क्या आप जानते है - जब बापू ने दाई बनकर डिलीवरी करायी थी , जाने किसकी ....
जब महात्मा गांधी बने दाई मां और कराई डिलिवरी
4 सितम्बर 2018 ।।
महात्मा गांधी यानी बापू से हमारा सामना हर रोज ही
होता है, चाहे वह नोट पर छपे महात्मा गांधी के चलते
होता हो, महात्मा गांधी मार्ग से गुजरने पर होता हो या
आपके शहर के चौक पर लगी उनकी मूर्ति के जरिेए
होता हो । यह भी सच है कि भारत को दुनिया में
आधुनिक काल में अगर किसी ने सबसे सम्मानजनक
स्थान दिलाया है तो वे महात्मा गांधी ही हैं । लेकिन
क्या आप जानते हैं कि महात्मा ने एक बार दाई के
रूप में भी काम किया था ।
जी हां, उसी दाई की बात हो रही है जो मेडिकल
सुविधाओं के इतने एडवांस न होने के दौर में बच्चों
को पैदा करने में महिलाओं की मदद करती थी ।
गांधी ने यही काम किया था. वैसे गांधी ने यह काम
स्वयं के ही लिए किया था ।
होता है, चाहे वह नोट पर छपे महात्मा गांधी के चलते
होता हो, महात्मा गांधी मार्ग से गुजरने पर होता हो या
आपके शहर के चौक पर लगी उनकी मूर्ति के जरिेए
होता हो । यह भी सच है कि भारत को दुनिया में
आधुनिक काल में अगर किसी ने सबसे सम्मानजनक
स्थान दिलाया है तो वे महात्मा गांधी ही हैं । लेकिन
क्या आप जानते हैं कि महात्मा ने एक बार दाई के
रूप में भी काम किया था ।
जी हां, उसी दाई की बात हो रही है जो मेडिकल
सुविधाओं के इतने एडवांस न होने के दौर में बच्चों
को पैदा करने में महिलाओं की मदद करती थी ।
गांधी ने यही काम किया था. वैसे गांधी ने यह काम
स्वयं के ही लिए किया था ।
उस दौरान नटाल में रहा करते थे गांधी
गांधी उन दिनों साउथ अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहा
करते थे. नटाल की राजधानी थी पीटरमॉरित्जबर्ग ।
यह वही पीटरमॉरित्जबर्ग है जहां पर 1893 में
महात्मा गांधी को चलती ट्रेन से फेंका गया था ।
इस दौरान अपने पढ़ने लायक हो चुके दो बच्चों को
वे घर पर ही पढ़ाया करते थे. और इसके अलावा
अपना ज्यादातर वक्त स्थानीय भारतीयों के केस
लड़ने में लगाते थे. उनके बच्चों को उस वक्त अच्छे
स्थानीय स्कूलों में एडमिशन मिलना मुश्किल था
क्योंकि अच्छे साउथ अफ्रीकी स्कूलों में एडमिशन
दिलाने के लिए उन्हें किसी से अपने बच्चों के लिए
सिफारिश करवानी पड़ती गांधी इसके खिलाफ थे ।
इसके अलावा भारतीयों के लिए जो स्कूल वहां पर
थे गांधी उन्हें बिल्कुल भी शिक्षा लेने के लायक नहीं
समझते थे. उनका मानना था कि ऐसे स्कूलों में जाकर
उनके बच्चों को कई तरह की भेदभाव का शिकार
होना पड़ सकता है. साथ ही उन स्कूलों में शिक्षा का
स्तर पर अच्छा नहीं था. इस कारण उन्होंने उन बच्चों
को घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया ।
करते थे. नटाल की राजधानी थी पीटरमॉरित्जबर्ग ।
यह वही पीटरमॉरित्जबर्ग है जहां पर 1893 में
महात्मा गांधी को चलती ट्रेन से फेंका गया था ।
इस दौरान अपने पढ़ने लायक हो चुके दो बच्चों को
वे घर पर ही पढ़ाया करते थे. और इसके अलावा
अपना ज्यादातर वक्त स्थानीय भारतीयों के केस
लड़ने में लगाते थे. उनके बच्चों को उस वक्त अच्छे
स्थानीय स्कूलों में एडमिशन मिलना मुश्किल था
क्योंकि अच्छे साउथ अफ्रीकी स्कूलों में एडमिशन
दिलाने के लिए उन्हें किसी से अपने बच्चों के लिए
सिफारिश करवानी पड़ती गांधी इसके खिलाफ थे ।
इसके अलावा भारतीयों के लिए जो स्कूल वहां पर
थे गांधी उन्हें बिल्कुल भी शिक्षा लेने के लायक नहीं
समझते थे. उनका मानना था कि ऐसे स्कूलों में जाकर
उनके बच्चों को कई तरह की भेदभाव का शिकार
होना पड़ सकता है. साथ ही उन स्कूलों में शिक्षा का
स्तर पर अच्छा नहीं था. इस कारण उन्होंने उन बच्चों
को घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया ।
अपने चौथे बच्चे की डिलिवरी महात्मा गांधी ने खुद करवाई थी
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा उस दौरान प्रेग्नेंट थीं ।
एक रात अचानक उन्हें लेबर पेन होना शुरू हो गया ।
गांधी जी उस वक्त उन्ही के पास बैठे कुछ पढ़ रहे थे ।
गांधी जी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने अपने
सबसे बड़े लड़के हरिलाल को दाई को लाने के लिए
भेजा. लेकिन तभी कस्तूरबा को लेबर पेन बढ़ गया
और अंत में महात्मा गांधी को ही अपने सबसे छोटे
बेटे की डिलिवरी करानी पड़ी ।
ये पुत्र उनके आखिरी और सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी
थे. जो बाद में भारत के प्रमुख पत्रकारों में से एक रहे ।
उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में एडिटर के तौर पर
अपनी सेवाएं दीं. उनके एक बेटे राजमोहन गांधी
यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस में साउथ एशियन और
मिडिल ईस्टर्न स्टडीज के प्रोफेसर हैं और दूसरे बेटे गोपालकृष्ण गांधी पूर्व आईएएस अफसर हैं जो
यूपीए- I के दौरान पश्चिम बंगाल के गवर्नर भी रह
चुके हैं । और तीसरे बेटे रामचंद्र गांधी भारतीय
दार्शनिक हैं ।
यूं ही नहीं कहलाते हैं महात्मा
दरअसल गांधी कोई अपरिपक्व दाई मां नहीं थे । गांधी
उस दौरान दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आदि से जुड़े
प्रयोग कर रहे थे. हालांकि वे अपनी वकालत में बहुत
बिजी रहते थे क्योंकि उनके पास स्थानीय भारतीयों के
बहुत से केस आते थे, फिर भी उन्होंने वक्त निकालकर
दो घंटे एक चैरिटेबल हॉस्पिटल में फ्री सेवाएं देनी शुरू
कर दी थीं । इसके अलावा जैसा बताया गया कि वे
अपने दो बेटों और एक भतीजे को खुद ही पढ़ाते भी
थे ।इसके अलावा भी वे वक्त निकालकर नर्सिंग और
डिलिवरी कैसे कराएं जैसे विषयों पर किताबें भी पढ़ा
करते थे । यही वजह थी कि बड़ी आसानी से उन्होंने सफलतापूर्वक अपने चौथे बेटे की खुद ही डिलिवरी
करवा ली ।
(साभार)
क्या आप जानते है - जब बापू ने दाई बनकर डिलीवरी करायी थी , जाने किसकी ....
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
September 04, 2018
Rating: 5