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बलिया : लगभग 300 वर्षों पुराना इतिहास है सिकंदरपुर के चतुर्भुज नाथ मंदिर का , दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं


लगभग 300 वर्षों पुराना इतिहास है सिकंदरपुर के चतुर्भुज नाथ मंदिर का, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं





सिकंदरपुर बलिया 21 फरवरी 2020 ।। नगर के डोमनपुरा में स्थित ऐतिहासिक चतुर्भुजनाथ मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। यहां के पुजारी महंत महेन्द्रदास की माने तो यहां एक अद्भुत चमत्कार हुआ था। शिवरात्रि के दिन यहां पर नगर सहित आसपास के क्षेत्र में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां सभी भक्तो की दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। चतुर्भुज नाथ मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना माना जाता है ।जिसको राजा सुरथ से जोड़कर बताया जाता है ।लोगों का कहना है कि राजा सुरथ एक बार कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए थे । कुष्ठ रोग से ग्रसित राजा एक बार सिकंदरपुर से होकर कहीं जा रहे थे ।वही शौच करने के बाद राजा ने अपने नौकर से पानी मंगवाया। नौकर ने इसी तालाब से पानी लाकर दिया ।जैसे ही पानी को  राजा ने  अपने अंग पर स्पर्श किया तो उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया ।इस बात से राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। राजा ने नौकर से कहां किया पानी कहां से लाए थे,तब राजा को इसी तालाब के लाकर  दिखाया । तालाब को देखते ही  राजा ने तुरंत जाकर उस पानी को अपने शरीर के अन्य अंगों पर लगाया तो उसका सारा कुष्ठ रोग दूर हो गया। ऐसा चमत्कार देखकर राजा ने सर्वजन कल्याण के लिए इसे पोखरा बनाने का आदेश दिया। कहा जाता है कि दिन-रात सैकड़ों मजदूर इस काम में लगाए गए। खुदाई के दौरान ही  एक बार एक मजदूर का फावड़ा किसी वस्तु से टकरा गया। जिससे टन- टन की आवाज आई। उसके बाद खुदाई की गई तो वहां भगवान चतुर्भुज नाथ की सोने की मूर्ति निकली। उस मूर्ति को किसी तरह निकाल कर पोखरा निर्माण पूरा होने के बाद एक मंदिर बनाया गया और राजा ने अपने हाथों से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की और पूजन किया । तब से आजतक  इस मंदिर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूजा की जाती है। भगवान चतुर्भुज का पुखरा  एक आस्था का केंद्र बन गया है।