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सियासत : तो क्या मुलायम का ये दांव शिवपाल के मोर्चे पर पड़ गया भारी!

तो क्या मुलायम का ये दांव शिवपाल के मोर्चे पर पड़ गया भारी!  
नासिर हुसैन
    3 सितम्बर 2018 ।।
    शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चे को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं ।  2 दिन से खुद शिवपाल ने भी खामोशी अख्तियार की हुई है. मीडिया से भी दूरी बनाई हुई है । सिर्फ एक वेबसाइट पर उनका इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है । समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनने के पहले दिन की तरह से कहीं कोई उल्लास नज़र नहीं आ रहा है. मोर्चा के बैनर-होर्डिंग लगाने से भी परहेज किया जा रहा है. सपा से किनारे चल रहे या सपा में मौजूद किसी और नेता ने भी अभी तक मोर्चे में जाने की कोई घोषणा नहीं की है ।
    इस बारे में 'सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्‍स' के प्रोफेसर एके वर्मा का कहना है,  ̔शिवपाल ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके मोर्चे के लिए मुलायम सिंह यादव का साथ होना बेहद जरूरी है. बिना मुलायम के मोर्चा अलग और अकेला पड़ जाएगा. 30 अगस्त से पहले उन्हें लगा होगा कि दिसम्बर 2016 वाले ऐपिसोड की तरह से मुलायम एक बार फिर उनका साथ देंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं ।

    दूसरी इस बात ने भी शिवपाल को मायूस कर दिया कि मोर्चा बनाए हुए पांच दिन हो गए लेकिन अभी तक सपा का कोई विधायक या पदाधिकारी मोर्चे में शामिल नहीं हुआ. जैसा कि मुलायम के आने पर इसकी उन्हें उम्मीद थी ।

    वहीं दूसरी ओर डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्वालय, आगरा के प्रो. और राजनीति के जानकार डॉ. मोहम्मद अरशद का कहना है ̔ बेशक आज अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन इसके बाद भी सपा से जुड़े लोगों का एक बहुत बड़ा हिस्सा मुलायम सिंह के साथ है । इस बात को शिवपाल अच्छी तरह से जानते हैं. ऐसे में मुलायम के न आने पर शिवपाल के मोर्चे की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी. दूसरा पहलू ये कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कोई दूसरा दल भी बिन मुलायम के मोर्चे को कोई तवज्जो नहीं देगा ।
    (साभार न्यूज 18)