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लखनऊ : प्रयागराज उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सरकारी विभागों में आउट सोर्सिंग व संविदा भर्तियों पर लगाई रोक , सरकार से मांगा जबाब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कैसे हो रही है ऐसी भर्तियां ?


 लखनऊ : प्रयागराज उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सरकारी विभागों में आउट सोर्सिंग व संविदा भर्तियों पर लगाई रोक , सरकार से मांगा जबाब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कैसे हो रही है ऐसी भर्तियां ?

लखनऊ 23 नवम्बर 2019 ।। शुक्रवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने अहम फैसला देते हुए पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित स्वीकृत पदों पर आउटसोर्सिंग से हो रही संविदा भर्तियों पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी केस के बाद सेवा प्रदाता फर्मों से किस नियम से सरकारी विभागों में संविदा भर्तियां हो रही हैं? 
यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने याची मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लि. की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं। याची ने याचिका दायर कर मांग की है कि सरकार ने उसका रजिस्ट्रेशन खारिज कर दिया है, जिसे बहाल किया जाए। अदालत ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है। अदालत ने जानना चाहा कि आउटसोर्सिंग से नियमित पदों के सापेक्ष संविदा या कांट्रैक्ट पर किस तरह से भर्तियां हो रही हैं।
अदालत ने यह भी जानना चाहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी के केस के बाद 13 वर्ष बीत चुके हैं। कहा कि इस मामले में पदों को भरे जाने संबंधी सरकार की क्या नीति है। सुनवाई के समय यह बात भी आई कि आउटसोर्सिंग से भर्ती किया जाना न्यायोचित नहीं है। सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में सरकार नीति बना रही है और शीघ्र ही भर्ती की नीति बन जाएगी। अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पूरे प्रदेश में मैनपवार सप्लाई से सरकारी दफ्तरों में भर्तियों पर रोक लगा दी है। अदालत ने एक सप्ताह में सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए अगली सुनवाई 27 नवम्बर को नियत की है।
क्या है उमा देवी केस
कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि सरकारी विभागों में बिना किसी स्वीकृत पद के बैकडोर से ,अस्थाई ,तदर्थ ,वर्कचार्ज के रूप में नियुक्ति गैर कानूनी है। कोर्ट ने कहा कि पद के बिना पहले तो काम पर लगा लिया बाद में कुछ वर्षों बाद वह व्यक्ति अनुभव के आधार पर नियमित होने की मांग करता है यह कानून की नजर में गलत है। इस प्रथा से नियमित पदों पर आने या नियुक्त होने वालों का हित प्रभावित होता है। इस केस से सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 से बैक डोर एंट्री को समाप्त कर दिया था।
बजट 2019-20 में कर्मचारी
  • वेतन पर खर्च होते हैं 60667.88 करोड़ 
  • चालू वित्तीय वर्ष में इस मद में खर्च हैं 48849.01 करोड़ 
  • वेतन मद से इतर आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए सरकार को खर्च करना होगा 790.66 करोड़
  • प्रदेश में करीब सवा चार लाख पद खाली हैं।
  • यूपी में 36 निगम एवं सार्वजनिक उपक्रम हैं। कोई नई भर्ती नहीं हुई।
  • 1.75 लाख कर्मचारी होते थे। रिटायरमेंट के चलते अब 75 हजार पद खाली हैं।
  • 790.66 करोड़ आउटसोर्सिंग का बजट है
  • केंद्र व राज्य दोनों मिलाकर यूपी में करीब 7 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी
  • कुल राज्य कर्मचारी 15 लाख 2000 हैं।
हाल में हुई सीधी भर्तियां
  • 68500 शिक्षक भर्ती हुए
  • 69000 शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई
  • पुलिस में हुईं 75000 सिपाही भर्ती
  • (साभार)