हैं । इसमें देशभर से आये नाथ पीठ से जुड़े योगी अपनी समस्या को बताते हैं. जिसका निपटारा वो करते हैं ।अगर किसी योगी से पूजा पाठ में जानबूझकर गलती होती है तो उसे दंड भी देते हैं और यही परम्परा वर्षों से चली आ रही है ।