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कोलकाता : एक्सपायरी डेट हो गयी है मोदी सरकार : ममता बनर्जी

 

एक्सपायरी डेट हो गयी है मोदी सरकार : ममता बनर्जी

क्या ब्रिगेड ग्राउंड पर मेगा रैली से सत्ता

बदलने का इतिहास दोहरा पाएगा विपक्ष




(अहाना बोस)
कोलकत्ता 19 जनवरी 2019 ।।
कोलकाता का ब्रिगेड परेड मैदान 19 जनवरी को एक एतिहासिक लम्हे का गवाह बना. एक ऐसा लम्हा जहां देश भर के कई दिगग्ज नेता एक साथ एक मंच पर आए. मौका था पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली का. इस रैली का मकसद था मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता दिखाना. इस रैली में आम लोगों की भारी भीड़ तो थी ही साथ ही अलग-अलग पार्टी के नेताओं का जमावड़ा भी था.

युवा नेता जिग्‍नेश मेवानी और हार्दिक पटेल के अलावा राजनीतिक जगत के कई दिग्गज मंच पर मौजूद थे. अरविन्द केजरीवाल ,एचडी देवगौड़ और एमके स्टालिन ने आरोप लगाया कि मोदी सीबीआई और आरबीआई जैसी संस्था का भी अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि देश को नए प्रधानमंत्री की जरूरत है. केजरीवाल ने कहा कि मोदी और अमित शाह देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.






ब्रिगेड परेड मैदान का इतिहास रहा है कि यहां विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ हमेशा आवाज़ बुलंद की है. साल 2010 में ममता बनर्जी ने इसी मैदान पर कहा था कि CPI-M की मौत हो गई है. उन्होंने इस दौरान लोगों से अपील की थी कि वो 34 साल से चली आ रही CPI-M की सत्ता को उखाड फेेेके ।
आखिर आज क्या अलग देखने को मिला? पहला ये कि भारत के राजनीतिक इतिहास में ये अनोखा मौका था जब 23 पार्टी के नेता एक साथ एक मंच पर जमा हुए और इन सबने सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई. ये काफी अहम है कि विपक्षी दल के सारे नेताओं ने एकजुटता दिखाई. आम चुनाव से पहले क्षेत्रीय दलों का इस तरह सुर्खियों में आना एक बड़ी बात है.
दूसरा ये कि इस रैली का नतीजा चाहे जो भी हो अखिलेश यादव, तेजस्वी प्रसाद यादव और जिग्‍नेश मेवानी जैसे नेताओं ने सरकार के खिलाफ जिस तरह से आवाजें उठाई है वो काफी अहम है.

तीसरा ये कि भारतीय राजनीति में ये समस्या है कि नेता एक साथ किसी एक मुद्दे पर राजी नहीं होते. लेकिन यहां नेता अपने क्षेत्र, अपनी पार्टी और अपनी विचारधारा सबको भूला कर एक साथ एक मंच पर आए.
कश्मीर से लेकर आन्ध्र प्रदेश और फिर उत्तर-पूर्व... शायद ही देश का कोई कोना बचा हो जहां इनकी आवाजें न सुनी गई हो. जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से लेकर आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग, हर किसी ने मोदी पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया.

सवाल ये नहीं है कि मौजूदा सरकार अगर फिर से सत्ता में नहीं आती है तो अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? अहम ये है कि चुनाव से पहले विपक्षी पार्टी के नेता दूरियां मिटा कर एक साथ एक दूसरे के करीब आ रहे हैं.

ममता बनर्जी ने लंबे समय से मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. और अब बीजेपी के खिलाफ सभी दलों को एक साथ एक मंच पर लाना अपने आप में बड़ी बात है. देश में इस समय काफी समस्याएं हैं ऐसे में एक नेता का सामने आकर बदलाव का नारा देना अपने आप में एक बड़ी बात है. ये रैली कितनी कामयाब रही वो इस बात से साबित नहीं होता कि ब्रिगेड मैदान में कितने लोग जमा हुए. इसकी सफलता इस बात से मापी जाएगी कि भारतीय लोकतंत्र में दूसरे विचारधारा के लोग एक साथ जमा हुए.

इस रैली से कुछ सवाल भी खड़े हुए. मसलन वाम दल के नेता यहां नहीं आए. ऐसे में ये वाम दिलों की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान भी खड़े करते हैं. मोदी के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले कन्हैया कुमार भी इस रैली में शामिल नहीं ।
(साभार न्यूज18)