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तेलंगाना चुनाव: दक्षिण भारत में जड़ें मजबूत करने पर बीजेपी की नजर !





7 दिसम्बर 2018 ।।

तेलंगाना विधान सभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए अग्निपरीक्षा होंगे, क्योंकि 2014 के विपरीत इस बार यह पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. सात दिसंबर यानी शुक्रवार को होने वाला मतदान केन्द्र में सत्तारूढ पार्टी के लिए 2019 लोकसभा चुनावों से पहले दक्षिण भारतीय राज्य में जड़ें मजबूत करने का मौका भी होगा.

वर्ष 2014 में बीजेपी, तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और उसने कुल 119 में से पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. जीती गईं सभी पांच सीटें उप्पल, मुशीराबाद, अंबरपेट, गोशामहल और एलबी नगर हैदराबाद में आती हैं.

चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि कुछ सीटों पर बीजेपी भी कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकती है. चुनाव मुख्य रूप से स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है. टीआरएस ने तेलंगाना के भावुक मुद्दे को भुनाते हुए 2014 में बहुमत हासिल किया था.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव पी मुरलीधर राव ने कहा, ‘‘बीजेपी की तेलंगाना में मजबूत पकड़ है. पारंपरिक रूप से, हमारा मतदान प्रतिशत हैदराबाद क्षेत्र में ज्यादा रहा है. इस बार हमारे पक्ष में मतदान प्रतिशत में निश्चित रूप से बढोत्तरी होगी.’’

उनका मानना है कि तेलंगाना की जनता वैचारिक और राजनीतिक रूप से टीआरएस के ‘‘असली विकल्प’’ के रूप में बीजेपी की ओर देखेगी और ‘‘टीआरएस विरोधी जगह’’ कांग्रेस नहीं भर पाएगी. राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के अन्य प्रमुख नेताओं ने पार्टी के लिए प्रचार किया है.

साल 2014 के विधानसभा चुनावों में,  बीजेपी ने टीडीपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था और 45 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से पांच सीटें जीती थीं. टीडीपी ने लड़ी गईं 72 सीटों में से 15 पर जीत हासिल की थी. हालांकि उसके 12 विधायक टीआरएस और बाद में एक कांग्रेस में शामिल हो गये थे. टीआरएस ने 63 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में, टीआरएस ने 17 में से 11 सीटें जीती थीं.