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बलिया में भी है मौत के सौदागर :नवजात शिशु की टूट गयी सांस,पर डॉक्टर करते रहे इलाज



मधुसूदन सिंह
बलिया ।। अभी तक आपने महानगरों में ही सुने होंगे कि प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजो के मर जाने के बाद भी फर्जी तरीके से इलाज कर परिजनों से मोटी रकम ऐंठते  है । मुर्दों का इलाज करने वाले ऐसे डॉक्टर अब बलिया में भी आ गये है । जी हां, आज बलिया में जो घटना सामने आयी है , इसको सुनने के बाद आपकी रूह तक कांप जाएगी । आज ओम साई क्लिनिक ,महिला अस्पताल रोड जगदीशपुर के चिकित्सकों ने ऐसा कृत्य किया है कि जिसको देखने व सुनने के बाद आप की रूह तक सिहर जाएगी ।

ओम व साई जैसे पवित्र नामो को मिलाकर बने ओम साई क्लिनिक में जिंदगी देने के लिये नही बल्कि मरने के बाद भी इलाज के नाम पर पैसा कमाने के लिये इलाज किया जाता है । वो भी बड़े लोगो का नही अबोध नवजातों की जिंदगी के साथ मौत पर भी इन्हें पैसा कमाने में कोई गुरेज नही है । क्योंकि ये इंसान के रूप में लालची भेड़िये जो है । घटना के बाद से इसमे ताला लग गया है ।



मरे हुए बच्चे को गोद मे लेकर मां करती रही आंख खुलने का इंतज़ार

आज जो घटना सामने आयी है उसमें इलाज करने वाले चिकित्सक ने नवजात के परिजनों से कहा कि 7 घण्टे बाद बच्चे की आंख खुलेगी ।घण्टो बाद जब परिजनों की आंखे खुली तो उनके उम्मीदों की दुनिया लूट चुकी थी । पता चला कि अब उनका बच्चा कभी आंखे नही खोल पायेगा।

दरअसल सदर कोतवाली अंतर्गत एक प्राइवेट ओम साईं क्लिनिक के चिकित्सकों द्वारा इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया। सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र के पकड़ी थाना के रहने वाले प्रदीप राजभर ने ओम साईं क्लिनिक पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा है कि 10 हजार रुपये जमा कराने के बाद रेफर करते हुए मृतक बच्चे को गोद मे देकर अस्पताल वाले बोले कि आंखे खुलने का इन्तेजार करो क्योकि इसको नींद का इंजेक्शन लगाया गया है ।
पीड़ित परिवार की माने तो उनका बच्चा एक प्राइवेट नर्सिंग होम  जीवन रेखा में 6 जून 2020 को रात 12 बजे स्वस्थ पैदा हुआ था । अस्पताल के चिकित्सकों ने नवजात बच्चे को किसी चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाने को कहा। बच्चा स्वस्थ्य है या नही,इस  सोच कर परिजन बच्चे को ओम साईं क्लिनिक पर दिखाने ले गये। पीड़ित का आरोप है कि क्लिनिक के चिकित्सक ने जबरन बच्चे को लेकर डराया और बहला-फुसला कर एडमिट कर बच्चे को एनआईसीयू में डाल दिया और दूसरे दिन इलाज के नाम पर 10 हजार रुपये लिए और इसके बाद बच्चे को परिजनों को सौप दिया ।  इस दौरान बच्चा के शरीर मे कोई हरकत नही था, जब परिजनों ने डॉक्टर से इस संबंध में पूंछा तो बताया कि बच्चे को नींद की सुई दिया गया है, 6-7 घण्टे बाद वो अपनी आंख खोलेगा ।परिजनों ने बताया कि ये सोचकर हम बच्चे को उसके मां के पास ले जाकर सुला दिया । जब घण्टो बाद भी बच्चे की आंख नही खुली तो बच्चे को लेकर ओम साई क्लिनिक पर ले गये तो बताया गया कि बच्चा मर चुका है। साथ ही डॉक्टर ने दबंगई दिखाई और बच्चे को तुरंत कही दफनाने की हिदायत दी । इस मामले में परिजनों ने 112 नम्बर को फोन कर सूचना दिया । इसके बाद सदर कोतवाली में क्लिनिक और क्लिनिक से जुड़े चिकित्सक के खिलाफ तहरीर भी दे चुका है । अब इस मामले में पुलिस के द्वारा जांच कराई जा रही है ,वही मृतक बच्चे को पोस्टमार्ट के लिए भेज आगे की कार्रवाई में जुटी है। इस मामले पर अपर सीएमओ के डी प्रसाद की माने तो इस मामले की जानकारी अभी हुई है, यदि क्लिनिक  के चिकित्सिक दोषी पाया जाता है तो सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।


रजिस्ट्रेशन में भी हुआ है गोरखधंधा
बताते चले कि ओम साई क्लिनिक के रजिस्ट्रेशन में भी गोरखधंधा होने की खबर है । जब घटना के बाद इस अस्पताल के कागजी प्रबंधक (असली मालिक जिले के एक सीएचसी पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सक बताये जा रहे है ) रवि वर्मा नामक व्यक्ति से मोबाइल से संपर्क किया गया (रवि वर्मा सीएमओ कार्यालय में जमा नवीकरण आवेदन में संचालक है )तो बताया कि मैंने तो 2018-19 वित्तीय वर्ष में ही इस अस्पताल से नाता तोड़ लिया है ,मेरा नाम कैसे चल रहा है, यह इस अस्पताल के मालिक ही बता सकते है । बावजूद इतना कहने के  ,ये भी मीडिया के सामने आने कतराते रहे ।

परिजन का बयान


 अपर मुख्य चिकित्साधिकारी/प्रभारी सीएमओ डॉ केडी प्रसाद का बयान