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खाकी के खिलाफ मॉब लिंचिंग को विपक्ष ने कहा - "ठोक दो मंत्र " के कारण हो रही है घटनाएं , पूर्व डीजीपी ने कहा - लैपटॉप और डिजिटल व्यवस्था में सिमटी पुलिस , अपराधियो पर से निगरानी हुई खत्म



31 दिसम्बर 2018 ।।

नए साल से पहले बुलंदशहर और गाजीपुर की हिंसा पर भारी पड़ी योगी सरकार की एनकाउंटर नीति. जहां बुलंदशहर में हुई हिंसा में एक दारोगा समेत 2 लोगों की मौत ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था. वहीं यूपी के गाजीपुर में पथराव में एक पुलिस कांस्टेबल की मौत हो गई है. इस मामले में विपक्ष ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में भीड़तंत्र का हावी होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है.
एक न्यूज चैनल से बातचीत में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के पीछे सीएम योगी ने 'ठोको मंत्र' दिया है.' जिसका असर आपके सामने है, आज खाकी वाले जनता को ठोक रहे है और जनता खाकी वर्दी वालों को ठोक रही हैं.

अनुराग भदौरिया ने कहा कि प्रदेश में ऐसी सरकार कभी नहीं देखी जहां खुलेआम मंच से पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वीसी छात्रों को हत्या करने की नसीहत देते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि जेल के अंदर से लेकर बाहर तक सिर्फ बाबा का 'ठोको मंत्र' ही हावी हो रहा है. उधर इस मामले में कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल निकवी ने कहा कि बुलंदशहर हिंसा में आरोपियों पर सरकार का संरक्षण का नतीजा है कि गाजीपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद सिपाही की पीट-पीटकर हत्या कर देना.

योगी राज में मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जवाब देते हुए बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि दोनों ही घटनाओं पर सरकार ने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है. उन्होंने कहा कि समाज में कड़ा संदेश देने के लिए सरकार ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी करते हुए रासुका के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिए हैं. वहीं मृतक सिपाही सुरेश वत्स की पत्‍नी के लिए 40 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है. वहीं पत्‍नी को पेंशन और माता-पिता के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया है.

भीड़तंत्र के शिकार बनते वार्दी वालों के सवाल का जवाब देते हुए यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमला एक बहुत बड़ी घटना है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक सियायत है. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की जरुरत है. क्योकि भीड़ को एक तबका पीछे से भड़काता है. जिसका नतीजा है बुलंदशहर और गाजीपुर की घटना. इस मामले में हमने कड़ी कार्रवाई करते हुए 32 नामजद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जिसमें 12 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाएं तभी होती है जब पुलिस की अपराधियों पर निगरानी खत्म हो जाती है. तो लोग ऐसा दुस्साहस करते है. आज लोगों के मन में बैठ चुका है कि किसी भी घटना के बाद उसका कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि धारा 107/16 यानी पाबंद की कार्रवाई अब नहीं हो रही है. आज यूपी पुलिस लैपटॉप और कंप्यूटर की डिजिटल व्यवस्था में सिमट कर रह गई है. जिसके कारण पुलिसकर्मियों पर हमले हो रहे हैं.