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भीमा कोरेगांव केस: वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

भीमा कोरेगांव केस: वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    नईदिल्ली 6 सितंबर 2018 ।।
    भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हाउस अरेस्ट पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी. महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पांचों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस को उन्हें 6 सितंबर तक हाउस अरेस्ट में रखने का आदेश दिया । आज गुरुवार को कोर्ट इसी मामले पर आगे सुनवाई करेगा ।

    वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में इन पांचों कार्यकर्ताओं की रिहाई का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा इन गिरफ्तारियों के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है ।

    महाराष्ट्र पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर कवि और वामपंथी बुद्धिजीवी वरवर राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था. वहीं ठाणे से अरुण फरेरा और गोवा से बर्नन गोनसालविस को गिरफ्तार किया गया. ये सभी फिलहाल हाउस अरेस्ट पर हैं ।

    29 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी. पांचों वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'विरोध को रोकेंगे तो लोकतंत्र टूट जाएगा. ।

    रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए असहमति को लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व बताया. कोर्ट ने कहा, "असहमति हमारे लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर आप प्रेशर कुकर में सेफ्टी वॉल्व नहीं लगाएंगे, तो वो फट सकता है. लिहाजा अदालत आरोपियों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगाती है, तब तक सभी आरोपी हाउस अरेस्ट में रहेंगे ।

    वहीं महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि उसके पास पांचों कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुख्त सबूत हैं कि गिरफ्तार आरोपियों के संबंध नक्सली संगठनों से हैं. इसी सिलसिले में महाराष्ट्र पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं और नक्सलियों के बीच आदान-प्रदान हुए कथित पत्रों को दिखाया था ।