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बलिया : जेल में बंद आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे कैदी की इलाज के दौरान मौत ने छोड़े कई सवाल , लकवा ग्रस्त रोगी की इलाज के लिये नही मिली जमानत

बलिया : जेल में बंद आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे कैदी की इलाज के दौरान मौत ने छोड़े कई सवाल , लकवा ग्रस्त रोगी की इलाज के लिये नही मिली जमानत

बलिया 22 जनवरी 2020 ।। जेल में सजा काट रहे कैदी की रोग से मरने की खबर कोई नई नही है । लेकिन मंगलवार की सुबह बलिया के जिला जेल अस्पताल में इलाज कराने वाले पक्षाघात(लकवा)से पीड़ित रोगी की मौत एक खबर इस लिए है क्योंकि ऐसे रोगियों की इलाज के साथ साथ पारिवारिक सेवा की आवश्यकता होती है । जो रोगी गंभीर रूप से पक्षघात का शिकार हो, अपने से चल फिर भी नही सकता हो ,उसकी भी इलाज के लिये जमानत न मिलना निश्चय ही सोचनीय व मानवीयता के खिलाफ है । सन 2011 से हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे  67वर्षीय कैदी गणेश राजभर निवासी समरथ पुर थाना मनियर को सजा काटने के दौरान ही जेल में पक्षाघात का जबरदस्त अटैक हुआ ,जिसका जेल प्रशासन बलिया से लेकर बीएचयू तक अपनी कस्टडी में इलाज कराया जो मंगलवार की सुबह मौत होने तक चल भी रहा था । लेकिन परिजनों की जिला सत्र न्यायालय से लेकर माननीय उच्च न्यायालय तक इलाज के लिये जमानत की गुहार कागजो के फेर में ऐसी उलझी की जमानत नही हो पायी और अंतः सेवा के अभाव (प्रॉपर केयर) में गणेश राजभर ने जेल में दम तोड़ दिया । जिसको जेल कर्मियों द्वारा जिला अस्पताल लाया गया, जिसको मृत घोषित करते हुए चिकित्सको ने पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया ।
  नायब तहसीलदार जया सिंह की मौजूदगी में डॉक्टरों के पैनल द्वारा वीडियोग्राफी के साथ गणेश राजभर का पोस्ट मार्टम किया गया ।
 सवाल यह उठता है कि क्या ऐसे मामलों में कानूनी पेचीदगियों को मानवता के आधार पर कम नही करना चाहिये ?
नायब तहसीलदार जया सिंह का बयान


मृतक कैदी के परिजन का बयान