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खजनी गोरखपुर : स्वास्थ्य विभाग का दबंग कर्मचारी सीएमओ पर भारी?



स्वास्थ्य विभाग का दबंग कर्मचारी सीएमओ पर भारी?
अमित कुमार की रिपोर्ट

खजनी गोरखपुर 8 अक्टूबर 2018 ।।
जहां प्रदेश में भ्रष्टाचार एवं स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की बड़ी बड़ी बाते की जा रही हो वही मुख्यमंत्री के जिले में इन दिनों प्रा0स्वा0केन्द्र-खजनी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहां एक दबंग कर्मचारी अशोक कुमार सिंह(हेल्थ सुपरवाईजर) जिसकी नियुक्ति दिनांक 8-4-1999 को हुई और आज तक एक ही जगह कुण्ड़ली मार कर बैठा है। आलम यह है कि कई बार आशा संध की बहुओं और स्थानीय लोगों ने भी उसके भ्रष्टाचार और दबंगई की शिकायत सीएमओं से लेकर डीएम तक की लेकिन मामला जस का तस बना है।

आरटीआई कार्यकर्ता  हेमन्त सिंह द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त की गई तो राज खुला । शासनादेश है कि एक जगह कोई कर्मचारी अधिकतम 3 से 5 साल तक ही रह सकता है लेकिन इस दबंग ने सीएमओ कार्यालय पर अपना इतना प्रभाव कायम कर रखा है कि 1999 से आजतक एक ही जगह पर टीका हुआ है । आइए बताते है कौन है अशोक कुमार सिंह ,यह महाशय अपने आपको महाकाल से कम नही समझते है । किसी को कुछ भी बोल देना तो इनकी फितरत में है। यह खजनी पीएचसी का अपने आपको प्रभारी चिकित्साधिकारी समझते है? और अपनी डयूटी भी जहा मरजी करती है लगा लेते है? इस महोदय का काम फिल्ड वर्क का है लेकिन यह अपनी दबंगई के बल पर कोल्ड चेन हेन्डलर(टीकाकरण इंचार्ज) का कार्य वरिष्ठ सुपरवाईजर से जबरजस्ती छिनकर अपने पास रखे है, एवं एएनएम से अवैध रूपया वसूलना और अपनी मनमर्जी से छुट्टी देना,पल्स पोलियों एवं अन्य सरकारी कार्यक्रमों में अपने चहेते कर्मचारियों का कागजों से नाम हटवाना इनका असली काम है, इनकी काली करतूतों से वहा के सारे कर्मचारी आजिज आ गए है।

इसकी दबंगई का प्रमुख कारण यह है कि जनाब वही के मूल निवासी और 100 कदम पर उनका गांव भी पड़ता है और लोकल होने का पूरा पूरा फायदा उठाते है, इसका मेन कार्य फील्ड भ्रमण करना है, जो छोड़कर अन्य कर्मचारियों के काम में दखल देने मे अपनी बहादुरी समक्षते है। जानकारी के मुताबिक
स्थानीय एवं दबंग होने का भय दिखाकर गलत काम कराने का दबाव बनाते रहते है स्थानीय होना और लगातार लगभग 19-20 सालों से एक स्थान पर रहने के कारण अपने कार्यालय में मीडियाकर्मी,एवं स्थानीय नेताओं को बैठाना, राजनीति करना, कार्यालय के काम में बाधा डालना, और आफिस के माहौल को खराब करना इसका प्रतिदिन का काम है। अस्पताल के दूसरे कर्मचारी का काम अपने पास जबरदस्ती से अपने पास रखना और जननी सुरक्षा योजना का कार्य बाबू (क्र्लक) से जबरदस्ती दादागिरी और दबंगई से छिनकर अपने पास रखना और खुले आम 100-100रूपये लाभार्थी एवं आशा बहुओं से वसूलना इसका मुख्य काम है। इसकी दबंगई सिर्फ़ अस्पताल में ही नही बाहर भी है।कुछ दिन पहले इसके खिलाफ खोराबार थाने में मारपीट का मुकदमा भी दर्ज हुआ था, और जिला जेल की महिनों भर हवा भी खानी पडी थी।
 एक बार अचैक निरिक्षण में सीएमओं डाॅ0 श्रीकांत तिवारी ने इसको चेताया भी था। लेकिन इस कर्मचारी के  सामने लगता है कि सीएमओ साहब भी मजबूर लगते है।

सबसे खास बात यह है कि इस दबंग कर्मचारी का स्थानान्तरण भी हुआ था, मगर मुख्य चिकित्साधिकारी को अपने पहुंच के बदौलत पैरवी करवाकर रूकवा लिया। जबकि यह शासनादेश के विरूद्ध है, जनता शिकायत करती रह गई लेकिन इस विवादित कर्मचारी पर सीएमओ का कानूनी डंडा नही चल सका?

अब देखना है कि सीएमओ साहब ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी को दूसरे जिले में स्थानान्तरण करते है कि अपने पलको पर बिठा कर रखते है। एक बात समक्ष में नही आता कि सीएमओ साहब अपने मातहतों के सामने इतने लाचार क्यों हो गए। कही किसी बड़े राजनैतिक दबाव के कारण तो नही? सन्न मारे हो।