Breaking News

सबसे बड़ा सवाल : जब डाक न आएगी न जाएगी तो कैसे कहे -जारी है डाक सेवाएं सरकार

सबसे बड़ा सवाल : जब डाक न आएगी न जाएगी तो कैसे कहे -जारी है डाक सेवाएं सरकार
मधुसूदन सिंह



बलिया 27 मार्च 2020 ।। भारत सरकार द्वारा लॉक डाउन घोषित करने के साथ लोगो को यह आश्वस्त किया गया कि आवश्यक सेवाओ को इस लॉक डाउन से मुक्त रखा गया है ,केवल लोगो में  कोरोना के संक्रमण के फैलाव को एक जगह से दूसरी जगह होने से रोकने के लिये मूवमेंट को रोका गया है । मूवमेंट रोकने के लिये सरकार ने यात्री रेल गाड़ियों के परिचालन, बसों के परिचालन को पूरी तरह से ठप्प कर दिया । लेकिन विभिन्न आवश्यक सेवाओ को चालू रखने के लिये बन्द नही किया जिसमें पोस्ट आफिस भी शामिल है । कहने को तो पोस्ट आफिस चालू है , यहां आप अपनी डाक को रजिस्ट्री करा सकते है ,डाक विभाग के बैंकिंग सेक्टर से धन जमा और निकाल सकते है लेकिन न तो आपकी डाक कही आएगी , न कही जाएगी । कारण की ट्रांसपोर्ट बन्द , यात्री रेल सेवा बन्द तो डाक कैसे आएगी और जाएगी , इसका जबाब कोई देने वाला नही है । डाक विभाग पर नोट बंदी लागू होने और एटीएम मशीनों से नये नोटों के लिये जैसे प्रोग्रामिंग न होने से केवल 100 की ही नोट निकलती थी जिससे जनता को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, ठीक वही स्थिति पोस्ट आफिस के साथ हो रही है ।
 पोस्ट आफिस का मूल कार्य है डाक का एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना जो आज बाधित है । बचपन मे हम लोग प्राथमिक की किताबो में पढ़े थे कि -- चाहे आंधी आये या तूफान , रेल आएगी डाकिया आएगा , जो आजकल उल्टा हो गया है -- न रेल आएगी न डाकिया आएगा । यह इस लिये कहा गया था कि रेल के साथ ही डाक की व्यवस्था जुड़ी हुई है । रेल के आने पर ही डाक आती और जाती है लेकिन जब से यात्री रेल सेवाओ को प्रतिबंधित किया गया है ,डाक सेवा अघोषित रूप से अपने आप बन्द हो गयी है । भारत सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ।
क्या है वैकल्पिक मार्ग
वैश्विक महामारी कोरोना को देश मे फैलने से रोकने के लिये जहां लॉक डाउन जरूरी है , वही आवश्यक सेवाओ को भी सुचारू रूप से संचालित करना जहां सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है तो साथ ही नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी भी है । जनमानस के लिये रोटी कपड़ा और मकान के साथ डाक सेवा भी बहुत आवश्यक है । अब चूंकि यात्री रेल सेवाओ को सरकार ने बन्द कर दिया है तो बिना आदेश के ही डाक का एक जगह से दूसरी जगह जाना अपने आप बन्द हो गया है । ऐसी सूरत में इस डाक व्यवस्था को वैकल्पिक रास्तो से अगर सरकार चाहे तो चला सकती है । देशभर में आज भी भारतीय रेल आवश्यक वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिये दिनरात एक करके मालगाड़ियों का संचालन कर रही है । ऐसे में विभिन्न बड़े स्टेशनों को चिन्हित करके अगर इन्ही गाड़ियों में डाक विभाग की बोगियों को जोड़ दिया जाय तो शतप्रतिशत तो नही पर बहुत हद तक डाक व्यवस्था चलने लगेगी । इन चिन्हित स्टेशनों से सड़क मार्ग से आसपास के जनपदों में डाक का आदान प्रदान किया जा सकता है । अगर यह हुआ तो पोस्ट आफिस का खुलना सार्थक है , नही तो कह देना चाहिये कि अगर बैंकिंग करना है तो पोस्ट आफिस आये, डाक के लिये नही ।