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बलिया शहर को कोरोना से मुक्त करना है तो करना होगा टोटल लॉक


मधुसूदन सिंह
बलिया ।। कोरोना के शुरुआती काल से ही बलिया में सावधानियां कम,लापरवाहियां ज्यादे दिखी है ।कभी लोगो ने भृगु बाबा के नाम पर अपनी लापरवाहियों को सही का अमली जामा पहनाया, तो कभी बागी बलिया के तासीर में जब अंग्रेज नही टिके तो कोरोना क्या टिकेगा, कह कर खूब अपनी अपनी मूंछो पर ताव फेरे । लापरवाहियां तब भी नही छुट्टी जब प्रवासी मजदूरों का आगमन होने लगा और 48 दिनों तक शून्य कोरोना पेशेंट वाला बलिया कोरोना की चपेट में आ गया । इसके बाद भी संभल जाना चाहिये था लेकिन हम लोग ठहरे बलियाटिक, हम किसी की बात सुने या माने तब न । नतीजा हम सबकी लापरवाहियों ने बलिया शहर को इस मुहाने पर ला दिया है कि अगर कड़ाई न की गई तो मरीजो की लाइन लग सकती है ।
 हम व्यापारी वर्ग इस महामारी में भी किस तरह पैसा कमाना चाहते है, यह मैं फेसबुक के कमेंट्स से बतलाने की कोशिश करता हूँ । मंगलवार को जब सोनार पट्टी लक्ष्मी मार्किट में जब एक साथ 11 स्वर्णकार/कारीगर संक्रमित पाये गये तो एक स्वर्णकार बिरादरी के ही वकील साहब ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर अपनी बिरादरी के लोगो से कुछ दिन व्यापार को बन्द करने या सावधानी से करने की अपील की । इस पर एक नौजवान स्वर्णकार ने लिखा , अंकल पूंजी टूट जाएगी तो आप देंगे क्या ? इसका जबाब वकील साहब ने जो दिया वो वास्तव में आज की हकीकत है, दिल को छू गया, बोले- बेटा पूंजी टूट जाएगी तो फिर जुट भी जाएगी लेकिन अगर एक बार सांस टूट गयी तो लाख जतन करो नही जुटेगी ।
  यह लिखने का मेरा मतलब यह है कि यहां हर स्तर पर लापरवाहियां हो रही है । पिछले लॉक डाउन में जब दवाओं की बिक्री के लिये समय सीमा निर्धारित की गई थी ,तो कुछ दुकानदारों को लगा कि कमाने का अच्छा मौका है, समय सीमा के बाद तक बेचने में लगे रहे, कुछ तो एक फाटक खोलकर रात के 11 बजे तक बेचते रहे ।
 हमारी जिला प्रशासन से यही विनती है कि आप जनपद के अभिभावक है । रोग लाइलाज होने की डगर पर बढ़ रहा है, इसको अभी रोकिये नही तो समय हाथ से निकल जायेगा । एक बार कम से कम 7 दिनों के लिये कर दीजिये सब कुछ लॉक, सिर्फ यही बचा है इलाज ।