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बलिया : खुशहाली की आश दिखाती उपकेंद्र खंडवा की आशा बहू ऊषा सिंह : काउंसलिंग करके पुरुषों को नशबंदी के लिये कर रही है सहमत

खुशहाली की आश दिखाती उपकेंद्र खंडवा की आशा बहू ऊषा सिंह : काउंसलिंग करके पुरुषों को नशबंदी के लिये कर रही है सहमत 
सफल नसबंदी से कई परिवारों में खुशहाली एवं बेहतर सेहत पाने में की मदद 

बलिया, 7 मई 2019 : स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को जमीनी स्तर एवं जनसमुदाय तक पहुंचाने में सबसे महत्वपूर्ण आशा भूमिका निभाती हैं। समुदाय में स्वास्थ्य से संबन्धित चाहे जिस भी प्रकार की समस्या हो आशा उसको दूर करने की पूरी कोशिश करती हैं।
             कुछ ऐसा ही कार्य ब्लॉक नगरा उपकेंद्र खंडवा की निवासी उषा सिंह का है जो वर्ष 2006 से आशा बहू के रूप में कार्यरत हैं। वह एएनएम कमला के साथ सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का अपने क्षेत्र के लोगों से मिलकर उनको स्वास्थ्य परामर्श देती हैं। वहीं घर-घर जाकर परिवार नियोजना के स्थायी व अस्थायी साधनों के बारे में भी बताती हैं जिसका लाभ अधिक से अधिक लोग ले सके। वह बताती हैं कि लोगों के मन में विश्वास पैदा करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी लेकिन धीरे-धीरे जब लोगो को योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ तो समुदाय के मन मे उनके प्रति विश्वास बढ़ा और लोग स्वयं से जानकारी लेने के लिए आगे आने लगे। 
             वह बताती हैं कि मीटिंग के दौरान बताया गया था कि  जो महिला, नसबंदी करवाएगी तो सरकार द्वारा 2,000 रुपये की सहायता दी जाएगी तथा पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपये। यह बात सुनकर वह अपने क्षेत्र में गई और उन दंपत्तियों से चर्चा की जो दो बच्चों पर नसबंदी के राजी हो सकें। इसके बाद वह खंडवा के ही निवासी संजय कुमार से मिलीं जिनके दो बच्चे हैं। उषा सिंह ने उनको पुरुष नसबंदी से संबन्धित सारी बातें बताईं और लाभार्थी के मन में जो भी प्रश्न थे उनको अच्छे समझाया। इसके बाद वह नसबंदी करवाने के लिए तैयार हो गए। इसके पश्चात रेवती सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आयोजित पुरुष नसबंदी शिविर में ले जाकर सफलतापूर्वक नसबंदी की गयी। संजय खुश हैं कि वह एक पुरुष के तौर पर परिवार नियोजन कार्यक्रम का हिस्सा बने। वह बताते हैं कि किसी प्रकार की परेशानी नही है और उनकी पत्नी भी उनके इस निर्णय से खुश हैं।
             आशा उषा सिंह बताती हैं कि अब तक वह 50 महिलाओं की नसबंदी करवा चुकी हैं और पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित कर रही हैं।           
                                               
पुरुष नसबंदी क्या होती है– उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने बताया की पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में बहुत ही आसान प्रक्रिया है। परिवार नियोजन की यह एक स्थाई विधि है यह विधि बिना चीरा व टाँका की जाती है। इस विधि को करने मे 5 से 10 मिनट का समय लगता है। लाभार्थी उसी दिन घर चलकर अपने आप जा सकता है। इस प्रक्रिया में शुक्राणु नली को बांध दिया जाता है। पुरुष नसबंदी  होने के 3 महीने बाद तक प्रभावी होता है। 3 महीने बाद लाभार्थी को शुक्राणु की जांच कराना  अत्यंत आवश्यक है। पुरुष नसबंदी के दो दिन बाद से दैनिक क्रियाकलाप कर सकता है एवं 7 दिन बाद भारी वजन उठा सकता है। इस विधि को अपनाने के बाद शारीरिक एवं परिवारिक  जीवन में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही इससे यौन क्षमता पर कोई असर पड़ता है। 

महिला नसबंदी क्या होती है–*अजय शुक्ला ने बताया कि महिला नसबंदी दो विधि से की जाती है। मिनी लैप एवं लैप्रोस्कोपिक (दूरबीन विधि) यह एक प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा की जाती है। महिला नसबंदी एक स्थायी विधि है। महिला, नसबंदी होने के 48 घंटे बाद हल्के घरेलू काम कर सकती है। दो हफ्ते बाद धीरे-धीरे अपने सारे कार्य पूरी क्षमता से कर सकती है। जबकि सातवें दिन टांके कटवाने के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क कर सकती है। महिला नसबंदी (मिनी लैप एवं लैप्रोस्कोपिक) किए जाने पर लाभार्थी ऑपरेशन के एक हफ्ते बाद अथवा जब महिला को आसानी हो शारीरिक संबंध स्थापित कर सकती हैं।