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रसड़ा बलिया : मैं हूँ यहां का कोतवाल ,मुझे डर काहे का ......




 मधुसूदन सिंह
रसड़ा बलिया 12 नवम्बर 2018 ।।
सैया भये कोतवाल ,अब डर काहे का ,की कहावत अब रसड़ा में अब बदल गयी है । अब यह हो गयी है मैं हूँ यहां का कोतवाल ,मुझे डर काहे का । 

जी हां , यह सत्य है क्योकि दूसरों के द्वारा इंच भर भी सरकारी भूमि पर /सड़क पर कब्जा किया जाता है या अस्थायी दुकान लगा दी जाती है तो हमारी तेजतर्रार यूपी पुलिस मां बहन की गाली देते हुए न जाने कितनी लाठियां बरसा देती है । पूरा प्रशासनिक अमला एक साथ खड़ा हो जाता है लेकिन जब पुलिस द्वारा ही जब कोई गलत कार्य सबकी आंखों के सामने किया जा रहा हो और जिले के आला अधिकारी आंखे बंद किये हो तो क्या कहा जा सकता है । नगर क्षेत्र की सरकारी सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षक नगर पालिका परिषद रसड़ा के ठीक सामने सड़क को अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा हो और इसके अध्यक्ष और ईओ आंखे बंद किये हो तो किससे उम्मीद की जाय ? शायद ईओ साहब तुलसीदास जी कि उस चौपाई पर न्याय करते है जिसमे लिखा है समरथ के नहि दोष गोसाई ।
पिछले 2 नवम्बर से कोतवाली रसड़ा के द्वारा पुलिस चौकी रसड़ा (उत्तरी) के सामने सड़क और नाले को कब्जा करके बाउंड्री वाल बनायी जा रही है लेकिन जिले के किसी भी बड़े अधिकारी ने आजतक इस अवैध निर्माण का संज्ञान नही लिया है । बलिया एक्सप्रेस ने 5 नवम्बर को इस घटना को पूरे विस्तार से प्रकाशित भी किया लेकिन किसी भी न्यायप्रिय अधिकारी की नज़र इस कृत्य पर नही गयी । नतीजा अतिक्रमण को अब प्लास्टर कराने का कार्य किया जा रहा है । यह अतिक्रमण रसड़ा की सबसे व्यस्त सड़क पर हो रहा है लेकिन न तो एसडीएम साहब , न ही सीओ साहब की नजर इस पर पड़ रही है । मेरा तो मानना है कि जो अधिकारी गलत को गलत कहने का मादा न रखता हो उसको असहाय जनता के द्वारा अस्थाई रूप से पटरियों पर दुकान लगाकर (दो चार घण्टे ही) अपने परिवार के लिये दो जून की रोटी जुटाने के प्रयास को डंडा मारकर , जुर्माना लगाकर दंडित करने का कोई अधिकार नही है । जिस पत्रकार की लेखनी में गलत को गलत लिखने की स्याही न हो , जिस अखबार में गलत को गलत कहकर छापने का जज्बा न हो , उसको पत्रकार नही और चाहे आप ...... जो कह लीजिये वही होगा । फुटपाथ पर टोकरी में सब्जी बेचने वाले गरीब के कारण जाम खबरों की सुर्खियां बन सकती है तो रसड़ा की कोतवाली पुलिस द्वारा सरकारी सड़क पर कब्जा आखिर अखबारों की खबर क्यो नही बन सकती ? यह एक बड़ा यक्ष प्रश्न है । क्या रसड़ा क्षेत्र में पत्रकारिता भी डर के साये में हो रही है ? अगर ऐसा है तो यह गंभीर समस्या है ।
नगर पालिका रसड़ा की , एसडीएम रसड़ा की , सीओ रसड़ा की , रसड़ा क्षेत्र के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथियों की सामूहिक चुप्पी कोतवाली रसड़ा पुलिस के खौफ को दर्शाने के लिये काफी है । एक बार फिर मैं पिछली बार की तरह इस बार भी दोहराना चाहता हूं कि हमारे डीएम और एसपी दोनो न्यायप्रिय है लेकिन संभवतः यह घटना उनके संज्ञान में नही आई है जिससे यह कृत्य जारी है अन्यथा जिस दिन उपरोक्त दोनो अधिकारियों को यह घटना ज्ञात हो जाएगी अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण पक्का समझिये








5 नवम्बर को खबरों से समझौता नही करने वाले समाचार पत्र/न्यूज पोर्टल ने जो खबर छपी थी वह यह है --

जब तूफां नाव डुबाए तो मांझी नाव बचाये , जब मांझी नाव डुबोये तो कौन बचाये .....
रसड़ा में पुलिस ने कब्जा की नाली  सड़क, बना डाली पक्की दीवार
एसडीएम रसड़ा से लेकर ईओ रसड़ा ने इस पर बोलने से किया इंकार
मधुसूदन सिंह की रिपोर्ट
बलिया 5 नवम्बर 2018 ।।  प्रदेश में सीएम योगी की सरकार ऐंटी भू माफिया कानून बनाकर सरकारी जमीनों या किसी अन्य व्यक्ति की जबरियां कब्जा करने वालो से खाली कराने का अभियान चलायें हुए है । यहां तक कि एसडीएम लोगो के नेतृत्व में सड़कों की पटरियों पर रोज रोज अस्थायी दुकान लगाकर अपने परिवार का किसी तरह पालन करने वाले गरीब दुकानदारों तक का चालान जबरन पुलिस बल के सहयोग से पांच सौ से पांच हजार तक समन शुल्क की वसूली कर नगर पालिकाओं , टाउन एरिया के अधिशाषी अधिकारी गण अपने रुतबे को दिखाने में लगे हुए है । लेकिन जब किसी दबंग के अतिक्रमण को हटाने की बात आती है तो यही अधिकारी टालमटोल करने लगते है और जब पुलिस के खिलाफ कार्यवाई करनी हो तो यही बड़े बड़े साहब लोग बगले झांकने लगते है । जो पुलिस सरकारी संपत्ति की रक्षा करने के लिये है , अगर वही सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर ले तो समाज मे क्या संदेश जाएगा ? सरकार के इकबाल को क्या ठेस नही लगेगी ? सोचनीय प्रश्न है ।



  मुझे इस घटना को लिखने से पहले हिंदी फिल्म के एक गीत की दो लाइन याद आ रही है जो इस पर सटीक बैठ रही है --- तूफ़ान जब नाव डुबोये तो मांझी पार लगाये , जब मांझी नाव डुबोये तो कौन बचाये ..... । जी हां ऐसा ही वाक्या हुआ है रसड़ा नगर पालिका क्षेत्र में ।
उपरोक्त तस्वीरों को देखने का बाद सहज तरीके से अतिक्रमण को समझा जा सकता है ।जहां रसड़ा पुलिस ने अपनी पुलिस चौकी उत्तरी के सामने नाले पर ही कब्जा नही किया है बल्कि सड़क पर भी कब्जा करके बाउंड्री बना डाली है । इनके इस कृत्य को रोकने के लिये न तो नपा चेयरमैन , न ही ईओ तैयार है । यहां तक जब एसडीएम रसड़ा से इस अवैध निर्माण के सम्बंध में बात की गई और पूंछा गया कि यह अवैध निर्माण कब टूटेगा तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया । ऐसे में रसड़ा शहर में ऐसे ही जाम की समस्यां विकराल रूप से रहती है , जिस सड़क पर पुलिस चौकी है वह शहर में आने के लिये मुख्य सड़क है जो हमेशा भीड़भाड़ से युक्त होती है । ऐसे में इस अवैध निर्माण से लगभग 8 से 10 फीट(नाला को लेकर जो पटा हुआ है और आने जाने के काम मे आता है ) सड़क पतली हो गयी है जो और जाम का कारण बन रही है । ऐसे में अब देखना है कि जिले में अपनी न्यायप्रियता के लिये लोकप्रिय जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत और पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली की जोड़ी सरकारी सेवको द्वारा किये गये इस अवैध निर्माण के सम्बंध में क्या कदम उठा रही है । जनता इनके निर्णय की प्रतीक्षा में है अन्यथा की स्थिति में इस नगर में अतिक्रमण पर चलने वाले किसी भी अभियान को जनता के घोर विरोध का सामना करना पड़ सकता है ।