Home
/
Unlabelled
/
सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्प्रीडन की पीड़ितों के साक्षत्कार लेने ,चित्र के प्रकाशित करने पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्प्रीडन की पीड़ितों के साक्षत्कार लेने ,चित्र के प्रकाशित करने पर लगाई रोक

- नईदिल्ली 7 अगस्त 2018 ।।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में महिलाओं के साथ बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर मंगलवार को गहरी चिंता व्यक्त की है । इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को हिदायत दी है कि वो देश में किसी भी यौन उत्पीड़न की घटना के पीड़ितों की तस्वीरें किसी भी रूप में प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं करें । शीर्ष अदालत ने यौन उत्पीड़न से पीड़ित नाबालिगों का इंटरव्यू नहीं करने की चेतावनी देते हुए कहा कि इसका दिमाग पर गंभीर असर पड़ता है ।
न्यायालय ने केन्द्र को देश भर में आश्रय गृहों में नाबालिगों के यौन शोषण की रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों से उसे अवगत कराने का निर्देश दिया है ।
शीर्ष अदालत ने कहा कि बाल यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चों से सिर्फ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के सदस्य ही काउंसिलर की मौजूदगी में इंटरव्यू कर सकते हैं । शीर्ष अदालत ने बिहार आश्रय गृह मामले में हस्तक्षेप करने का प्रयास करने के लिए दिल्ली राज्य महिला आयोग को आड़े हाथों लिया और कहा कि इस मामले में किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए ।
इससे पहले दिन में न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह का संचालन करने वाले गैर सरकारी संगठन को वित्तीय सहायता देने पर बिहार सरकार को आड़े हाथों लिया. इस आश्रय गृह की लड़कियों से कथित रूप से बलात्कार और उनके यौन शोषण की घटनाएं हुई हैं ।
पीठ ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में हर छह घंटे में एक महिला बलात्कार की शिकार हो रही है । ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में भारत में 38,947 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ ।
आश्रय गृह का निरीक्षण करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ ने न्यायालय को बताया कि बिहार में इस तरह की 110 संस्थाओं में से 15 संस्थाओं के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की गयी है । इस पर बिहार सरकार ने न्यायालय से कहा कि विभिन्न गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित इन 15 संस्थानों से संबंधित यौन उत्पीड़न के नौ मामले दर्ज़ किए गए हैं ।
राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठन का मुखिया बृजेश ठाकुर के आश्रय गृह का संचालन करता था. इस आश्रय गृह में 30 से अधिक लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और उनका यौन शोषण किए जाने के आरोप हैं ।
इस मामले में ठाकुर समेत 11 व्यक्तियों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज़ हुई थी और बाद में ये मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था ।आश्रय गृह की 42 में से 34 लड़कियों के मेडिकल परीक्षण में उनके यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है जबकि दो अन्य अस्वस्थ होने की वजह से मेडिकल परीक्षण कराने की स्थित में अभी नहीं हैं ।
इस गैर सरकारी संगठन की ओर से मुजफ्फरपुर में संचालित आश्रय गृह को काली सूची में शामिल करके इसमें रहने वाली लड़कियों को पटना और मधुबनी के आश्रय गृहों में स्थानांतरित कर दिया गया है ।पुलिस ने इस मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें ठाकुर और आश्रय गृह की महिला स्टाफ शामिल हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्प्रीडन की पीड़ितों के साक्षत्कार लेने ,चित्र के प्रकाशित करने पर लगाई रोक
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
August 07, 2018
Rating: 5