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गोरखपुर : आम आदमी की छोड़िए यहाँ तो सीएम की ड्यूटी से भी गायब रहते हैं मनबढ़ डॉक्टर



आम आदमी की छोड़िए यहाँ तो सीएम की ड्यूटी से भी गायब रहते हैं मनबढ़ डॉक्टर 

दुर्व्यवस्था का शिकार गोरखपुर का नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय
जरूरी दवाओं के अभाव में अस्पताल के सामने दवा की दुकानों पर रहता है मेले जैसा माहौल
अमित कुमार की रिपोर्ट
गोरखपुर 5 अक्टूबर 2018 ।। आम आदमी के प्रति सीएम सिटी का स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा विगत दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ के सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन
 के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला जब सीएम की फ्लीट में लगी एंबुलेंस से डॉक्टर गायब मिले जिसे सीएम की सुरक्षा में भारी चूक माना जा सकता है । इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग क्या कार्रवाई करता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजकुमार गुप्ता से जब जानकारी चाही गई तो उन्होंने बहुत ही मशहूर और परंपरागत वाक्य दोहराया की "जांच चल रही है, जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी" मुख्यमंत्री की सुरक्षा से जुड़े इस अहम बिंदु पर क्या जांच होती है और उसका निष्कर्ष क्या निकलता है और फिर उस पर क्या कार्यवाही होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। आपको बता दें कि सीएम के गोरखपुर दौरे पर एम्बुलेंस के साथ डॉ0 अभिषेक रॉय, डॉ0 महेश चौधरी और डॉ0 आर0बी0 यादव की ड्यूटी पर रहने के बावजूद मौके पर किसी भी डॉक्टर के मौजूद न रहने की बात सामने आ रही है । ऐसे में इस घटना से कहीं ना कहीं जिला अस्पताल में आम मरीजों के साथ लापरवाही बरते जाने की खबरों बल जरूर मिलता है।
वहीं दूसरी तरफ बाहर से दवाएं लिखने की रोक का बावजूद नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय के सामने दवाओं की दुकानों पर इन दिनों मेले जैसा दृश्य देखा जा सकता है, जबकि मरीजों को अस्पताल से दवाएं देने के अलावा जन औषधि केंद्र भी खोला गया है। हालांकि एसआईसी डॉ0 राजकुमार गुप्ता का कहना है कि अस्पताल में दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जबकि ताजा जानकारी यह है कि जिला अस्पताल में इन दिनों गैस की दवा, पेट की दवा, हार्ड की दवा, कान की दवा और नाक में डाले जाने वाला ड्रॉप तथा फंगल इनफेक्शन में खाने वाली दवा फ्लूकोनाजोल या तो उपलब्ध नहीं है या फिर इनकी मात्रा इतनी सीमित है कि मरीजों को यह उपलब्ध नही होता, जिससे उन्हें अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोरों से महंगी दवाई खरीदने को मजबूर होना पड़ता है।
बहरहाल जब सीएम के शहर में खुद उनकी की ही सुरक्षा खतरे में है तो एक आम आदमी कहाँ तक तक सुरक्षित है यह सोचने की बात है।