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डिप्रेशन को पहचानें और इससे बाहर आने के लिए मदद लें




बलिया ।। यूँ तो ज़िन्दगी में समय-समय पर ख़ुशी और निराशा महसूस करना जीवन का एक सामान्य हिस्सा है। पर निराशा जब लम्बे समय तक रहे तो वह डिप्रेशन यानि अवसाद का रूप ले सकती है। खासकर कोविड-19 के समय में संक्रमण के खतरे के अलावा नौकरी खोने, घरों में बंद होने और अकेलेपन से लोगों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और नकारात्मक विचार हावी हो रहे हैं जिससे डिप्रेशन की सम्भावना बढ़ी है। लेकिन यदि शुरूआती समय में ही डिप्रेशन की पहचान और उससे निकलने की कोशिश की जाए तो आप बेहतर हो सकते हैं।
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ0 सुधीर कुमार तिवारी का कहना है कि आजकल डिप्रेशन एक आम समस्या हो गई है। हर उम्र के लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरुक होने की ज़रूरत है। यह समझना ज़रूरी है कि डिप्रेशन अचानक नहीं होता। किसी व्यक्ति की दिनचर्या या व्यवहार में यदि दो हफ्ते से ज्यादा तक असामान्य परिवर्तन दिखें तो उन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का मज़ाक न उड़ाएं और उपहासजनक शब्दों का इस्तेमाल न करें। बल्कि उसके मन की बात जानने की कोशिश करें। डिप्रेशन के कुछ शुरुआती लक्षण होते हैं, यदि उन्हें पहचान कर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए, तो इस स्थिति से बाहर निकलना मुमकिन हो सकता है। इसमें परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है।
गंभीर डिप्रेशन की स्थिति में आ सकते हैं आत्महत्या के विचार, ऐसे में व्यक्ति को अकेला न छोडें
डॉ तिवारी ने बताया कि डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति अकेले रहना शुरू कर देता है और उसे लोगों को अपनी समस्याएँ बताने में हिचकिचाहट होने लगती है। वहीँ संवेदनहीनता के कारण कुछ लोग उनकी बातें सुनना भी नहीं चाहते। इससे पीड़ित व्यक्ति अन्दर से टूट जाता है और उसे इस दुनिया में जीना अच्छा नहीं लगता। गंभीर डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति के मन में आत्महत्या का विचार आ सकता है। इसलिए व्यक्ति को अकेला बिलकुल न छोडें और डॉक्टर से परामर्श लें। गंभीर डिप्रेशन के 85 प्रतिशत मरीजों को काउन्सलिंग और दवा से बहुत फायदा होता है।
डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण
क्रोध या चिड़चिड़ापन
भूख या वज़न में परिवर्तन
नींद न आना
एकाग्रता में कमी
शारीरिक थकान होना
दैनिक कार्यों में रुची खोना
खुद से घृणा की भावना या खुद को बेकार समझना
लापरवाह व्यवहार जैसे शराब आदि का सेवन