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बलिया : जवही दियर के ग्रामीणों ने कहा - योगी जी की सरकार में पिछली सरकार से ज्यादे हो रहा है भ्रष्टाचार


 जवही दियर के ग्रामीणों ने कहा - योगी जी की सरकार में पिछली सरकार से ज्यादे हो रहा है भ्रष्टाचार
ग्रामप्रधान द्वारा सड़क निर्माण के नाम पर फर्जी मनरेगा मजदूरों के नाम पर भुगतान कराने के प्रयास का मामला
जांच टीम पर भी ग्रामीणों ने लगाया भ्रष्टाचारियों को बचाने का संगीन आरोप
बलिया जनपद के गंगापार हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान परशुराम चतुर्वेदी के गांव जबही दियर का है मामला
शशि कुमार की रिपोर्ट
बलिया 21 दिसम्बर 2018 ।।


    प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी लाख कोशिश कर ले बलिया जनपद के अधिकारी है कि भ्रष्टाचार को घटाने की बजाय बढ़ाने में ही लगे हुए है । यही कारण है कि आज बलिया में लोगो ने कहना शुरू कर दिया है कि योगी सरकार से तो अच्छी अखिलेश सरकार थी जिसमे इतना तो भ्रष्टाचार नही होता था । यह हम नहीं कह रहे है बलिया मुख्यालय से सुदूर , सड़क विहीन , साधन विहीन क्षेत्र जवही दियर के ग्रामीण कह रहे है । कभी हिंदी के सुप्रसिद्ध विद्वान परशुराम चतुर्वेदी के नाम से इतराने वाला जवही दियर आज ग्रामप्रधान , ग्राम सचिव और उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से घोटाला करने के प्रयास के लिये चर्चा में है । ग्रामीण शिकायतकर्त्ताओ द्वारा फोटो ग्राफ , वीडियो क्लिप , दस्तावेज साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने के बावजूद जब जांच टीम को घोटाला नजर ही न आये तो क्या कहेंगे ? ग्रामीणों का आरोप है कि इसी जांच को करने के लिये जेडी साहब आजमगढ़ से और अन्य अधिकारी बलिया से बक्सर के रास्ते ढाई घण्टे की यात्रा करके जवही दियर तक आये और जांच मात्र 15 मिनट में पूरी हो गयी कितनी हास्यास्पद बात है ? ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जांच टीम ने ग्राम प्रधान से बात तो की लेकिन हम लोग साक्ष्य दिखाते रह गये लेकिन नही देखे और पुनः लिखित रूप से शिकायत देने की बात कहकर चले गए । इसी बात को लेकर एक बार फिर ग्रामीणों में जांच टीम की कार्य प्रणाली को लेकर आक्रोश बढ़ गया है । शिकायतकर्त्ता संदीप ओझा ने कहा कि गांव के बीएएमएस डॉक्टर , करोड़ो की मकान में रहने वाले , स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाली और विदेशों में रहने वाले लोग भी यहां मनरेगा के मजदूर बनाये गये है । कहा मेरी जिलाधिकारी बलिया महोदय से निवेदन है कि स्वयं आकर इसका निरीक्षण करें अन्यथा मैं इस घोटाले के प्रकरण को शासन स्तर तक ले जाऊंगा और आमरण अनशन भी करूँगा । जबकि ग्रामप्रधान ने शिकायतकर्त्ताओ को लफंगे और राजनीति से प्रेरित लोग बताकर अपने ऊपर लगे आरोपो को बेबुनियाद बताया है । आप खुद ही सुनिये ग्रामीणों , ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने इस प्रकरण पर क्या कहा है ---







एंकर- ग्रामीणों का अपने ही गांव के ग्राम प्रधान पर हल्ला बोल । ग्रामीणों ने अपने गाँव के ग्राम प्रधान पर गांव में बने मनरेगा के द्वारा चार सड़को पर लाखो रुपये का लुट - खसोट और फर्जीफिकेशन के द्वारा लाखो के संपत्ति रखने वाले लोगो को मनरेगा मजदूर की उपाधि देना । सड़क निर्माण में मजदूरो के जगह पर अवैध तरीके से ट्रैक्टर-ट्राली की मदद से काम करवाए जाने का गम्भीर आरोप लगा रहे है। उनका ये भी आरोप है कि सडक के जाँच में आये अधिकारियो से भी ग्रामीणों की बात नही सुनने दी गयी न ही अधिकारीयो ने ग्रामीणों की बात सुनी ।सड़क जाँच में आये अधिकारी एक-तरफा जाँच कर सिर्फ जाँच का कोरम पूरा किया और चंद मिनटों में वापस चले गए| जाँच अधिकारी और ग्राम प्रधान की मिली भगत है । वही ग्राम प्रधान ने शिकायत कर्ता ग्रामीणों को लफंगे किस्म के लोग बताते हुए सभी आरोपों को ख़ारिज करने की बात कही। हालाकि जाँच में गए अधिकारी महोदय का कहना है कि शिकायत कर्ता ग्रामीणों से हमने लिखित शिकायत पत्र माँगा है| सड़क के नाम पर आरोप प्रत्यारोप का यह पूरा मामला यूपी के बलिया में हल्दी थाना क्षेत्र अंतर्गत जवहीं दियर गाँव का है जो विकास से कोसो दूर ऐसी ही लूट खसोट के चलते है लेकिन बिडम्बना देखिये फिर भी सरकार के प्रतिनिधियों के काफी करीब है ।









वी ओं 1- इस गाँव के लोगो का और ग्राम रोजगार सेवक ने अपने ग्राम प्रधान पर आरोप लगया है कि गाँव में मनरेगा के द्वारा बनायी गयी बतायी जा रही चार सडको पर फर्जी फिकेशन के द्वारा लाखों के लूट खसोट का काम किया गया है ।ये सड़के मनरेगा के मजदूरों के द्वारा नही कुछ महीने पहले ट्रैक्टर ट्राली के मदद से बनाया गया है । इस कार्य के लिए स्कूल में तैनात सरकारी अध्यापक , डाक्टर और लाखो के संपत्ति धारक कास्तकारो और विदेशो में रहने वालो को भी मजदुरी के लिए जाब कार्ड में रखा गया है| शिकायत कर्ता ग्रामीण ने बताया कि सड़क निर्माण की जाँच करने आये अधिकारियो ने भी मिली भगत कर  सिर्फ ग्राम प्रधान की बात सुने हम लोग अपनी बात कहते रह गये हमारी सारी बातो को अनसुना कर दिया गया| ग्राम प्रधान पर आरोप लगाते हुए बताया यहाँ जो भी सड़के बनायीं गयी है वो ट्रैकर ट्राली की मदद से बनायीं गयी है और उनको जबरजस्ती श्रमिको और मजदूरो के नाम से फर्जी भुगतान कर दिया गया और जाँच में आये अधिकारी DC साहब और संयुक्त विकास अधिकारी महोदय एक तरफा रिपोर्ट लगाने की तैयारी में है|जाँच करने आये अधिकारीयो के जाँच पर कहा हम इस जाँच से बिलकुल संतुष्ट नहीं है इसकी शिकायत शासन तक ले जायेंगे । कहा जितना भ्रष्टाचार इस सरकार में है इतना भ्रष्टाचार पिछली सरकार में भी नहीं था । शासन के आदेश पर आये जाँच आयुक्त की जाँच एक तरफा और फर्जी है । अगर हमारी शिकायत नही सुनी गयी तो हम लोग आमरण अन्शन, आत्मदाह करने और  डी. एम. बलिया से स्वयं आकर जांच करने का अनुरोध किया है ।
बाईट- संदीप ओझा (शिकायत कर्ता ग्रामीण)



बाईट- जगत नारायन (ग्राम रोजगार सेवक)



हालाकि ग्रामीणों ने मीडिया को मजदूरो के जगह पर टेक्टर के मदद से बनाये जा रहे सडक का एक वीडियो और साक्ष्य के तौर पर उन मजदूरो का जाब कार्ड पर चढ़े नाम की वो लिस्ट भी दिया है जिनको लेकर ग्राम प्रधान पर फर्जी – वाड़ा कर फर्जी भुगतान कराने का आरोप है ।



वी ओं 2- गांव में बने चार सडको पर लगभग 6-7 लाख रूपये के लागत के फर्जी भुगतान पर ग्रामीण शिकायत कर्ताओं की  शिकायत पर जब गाँव के ग्राम प्रधान से बात की गयी तो प्रधान ने शिकायत कर्ता ग्रामीणों पर ही आरोप लगा दिया । उनका सीधे तौर पर कहना था यहाँ कुछ लफंगे टाईप के लोग है और राजनीति से पीड़ित है जो परमानेंट विरोध करते है । वो समझते है ऐसा करने से उनकी लोकप्रियता बढ़ जाएगी । धरातल पर यहाँ काम हुआ है जिले के आला अफसर कमिशनरी के आला अफसर यहाँ मौके पर आये काम देखा जो मनरेगा का काम था, उससे संतुष्ट हुए और वापस चले गए। शिकायत कर्ता ग्रामीणों के द्वारा अपने उपर लगाये गये आरोप को ख़ारिज कर दिया । कहा विदेश में रहने वाले लोग यहाँ जाब कार्ड में रहेगा ऐसा कुछ नही है ये सब गलत आरोप है अच्छे कार्य के लिए अधिकारी पक्ष में होंगे तो विरोधी कुछ भी कहेंगे उन्के पास कोई मुद्दा नही है ।



बाईट- अखिलेश कुमार चौबे (ग्रामप्रधान जवहीं दियर)





वी ओं 3- बलिया मनरेगा के डी. सी. महोदय ने जवहीं दियर ग्राम में चार सड़को पर शासन के द्वारा जाँच आने पर जाँच किये जाने की बात कही और कहा जाँच टीम के द्वारा उन चारो सड़को को देखा गया। वहा मिट्टी का काम हुआ है जो मिट्टी के काम थे, वहा मौजूद कुछ पब्लिक से बातचित हुई और शिकायतकर्ता से कहा गया कि अपनी शिकायत लिखित रूप से देकर अपना पक्ष प्रस्तुत कीजिये या आजमगढ़ लाकर दे दीजिये तो अन्य कार्यवाही होगी|



बाईट- यू. के. पाठक (डी. सी. मनरेगा बलिया)





फाईनल वी ओं-  जवहीं दियर गांव बलिया शहर से लगभग 15-20 किलो मीटर दूर एक ऐसा गाँव है जो गंगा नदी के दूसरी तरफ बसा है । प्रत्येक वर्ष गंगा की बाढ़ से प्रभावित होता है ।जहां जाने के लिए न तो कोई साधन है न ही पक्की सड़क है , कुछ जगह  सड़क बनी भी है तो हालत ऐसी कि कब किसकी सामत आ जाये । ये न तो सरकार को पता है न उन ग्रामीणों के भाग्यविधाता कहलाने वाले राजनेताओ को । इस गाँव में मिट्टी की बनी सड़क को लेकर ग्रामीणों द्वारा जो आरोप ग्रामप्रधान और जाँच में गये अधिकारियो पर लगाया जा रहा है उनमे कितनी सच्चाई है ये एक जाँच का विषय है अब देखना ये होगा कि सरकार इन शिकायत कर्ताओं पर क्या और कितना एक्शन लेती है|