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खतना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, 'महिलाएं केवल शादी और बच्चों के लिए नहीं'



    नईदिल्ली 30 जुलाई 2018 ।।
    महिलाओं के खतना के विरोध में दाखिल एक याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि महिला की जिंदगी सिर्फ पति और बच्चों के लिए नहीं है । उसकी अन्य भी इच्छाएं हो सकती हैं । पति के प्रति समर्पण ही महिला का कर्तव्य नहीं है. किसी भी समाज में ऐसी रूढ़ियों की प्रैक्टिस किसी की व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन हैं ।
    देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपालन ने भी इस याचिका का समर्थन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान बोहरा मुस्लिम समुदाय में नाबालिग बच्चियों का खतना किए जाने पर सवाल उठाए हैं ।
    खतना मासूम बच्चियों का किया जाता है, जिनमें तब तक अपने शरीर को लेकर समझ भी पैदा नहीं हुई होती. शारीरिक और मानसिक रूप से बच्चियों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. बच्चियां इस दर्द को सह नहीं पातीं और हर साल बहुत सी बच्चियां इस दर्द से या तो कोमा में चली जाती हैं या उनकी मौत हो जाती है ।