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बलिया के ईओ की कार्यप्रणाली से आईजीआरएस का औचित्य ही कटघरे में : जिम्मेदार कौन सरकार या उच्चाधिकारी ?




योगी सरकार के इकबाल को धूमिल करती नगर पालिका परिषद बलिया
आईजीआरएस के आदेश को ढेंगा दिखाते ईओ
कमिश्नर , जिलाधिकारी के आदेश भी ईओ के आगे नतमस्तक
नाला सफाई कराने में आईजीआरएस , कमिश्नर , डीएम भी फेल
मधुसूदन सिंह


बलिया 5 दिसम्बर 2018 ।। स्वच्छ भारत अभियान की पूरे देश मे धूम मची हुई है । स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाने के लिये जागरूकता रैलियां निकाली जा रही है ।रैलियों में खूब नारेबाजी की जा रही है , खर्च किये का रहे है , लोगो को समझाया जा रहा है कि कूड़े को कैसे कचरे बॉक्स में डाले । पर यही समझाने वाले सरकारी अधिकारी जब सफाई करने की शिकायत आती है तो उसको महीनों से टरका रहे है । योगी जी ने आईजीआरएस के माध्यम से आमजन से शिकायतों कक दर्ज करने का जो अभियान /मुहिम चलायी है उसको नगर पालिका परिषद बलिया और इसके अधिशाषी अधिकारी डीके विश्वकर्मा पलीता लगाकर सरकार के इकबाल को ही कटघरे में खड़ा कर दिये है । 1 नवम्बर से आईजीआरएस के माध्यम से शहर के आनन्द नगर मुहल्ले की गंदगी से जाम हो चुकी नाली को सफाई कराने की शिकायत की गई है लेकिन धन्य है आईजीआरएस की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी जिनकी नजर में आजतक यह नही आ पाया कि उनके आदेश को कैसे गन्दे नाले में बहा कर इज्जत बख्शी गयी है और नाली आजतक साफ नही हुई है । यही नही एक नवम्बर से पहले( लगभग बीस दिनों) चार बार जिलाधिकारी बलिया से व्यक्तिगत रूप से मिलकर शिकायत की गई , 31 अक्टूबर को लिखित रूप से शिकायत की गई लेकिन कोई फायदा नही हुआ । कमिश्नर आजमगढ़ से भी इस समस्या के समाधान की अपील की गई (पहले तो साहब ने कहा कि इतनी छोटी समस्या के लिये मुझे क्यो परेशान कर रहे है । जब मैंने कहा कि साहब अगर यह छोटी सी परेशानी जिले स्तर से हल हो गयी होती तो आपको क्यो परेशान करता ? फिर साहब ने ईओ बलिया को फोन किया) तो उन्होंने ईओ बलिया को फोन करके समस्या को दूर कराने का आदेश दिया । लेकिन धन्य है ईओ बलिया जिनके आगे कमिश्नर आजमगढ़ का आदेश भी किसी टंकी में पानी भर रहा है और आनन्द नगर की जाम नाली आज भी जाम ही है । सवाल यह नही है कि काम नही हुआ , सवाल यह है कि क्या योगी सरकार में भी अधिकारी अपनी ऊंची राजनैतिक पहुंच के बल पर आम नागरिकों की समस्याओं से उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद आंखे फेरे रहेंगे । आज ईओ बलिया के चलते आईजीआरएस पोर्टल के औचित्य पर ही सवाल उठ खड़ा हुआ है ? इसके लिये कौन जबाब देह है सरकार या उच्चाधिकारी ?